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यहां पढ़ाई छोड़ बाली उम्र में ब्याही जा रही बेटियां, 22.22 फीसद को सर्वाइकल कैंसर

यह इंटरनेशनल जर्नल आफ मेडिकल रिसर्च प्रोफेशनल में प्रकाशित हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 07:00 AM (IST)
यहां पढ़ाई छोड़ बाली उम्र में ब्याही जा रही बेटियां, 22.22 फीसद को सर्वाइकल कैंसर
यहां पढ़ाई छोड़ बाली उम्र में ब्याही जा रही बेटियां, 22.22 फीसद को सर्वाइकल कैंसर

अमित तिवारी, जमशेदपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेटियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करना चाहते हैं तो उसके बड़े मायने हैं। इसे समझने के लिए कोल्हान में पहली बार सर्वाइकल कैंसर पर किए गए शोध को पढ़ लीजिए। कोल्हान के गावों में अभी भी कम उम्र में बेटियां ब्याही जा रही हैं। वह पढ़ने की जिद करती हैं, पर स्वजन शादी कर देते हैं। इसका दुष्परिणाम सामने आ रहा है। 22.22 फीसद ऐसी बेटियों में सर्वाइकल कैंसर की शिकायत मिली है।

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महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कालेज की लेक्चरर डा. वनिता सहाय ने यह शोध किया है। यह इंटरनेशनल जर्नल आफ मेडिकल रिसर्च प्रोफेशनल में प्रकाशित हुआ है। शोध में 12 से 17 वर्ष के बीच 22.22 फीसद विवाहित बेटियां सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित पाई गई हैं। वहीं, 18 से 23 के बीच की उम्र में 66.66 फीसद और 24 से 29 वर्ष के बीच 3.7 फीसद इससे पीड़ित मिली हैं। वहीं, कुल 18.51 फीसद महिलाएं तंबाकू सेवन करते पाई गई हैं। शोध में कहा गया है कि सर्वाइकल कैंसर के मुख्य कारणों में बाल विवाह भी एक कारण है। कम उम्र में बनाए गए शारीरिक संबंध खतरनाक हैं। बच्चेदानी के मुंह की कोशिकाएं नाजुक होती हैं, जिससे ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) आसानी से प्रवेश कर जाता है। इससे सर्वाइकल कैंसर का जन्म होता है। मेडिकल साइंस की मानें तो 21 वर्ष के बाद ही युवतियों का शरीर शादी के लिए पूरी तरह विकसित हो पाता है। सात लोगों की टीम ने यह शोध किया है। इसमें डा. वनिता सहाय, पूर्व प्राचार्य डा. एसी अखौरी, सिलबिना मुर्मू, कुमार विमल, अमिता सहाय, कुबेर चंद्रा व मनीष कुमार शामिल थे।

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कुछ पता नहीं होता और कर दी जाती है शादी

यहां गांवों में शिक्षा व जागरूकता का घोर अभाव है। पांच सौ महिलाओं पर किए गए इस शोध में 25.92 फीसद कक्षा पांच और 59.25 फीसद आठवीं तक शिक्षित मिलीं। ये शादी के बाद जिदगी में होने वाले बदलावों से अनजान मिलीं। इनकी शादी सुरक्षा व परंपरा के नाम पर कर दी गई थी। शोध में कहा गया है कि यह कुप्रथा व अज्ञानता के साथ-साथ लैंगिक भेदभाव का मामला भी है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार बाल विवाह के मामले में झारखंड का स्थान पश्चिम बंगाल, राजस्थान व बिहार के बाद देश में चौथा (38 फीसद) है। एनुअल हेल्थ सर्वे (एएचएस) 2012-12 की रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी सिंहभूम जिले में 26.1 व पश्चिमी सिंहभूम जिले में 21.3 फीसद बाल विवाह होता है।

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टीकाकरण से रोकी जा सकती सर्वाइकल कैंसर

एचपीवी टीका सर्वाइकल कैंसर रोकने का एक प्रभावी तरीका है। यह टीका सुरक्षित है। लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करता है। एचपीवी टीका नौ से 14 वर्ष की लड़कियों को दिया जाता है। इसके दो खुराक छह माह के अंतराल पर दिए जाते हैं। मालूम हो कि महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर एक बड़ी बीमारी है। इसे सामान्य बोलचाल में बच्चेदानी के मुख का कैंसर भी कहा जाता है।

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सर्वाइकल कैंसर पर किए गए इस शोध में कई चौंकाने वाले तथ्य निकलकर सामने आए हैं। कम उम्र में शादी चिताजनक है। लोगों को जागरूक कर और उन्हें ह्यूमन पोपिलोमा वैक्सीन देकर इस बीमारी से बचाया जा सकता है।

- डा. वनिता सहाय, लेक्चरर, एमजीएम मेडिकल कालेज।


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