पश्चिम बंगाल के भरोसे घाटशिला के मरीज
घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है। अब तक जितने भी विधायक बने हैं उन्होंने इसपर खास ध्यान नहीं दिया। यहां अस्पताल तो बने लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण व्यवस्था जस के तस रही।
राजेश चौबे, घाटशिला : घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है। अब तक जितने भी विधायक बने हैं, उन्होंने इसपर खास ध्यान नहीं दिया। यहां अस्पताल तो बने, लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण व्यवस्था जस के तस रही। यही कारण है कि यहां के मरीज पश्चिम बंगाल के भरोसे हैं। घाटशिला के अधिकतर लोग स्वास्थ्य सेवा का लाभ लेने के लिए पड़ोसी राज्य बंगाल के झाडग्राम, खड़गपुर तथा आसपास के सरकारी अस्पतालों पर निर्भर हैं।
घाटशिला में एक अनुमंडल अस्पताल है, लेकिन यहां भी चिकित्सकों की कमी है। विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। मुसाबनी में बंद पड़ा 300 बेड़ का अस्पताल खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। इसे चालू करने का प्रयास हुआ, लेकिन प्रयास असफल रहा। घाटशिला को जिला बनाने की मांग 20 वर्षो से अधिक समय से हो रही है, लेकिन किसी भी सरकार ने यह मांग अब तक नहीं पूरी की।
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न कॉलेज खुले और न ही बीएड प्रारंभ हुआ
घाटशिला में विधायक लक्ष्मण टुडू ने घाटशिला में ट्राइबल यूनिवर्सिटी खोलने का प्रयास किया था, लेकिन इस प्रयास में वे नाकाम रहे। घाटशिला कॉलेज में बीएड की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी। बीएड करने के लिए यहां के छात्रों को बहरागोड़ा और जमशेदपुर जाना पड़ता है। घाटशिला विधानसभा में 350 प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय हैं। हाईस्कूलों की संख्या 31 है। इन स्कूलों में 200 शिक्षकों की कमी है। मुसाबनी प्रखंड के छह प्राथमिक विद्यालय मात्र एक-एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं।
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नहीं बन सका पर्यटन का हब
पर्यटन के क्षेत्र में घाटशिला में अपार संभावनाएं है, लेकिन संपूर्ण प्लानिंग के कारण यह क्षेत्र अभी तक पर्यटन के मानचित्र में उभर नहीं पाया। बुरुडीह में नौका परिचालन, बुरुडीह का सौंदर्यीकरण घेराबंदी का काम हुआ। बुरुडीह में बड़े पार्क बनाने का प्रस्ताव पर्यटन विभाग के पास भेजा गया, लेकिन मामला अधर में लटका है। यहां तक जाने वाला संपर्क पथ अब तक अधूरा है। इसके अलावा महान कवि विभूति भूषण बंदोपाध्याय की पुस्तकों को संरक्षित करने का कार्य गौरी कुंज उन्नयन समिति कर रही है। कुछ हद तक वे सफल हुई है। लेकिन उनके कई प्रस्ताव अभी भी लटके हुए है।
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रोजगार बना बड़ा मुद्दा
घाटशिला विधानसभा में रोजगार का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा है। कौशल विकास के नाम पर गुजरात व मुंबई में युवाओं का पलायन करवाया जा रहा हैं। यह कौन सा रोजगार है। झारखंड खनिज संपदा परिपूर्ण होने के बाद भी यहा के युवकों को रोजगार नहीं मिल रहा है। कॉपर माइंस का उदघाटन करवाया गया पर आज तक एक भी स्थानीय युवक को नौकरी नही मिली।
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-स्वास्थ्य के क्षेत्र में खास कुछ नहीं हुआ। सरकार ने बड़े-बड़े अस्पताल बनवा तो दिए हैं, लेकिन चिकित्सकों की घोर कमी है। विधानसभा के लोग स्वास्थ्य सेवा का लाभ लेने के लिए बंगाल पर निर्भर हैं।
-रंजीत ठाकुर।
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-किसानों के लिए कुछ काम नहीं किया। इतना हुआ किसान सम्मान योजना के तहत किसानों के खाता में पैसा भेजा गया। झारखंड केडैम व नहर का पानी ओडिशा को दिया गया। घाटशिला विधानसभा के किसानों के खेत सूखे रह गए। -
लक्ष्मीकांत प्यारे लाल।