GDP : रुपया सुधरा, छह माह में जीडीपी भी पकड़ेगी रफ्तार
GDP. मोदी सरकार कारपोरेट स्टाइल में काम करना जानती है इसलिए जीडीपी की गिरावट क्षणिक स्थिति है। यह मानना है जानेामाने उद्यमी एसके बेहरा का।
जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। पिछले पांच साल में मोदी सरकार ने ना केवल बेशुमार योजनाएं लागू कीं, बल्कि उन्हें तेजी से धरातल पर भी उतारा। इसके बावजूद 2019 के चुनाव में दोबारा आने या ना आने को लेकर संशय की स्थिति बन गई थी। इसकी वजह से इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑटोमोबाइल समेत विभिन्न क्षेत्रों (सेक्टर) में चार-पांच माह से थोड़ी शिथिलता सी आ गई थी। इसका असर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) पर भी पड़ा। इसी का नतीजा है कि देश का जीडीपी 6.7 से गिरकर 5.8 आ गया है। यह सरकार कारपोरेट स्टाइल में काम करना जानती है, इसलिए जीडीपी की गिरावट क्षणिक स्थिति है। ये बातें झारखंड के जाने-माने उद्यमी एसके बेहरा ने कहीं। उन्होंने एनडीए-2 के मद्देनजर देश में होने वाले आर्थिक-सामाजिक बदलाव, आधारभूत संरचना के सुदृढ़ होने के साथ अंतिम छोर तक विकास पहुंचने की संभावनाओं पर अपने बेबाक विचार रखे। यहां प्रस्तुत है, उनसे बातचीत के अंश...
मोदी सरकार दूसरी पारी खेलेगी, आप कितने आशान्वित थे?
मेरा भी अनुमान था कि मोदी जी आएंगे। मुझे कोई शंका नहीं थी। मेरी तरह अधिकांश लोगों को भी विश्वास था कि मोदी सरकार दूसरी पारी खेलेगी। हालांकि कुछ लोगों को संशय था, लेकिन चुनाव परिणाम से वैसे लोगों को निराशा हुई होगी, जो अगर-मगर की स्थिति में फंसे थे। शायद इसीलिए चुनाव जीतने के बाद मोदी जी ने सबका साथ, सबका विकास के साथ सबका विश्वास जोड़कर नया नारा गढ़ा। प्रचंड बहुमत से उनका भी आत्मविश्वास बढ़ा है, यह दिख भी रहा है।
जीत की असली वजह क्या मानते हैं?
मोदी सरकार की वापसी सिर्फ नारों या भाषणों से नहीं हुई है, उनके काम से हुई है। पिछले पांच साल में इस सरकार ने समाज के हर वर्ग के लिए हर तरह की योजनाएं लागू कीं, तो उन्हें तेजी से धरातल पर भी उतारा। उन्होंने इन पांच वर्षों में सबकी सोच बदलकर रख दी। यही वजह रही कि इस बार के चुनाव में जात-पात, संप्रदाय, महंगाई किसी दल के एजेंडे में नहीं था। आम लोग भी विकास के लिए मोदी सरकार की वापसी चाह रहे थे।
हाल के दिनों में जीडीपी की दर गिरी, कब सुधरेगी ?
जीडीपी का संबंध विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ा होता है। चुनावी मौसम में लगभग सभी क्षेत्र में कामकाज शिथिल हो गया था, इसका असर पड़ा। ऑटोमोबाइल क्षेत्र में गिरावट इसलिए हुई कि यह यूरो-4 से यूरो-6 में बदल रहा है। कोई भी नया बदलाव होता है, तो थोड़ी शिथिलता आ ही जाती है। पालिटिकल सस्पेंस की वजह से लोग रूक गए थे, लेकिन अब जीडीपी की दर आने वाले पांच-छह माह में रफ्तार पकड़ेगी। रुपया सुधर चुका है, अमेरिकी डॉलर की तुलना में इसकी कीमत 78 रुपये से 68 रुपये हो गई है। बजट घाटा 4.8 से 3.3 फीसद पर आना अच्छे भविष्य का संकेत है।
मोदी सरकार की कौन सी योजना बेहतर लगी?
एनडीए-1 में हर योजना ना केवल बेहतर थी, बल्कि कारपोरेट स्टाइल में इसे लागू भी किया गया। हर दिन की प्रगति रिपोर्ट आश्चर्यजनक रही, जिसमें मुद्रा योजना के तहत 1.15 लाख ऋण, उज्ज्वला योजना में 70 हजार कनेक्शन, 50 हजार घर को बिजली, जन-धन में 2.10 लाख बैंक खाता, एक हजार से अधिक आवास, 60 हजार से अधिक शौचालय, नौ हजार से ज्यादा आयुष्मान योजना के तहत इलाज, 400 करोड़ से ज्यादा डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर और हर दिन 1.05 लाख रुपये सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना की राशि निर्गत होना अद्भुत है।
क्या कश्मीर का मुद्दा सचमुच देश के विकास में बाधक है ?
मुझे पूरा विश्वास है कि कश्मीर का मुद्दा इस बार हल होकर रहेगा। जब तक कश्मीर देश के अन्य राज्यों की तरह नहीं बनेगा, देश का विकास भी नहीं हो सकता। वहां जब तक निवेश नहीं होगा, नए उद्योग-धंधे नहीं लगेंगे, उस राज्य का भला नहीं हो सकता। यदि हम मानते हैं कि कश्मीर भारत का अंग है तो उसे पूरी तरह भारत का अंग बनाना होगा।
कुछ लोगों का कहना है कि लोकतंत्र में व्यक्ति केंद्रित राजनीति ठीक नहीं है?
ऐसा नहीं है। इस वक्त मोदी जी देश की आंतरिक सुरक्षा और विदेश नीति के क्षेत्र में जिस तरह से काम कर रहे हैं, उनका कोई विकल्प नहीं है। इनकी कूटनीति की वजह से ही आज पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया है। इससे आतंकवादियों का मनोबल भी काफी गिरा है। अब कश्मीर को भी दो-तीन साल के लिए राष्ट्रपति शासन लगाकर शांत करना होगा। किसी भी देश में विकास के लिए शांति बहुत जरूरी है।
अर्जुन मुंडा के कैबिनेट मंत्री बनने को किस रूप में देखते हैं?
अर्जुन मुंडा के पास व्यापक अनुभव है। वे ना केवल झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे, बल्कि आदिवासियों की स्थिति भी अच्छी तरह जानते-समझते हैं। मोदी जी ने उन्हें आदिवासी मामले मंत्रालय देकर अच्छा किया है। जब तक गरीब से गरीब व्यक्ति का जीवन बेहतर नहीं होगा, विकास का कोई मतलब नहीं है। मुझे पूरी उम्मीद है कि आदिवासियों की बेहतरी के लिए मुंडा जी अच्छा काम करेंगे।
सवाल : केंद्र की आवास व आयुष्मान योजना कितनी प्रभावी है?
आवास योजना पहले की सरकारों में भी थीं, लेकिन इसमें किसी वीरान जगह पर गरीबों को घर बनाकर दिए जाते थे। अपने समाज से कट जाने की वजह से लोग वहां नहीं रहते थे। नतीजा घर खंडहर बनकर गिर जाते थे। इस सरकार ने गरीबों को उनकी जमीन पर मकान देना शुरू किया, जिससे लोग खुश हैं। सिर्फ घर नहीं, उसमें शौचालय और बिजली लगाकर दे रही है। झारखंड में तो रघुवर सरकार गैस चूल्हा भी दे रही है। आयुष्मान योजना से भी गरीब पांच लाख तक का इलाज मुफ्त में करा रहे हैं। इससे पहले किसी गरीब इलाज का खर्च सुनकर ही हताश हो जाते थे। अब तो उनमें यह साहस आया है कि पांच लाख तक का इलाज हो जाएगा। यह छोटी बात नहीं है।
परिचय
शुभेंद्र कुमार बेहरा
वाइस चेयरमैन सह मैनेजिंग डायरेक्टर, आरएसबी ट्रांसमिशंस (इंडिया) लिमिटेड, पूर्व चेयरमैन, एमएसएमई पैनल, सीआइआइ, ईस्टर्न रीजन।
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