jharkhand politics: खत्म नहीं हो रही कांग्रेस में किचकिच, अब पूर्व मंत्री ने प्रदेश अध्यक्ष पर उठाये सवाल
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस की किचकिच कम होने का नाम नहीं ले रही है। झारखंड प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार को अब एक पूर्व विधायक ने कठघरे में खड़ा किया है।
By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 30 May 2019 03:07 PM (IST)Updated: Thu, 30 May 2019 03:07 PM (IST)
v style="text-align: justify;">जमशेदपुर, जेएनएन। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस की किचकिच कम होने का नाम नहीं ले रही है। झारखंड प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार को अब एक पूर्व विधायक ने कठघरे में खड़ा किया है। झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री व जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक बन्ना गुप्ता इस बात से हैरान हैं कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार उनसे खफा हैं।
बन्ना कहते हैं कि डॉ. अजय को मैंने ही कांग्रेस में लाया था। आज भी वे मेरे लिए सम्मानित अध्यक्ष और अभिभावक हैं। मैंने उनके या किसी के खिलाफ मौखिक या लिखित शिकायत नहीं की है, तो क्यों खफा हैं। यदि उन्हें मुझसे कोई शिकायत है, तो सीधे बात क्यों नहीं करते।
ये उठाये सवाल
उन्हें दूसरे माध्यमों से पता चल रहा है कि जमशेदपुर लोकसभा में महागठबंधन की हार के लिए मुझे दोषी ठहराया जा रहा है, जबकि सच्चाई इससे उलट है। मैंने ना केवल महागठबंधन के प्रत्याशी चंपई सोरेन के लिए प्रचार किया, बल्कि मेरे विधानसभा क्षेत्र और मेरे बूथ से महागठबंधन को सबसे ज्यादा वोट मिले। कदमा स्थित मेरे बूथ पर झामुमो को 14.63 फीसद मत मिले, जबकि डॉ. अजय के टेल्को स्थित बूथ पर मात्र 42 वोट पड़े। यही नहीं कांग्रेस के लोकसभा प्रभारी अशोक चौधरी के बूथ पर 10 फीसद वोट और पूर्व जिलाध्यक्ष रवींद्र झा के बूथ पर महागठबंधन का वोट 6.77 फीसद रहा।
जिला अध्यक्ष पर भी सवाल
वर्तमान जिलाध्यक्ष बिजय खां अपने बूथ से 22.70 फीसद वोट ही दिला सके। सभी जानते हैं कि उन्हें छोड़कर जिले के बाकी कांग्रेसी चाईबासा, खूंटी या रांची में कैंप कर रहे थे। बन्ना ने कहा कि उन्होंने बस इतना ही कहा था कि चुनाव में हार की समीक्षा होनी चाहिए, इसमें क्या गलत है। हर पार्टी ऐसा करती है और करना भी चाहिए। इसके अलावा मैंने किसी के बारे में कोई बात नहीं कही। कहना भी होगा तो पार्टी फोरम पर कहूंगा, मीडिया में नहीं। डाक्टर साहब को भी इस बात का ख्याल रखना चाहिए था।
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