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Corona ke saath Bhi - corona Ke Baad Bhi :फूड प्रोसेसिंग प्लांट और कोल्ड स्टोरेज से बदलेगी पूर्वी सिंहभूम की तस्वीर Jamshedpur News

Corona ke saath Bhi - corona Ke Baad Bhi. ये बदलाव की कवायद है। सब्जी के साथ दलहन उत्पादन में भी किसान बनाए जाएंगे आत्मनिर्भर। बाहर से आने वाले युवा ग्रामीण गांव में ही जुड़ सकते हैं कृषि से।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 02 May 2020 05:54 PM (IST)Updated: Sat, 02 May 2020 05:54 PM (IST)
Corona ke saath Bhi - corona Ke Baad Bhi :फूड प्रोसेसिंग प्लांट और कोल्ड स्टोरेज से बदलेगी पूर्वी सिंहभूम की तस्वीर Jamshedpur News
Corona ke saath Bhi - corona Ke Baad Bhi :फूड प्रोसेसिंग प्लांट और कोल्ड स्टोरेज से बदलेगी पूर्वी सिंहभूम की तस्वीर Jamshedpur News

जमशेदपुर, जासं। Corona ke saath Bhi - corona Ke Baad Bhi  लॉकडाउन के दौरान जिस तेजी से गांवों की अर्थव्यवस्था बदलती दिख रही है, उसने कई संभावनाओं को जन्म दे दिया है। लॉकडाउन खत्म होने से पहले ही देश के विभिन्न राज्यों में रोजगार के लिए गए लोग वापस अपने गांव पहुंचेंगे। केंद्र व राज्य सरकार ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। ग्रामीणों व ग्रामीण अर्थव्यवस्था की समझ रखने वाले कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद शहरों की अर्थव्यवस्था डगमगाएगी। काफी संख्या में गांव के लड़के जब आएंगे, तो उनमें से 30 फीसद भी परंपरागत कृषि से जुड़ गए, तो गांवों की तस्वीर बदल जाएगी।

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पूर्वी सिंहभूम जिला सब्जी के लिए विख्यात तो है ही, दलहन की खेती के लिए भी उपयुक्त है। यदि यहां फूड प्रोसेसिंग प्लांट और कोल्ड स्टोरेज बन जाएं, तो यहां के किसानों को आत्मनिर्भर बनने से कोई नहीं रोक सकता। कृषि जैसे परंपरागत पेशे के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्य पालन, फूलों की खेती जैसे कामकाज के प्रति लोगों का व्यवसायिक रुझान बढ़ेगा। पूर्वी सिंहभूम जिले में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संभालने की असीम संभावना है। यहां कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन व फूलों की खेती आदि के लिए अनुकूल परिस्थिति भी है। नहीं हैं तो संसाधन। कृषि कार्य को बढ़ावा देने के लिए यहां न तो समुचित सिंचाई की व्यवस्था है, ना फूड प्रोसेसिंग यूनिट। सब्जी उत्पादन के लिए विख्यात पटमदा और बोड़ाम प्रखंड क्षेत्र में सिंचाई के लिए ना नहर की व्यवस्था है और ना डीप बोरिंग की। किसान बरसात, कुछ तालाब और प्राकृतिक जलस्रोतों पर ही आश्रित रहते हैं।

सब्‍जी उत्‍पादकों का बुरा हाल

सब्जी का उत्पादन अधिक होने और उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण प्रतिवर्ष किसान अपनी फसल खेत में ही छोड़ देते हैं या सड़क किनारे फेंक देते हैं। अब जब रोजगार के लिए जिले से बाहर गए लोग वापस आएंगे और अपने परंपरागत पेशे कृषि से जुड़ेंगे तो सब्जी, धान समेत अन्य फसलों का उत्पादन बढ़ेगा, लेकिन उसके अनुपात में मांग नहीं बढ़ेगी। ऐसे में फूड प्रोसेङ्क्षसग यूनिट किसानों को अधिक फायदा पहुंचा सकता है। जिले के कई लोग ऐसे हैं जो अन्य प्रदेशों में सॉस, जैम, जेली, अचार, चिप्स आदि फूड प्रोसेसिंग यूनिट में काम करते हैं। पूर्वी ङ्क्षसहभूम जिले में भी इसकी संभावना है। जिले में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों से दाल आता है।

जरूरत भर ही करते दाल की खेती

जिले में दाल का उत्पादन खपत के अनुपात से अधिक होने की संभावना है, लेकिन यहां दाल प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है। इस कारण किसान अपनी जरूरत के अनुसार ही दाल की खेती करते हैं। इसके साथ ही पशुपालन के क्षेत्र में भी लाभुक चयन कर उन्हें योजना का अधिक लाभ देना होगा। हालांकि फिलहाल पशुपालन विभाग से किसी प्रकार की योजना नहीं चलाई जता रही है। सभी योजना जेएसएलपीएस (झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन स्कीम) के माध्यम से संचालित की जा रही हैं।

ऑनलाइन सब्जी बाजार ने खोली उत्पादकों की आंख

कोरोना को लेकर लगे लॉकडाउन में टाटा स्टील ने जोमैटो के माध्यम से सब्जी बाजार को नया आयाम दिया है। इससे पटमदा व बोड़ाम के कई किसानों को एक रास्ता दिखाया है। यदि लॉकडाउन के बाद टाटा स्टील ने सब्जी का ऑनलाइन बाजार बंद भी कर दिया, तो किसान समूह बनाकर इसे जारी रख सकते हैं। इससे किसानों की ग्राहकों तक सीधी पहुंच हो रही है, जिससे उन्हें फसल का उचित मूल्य भी मिल रहा है।

कृषि विभाग फूड प्रोसेसिंग प्लांट की बना रहा रूपरेखा

लॉकडाउन के बाद पूर्वी सिंहभूम जिला कृषि विभाग की ओर से सरकार को जिले में ङ्क्षसचाई सुविधा बेहतर बनाने के साथ फूड प्रोसेङ्क्षसग यूनिट के लिए प्रस्ताव भेजेगा। जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कुमार काङ्क्षलदी ने बताया कि लॉकडाउन के बाद जिला में सिंचाई व्यवस्था बेहतर बनाने, कोल्ड स्टोरेज और फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा। इसके साथ ही जिले के कृषि उत्पादन को दूसरे प्रदेशों में भेजने की व्यवस्था की जाएगी। 

जिले में बनेंगे मत्स्य मित्र, बहुरेगा मछली बाजार

लॉकडाउन के बाद मत्स्य विभाग भी उत्पादन बढ़ाने के लिए कार्ययोजना बना रहा है। मत्स्य विभाग के सचिव ने जिला के हर दो पंचायत से एक 'मत्स्य मित्र' का नाम चयनित कर भेजने का निर्देश दिया है। ये ना केवल मछली पालन को प्रोत्साहित करेंगे, बल्कि मछली बाजार को व्यापक आयाम देंगे। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि लॉकडाउन के बाद मत्स्य विभाग की ओर से भी कुछ नई योजना पर काम शुरू हो सकता है। 


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