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जमशेदपुर की इस महिलाा ने पहली बार लांघी घर की दहलीज, 8 हजार खर्च कर कमाए सवा लाख रुपये

कभी एक-एक रुपये के लिए मोहताज जमशेदपुर से सटे हितकू पंचायत के खुखराडीह की महिलाएं आज खेती में पुरूषों को मात दे रही हैं।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 10:49 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 10:49 AM (IST)
जमशेदपुर की इस महिलाा ने पहली बार लांघी घर की दहलीज, 8 हजार खर्च कर कमाए सवा लाख रुपये
जमशेदपुर की इस महिलाा ने पहली बार लांघी घर की दहलीज, 8 हजार खर्च कर कमाए सवा लाख रुपये

जमशेदपुर (जासं) । कभी एक-एक रुपये के लिए मोहताज जमशेदपुर से सटे हितकू पंचायत के खुखराडीह की महिलाएं आज खेती में पुरूषों को मात दे रही हैं। गांव की 12 महिलाओं की समिति ने एक ही साल में  50 डिसमिल जमीन पर 13 टन तरबूज उगाकर मिसाल कायम की है। समिति की महिलाओं ने खुद मेहनत कर एक साल में ही सवा लाख रुपये की कमाई की।

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गांव की महिला डॉली मुर्मू कहती हैं कि मेरे पिता धनंजय मुर्मू गैराज में काम करते हैं, घर बहुत ही मुश्किल से चलता था। मैं किसी तरह इंटर तक पढ़ाई की। मेरे पास 50 डिसमिल जमीन थी जो कि बंजर पड़ी हुई थी। एक दिन टाटा पावर एसएचजी ग्रुप एडेंट की दीदी सकुंतला आईं। उन्होंने कहा कि तुम्हारे 50 डिसमिल जमीन है, उस पर खेती करो हम सहयोग करेंगे। सकुंतला दीदी के कहने पर मैनेे हां बोला और इसके बाद गांव की 12 महिलाओं का एक समूह बनाकर खेती किया। जिसमें करीब 8 हजार रुपये खर्च कर खेती की और सफल हुई। 

खेती करने वाली पवन उर्जा समूह की महिलाएं 

अध्यक्ष सोनामुनी मुर्मू , सचिव डॉली मुर्मू, कोषाध्यक्ष सोमा मुर्मू, सदस्य के रुप में सिंधू मार्डी, नियोति भूमिज, अंगूरी सरदार, ममता सिंह, सुनीला हांसदा, गौरी महापात्रा, मालती मार्डी व सविता गोप शामिल है। 

12 महिलाओं ने 20-20 रुपये से जमा किए 12 हजार

सभी महिलाओं ने मिलकर एक समूह बनाया, जिसका नाम पवन उर्जा समूह रखा। समूह में 12 महिलाएं प्रत्येक सप्ताह 20 रुपये जमा करने लगीं। इसके बाद उन्होंने तरबुज का 7000 पाैधा लगाया। जिससे 13 टन तरबूज की उपज हुई। 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से उन्होंने करीब सवा लाख रुपये की तरबूज बिक्री की। उक्त रुपये को बैंक खाते में जमा कर दिए हैं। डॉली ने बताया कि अब उनकी महिला समूह ने ठान लिया है कि पुरूषों पर ही खेती निर्भर नहीं करता बिल्क यदि महिलाएं जो काम ठान ले उसे पूरा करना है। यही कारण है कि खेत से तरबूज खत्म होते ही खीरा लगाए हैं।


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