आगजनी के छह दिन बाद भी इस्कॉन मंदिर समेत कई घरों में अंधेरा
करीब 20 वर्ष से बंद पड़ी इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबुल कंपनी) के जेनरल आफिस में दो जनवरी को आग लग गई थी।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : करीब 20 वर्ष से बंद पड़ी इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबुल कंपनी) के जेनरल आफिस में दो जनवरी को आग लग गई थी। इससे आफिस में रखे दस्तावेज-कंप्यूटर तो जलकर खाक हो ही गए, इसका खामियाजा आसपास के लोग अब तक भुगत रहे हैं। आगजनी की घटना के छह दिन बाद भी इस्कॉन मंदिर समेत आसपास के चार फ्लैट-बिल्डिंग में अंधेरा कायम है। इसमें रोचक बात यही है कि जब जेनरल आफिस में आग लगी, तो सबसे पहले यही आशंका जताई गई थी कि शायद शॉर्ट सर्किट से आग लगी होगी। जब लोगों को पता चला कि आफिस में तो बिजली है ही नहीं। लाइन कटे हुए कई वर्ष हो गए हैं। लेकिन जेनरल आफिस की आग से बिजली का वह जंक्शन बॉक्स जल गया, जिससे इस्कॉन मंदिर समेत आसपास के बिल्डिंग तक बिजली पहुंचती थी। चौथी बार आग लगने की घटना से तरह-तरह की आशंका होने लगी, क्योंकि नौ जनवरी को केबुल कंपनी के अधिग्रहण मामले में एनसीएलटी में सुनवाई होनी है। विधायक सरयू राय ने इसकी शिकायत तत्काल झारखंड सरकार के आला अधिकारियों से की, जिसके बाद रांची से फोरेंसिक जांच के लिए टीम भी आई थी। चूंकि जांच अब तक पूरी नहीं हुई है, इसलिए पुलिस ने पूरे जेनरल आफिस परिसर को अपने कब्जे में रखा है। चौबीस घंटे पुलिस वहां पहरा दे रही है। इसकी वजह से जले हुए जंक्शन बॉक्स व बिजली के तार की मरम्मत नहीं हो पा रही है। बिजली कटने से परेशान लोग जुस्को कार्यालय गए, तो उनसे कहा गया कि पुलिस से अनुमति लेकर आएं, तभी मरम्मत हो सकती है। पुलिस परिसर के अंदर किसी को जाने नहीं दे रही है। इसके बाद जब स्थानीय लोग पुलिस अधीक्षक से मिले, तो वहां से जवाब मिला कि इसके लिए जिला पुलिस को भी रांची मुख्यालय से अनुमति लेनी होगी। इसके बाद से वहां के लोग निराश हो गए हैं।
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वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी
केबुल कंपनी के जेनरल आफिस में आगजनी की जांच पूरे होने में कितना वक्त लगेगा, कोई नहीं बता पा रहा है। ऐसे में इस्कॉन मंदिर (केबुल हाउस), पास के केबुल गेस्ट हाउस के अलावा 12-12 क्वार्टर वाले दो फ्लैट के लोग वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार कर रहे हैं। इनका प्रयास है कि जुस्को कहीं दूसरी जगह से उन्हें बिजली का कनेक्शन दे दे। आखिर वे कब तक अंधेरे में रहेंगे। ज्ञात हो कि केबुल कंपनी बंद होने के बाद करीब पांच साल तक पूरी कालोनी में बिजली नहीं थी।