सिनेप्रेमियों के दिलों में छा गए सिनेमा व टीवी कलाकार मनोज व सीमा पाहवा Jamshedpur News
कॉमेडी शो से ख्याति प्राप्त करनेवाले मनोज पाहवा व सीमा पाहवा ने जागरण फिल्म फेस्टिवल में सिनेप्रेमियों के साथ की गंभीर बातें
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। दसवें जागरण फिल्म फेस्टिवल के तीसरे व अंतिम दिन रविवार को चिंटू का बर्थडे, कोटा फैक्ट्री सहित अन्य फिल्मों के साथ दर्शकों ने भरपूर मनोरंजन किया। अंतिम दिन का खास आकर्षण रहा टीवी व फिल्म कलाकार मनोज पाहवा और सीमा पाहवा से दर्शकों का सीधा संवाद। ऑफिस-ऑफिस सहित विभिन्न कॉमेडी सीरियल से ख्याति प्राप्त करनेवाले मनोज पाहवा व देश के पहले सोप ओपेरा हमलोग में बड़की का किरदार से चर्चित हुई सीमा पाहवा ने अपने निजी जिंदगी, कलाकार के रूप में अबतक के सफर के बारे में खुलकर बातें की।
ग्लैमर की दुनिया की उन वास्तविकताओं को भी सामने रखा जिससे सीधे तौर पर लोग अनजान रहते हैं। इस कलाकार दंपती से सवालों सिलसिला शुरू हुआ तो रुकने का नाम नहीं ले रहा था। दोनों के टीवी सीरियल के सफर से बात शुरू हुई तो हालिया फिल्मों चिंटू का बर्थडे व आर्टिकल 15 तक चर्चा होती रही। चिंटू का बर्थडे में सीमा पाहवा व आर्टिकल 15 में मनोज पाहवा के अभिनय को दर्शकों की खूब सराहना मिली है। फिल्म या सीरियल में रोल को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में मनोज पाहवा ने कहा कि कभी हड़बड़ाना नहीं चाहिए। प्रयत्न जारी रहने पर सही वक्त पर अच्छी भूमिका जरूर मिलती है। उस अवसर के लिए खुद को तैयार रखना होता है। कमल हासन की हे राम के अलावा सी हॉक, आर्टिकल 15 जैसी फिल्मों का हिस्सा बनना अपने आप में एक सुखद अहसास है।
यह अच्छी फिल्मों का दौर : सीमा पाहवा
पहले और आजकल बन रही फिल्मों व इनके किरदार को लेकर पूछे गए सवाल पर सीमा पाहवा ने कहा कि कई बार प्रोड्यूसर के अनुसार समझौता करना पड़ता है लेकिन कई ऐसे प्रोड्यूसर भी हैं जो यह चाहते हैं कि फिल्म अच्छी बने। भले ही आर्थिक फायदा न हो या कम हो। आजकल अच्छा सिनेमा आ रहा है और लोग देख भी रहे हैं। हम अपने मन मुताबिक सिनेमा बना सकते हैं। वितरक नहीं भी मिले तो नेटफ्लिक्स व अमेजन जैसी कंपनियां खरीद लेती हैं। कुल मिलाकर फिल्म मूलत: मनोरंजन का साधन है। सीमा ने खुद एक फिल्म पिंडदान का निर्माण किया है। एक प्रोड्यूसर के रूप में अपने अनुभव के बारे में कहा कि फिल्म निर्माण में सबकुछ पर ध्यान देना होता है। वहीं यह संतुष्टि रहती है कि मन मुताबिक फिल्म बना सकते हैं।
इन दर्शकों ने पूछे सवाल
प्रशांत, नफीस, मेधा, यश, सिद्धांत, दीपांकर मुखर्जी, नीरा, प्रणय पांडा, मानविका, नयन, तरन्नुम आमीन, श्रीराज, प्रणय, आरती, सृष्टि सहित अन्य।
भविष्य की फिल्मों में भी बिहार से जुड़ाव महसूस करेंगे दर्शक : देवांशु
अपनी पहली फिल्म से ही सिनेप्रेमियों के दिल में जगह बना चुके फिल्म निर्देशक देवांशु सिंह अपनी फिल्म चिंटू का बर्थडे की स्क्रीनिंग के बाद दर्शकों से रूबरू हुए। उन्होंने अपने सफरनामे को साझा करते हुए बताया कि बचपन से ही फिल्ममेकर बनने की तमन्ना थी। यह तमन्ना ही बिहार के मुंगेर से मुंबई खींच ले गई। खुद को इसके लिए तैयार किया। बड़े भाई सत्यांशु आम्र्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। काफी डिस्कशन के बाद उन्होंने अपने हॉस्टल में ही सौ पन्ने की कहानी लिखी। इसमें इराक युद्ध जैसे हालात में फंसे एक बिहारी परिवार की कहानी है। परिवार के बच्चे चिंटू के बर्थडे के साथ जोड़कर वहां के हालात को फिल्म में दिखाया गया है। देवांशु ने कहा कि बिहार से जुड़ाव के चलते उनकी कोशिश रहेगी कि आगे की फिल्मों में बिहार की झलक रहे। उन्होंने बताया कि चिंटू का बर्थडे फिल्म की कहानी 2007 में लिखी गई। तमाम स्थितियों से गुजरते हुए 2017 में फिल्म की शूटिंग सिर्फ 18 दिन में पूरी कर ली गई।
तीसरे दिन इन फिल्मों की हुई स्क्रीनिंग
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