तख्त श्री हरमंदिर साहिब पटना के पत्र के बाद जमशेदपुर सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में घमासान
तख्त श्री हरमंदिर साहिब पटना के पत्र के बाद जमशेदपुर स्थित सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की राजनीति में घमासान मच गया है। अध्यक्ष गुरमुख सिंह मुखे ने पटना तख्ती श्री हरमंदिर कमेटी के नवनिर्वाचित महासचिव इंदरजीत सिंह को जिम्मेदार बताया।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। तख्त श्री हरमंदिर साहिब पटना के द्वारा जारी किए गए पत्र के बाद जमशेदपुर स्थित सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की राजनीति में घमासान मच गया है। अध्यक्ष गुरमुख सिंह मुखे ने बयान जारी करते हुए इन सबके लिए पटना तख्ती श्री हरमंदिर कमेटी के नवनिर्वाचित महासचिव इंदरजीत सिंह को जिम्मेदार बताया। कहा कि उनके महासचिव बनने के बाद ही ज्ञानी रंजीत सिंह ने प्रभाव में आकर यह कार्रवाई की है।
बकौल मुखे, मैं दावे से कह सकता हूं कि इंदरजीत के महासचिव बनने के बाद ही जत्थेदार ज्ञानी जी ने मुझे टारगेट करते हुए किसके कहने पर कार्रवाई की, यह सभी को समझने की जरूरत है। क्योंकि धार्मिक मामले में तख्त साहेब बिना संबधित व्यक्ति का पक्ष जाने, उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है। मुखे का कहना है कि राजनीतिक षडयंत्र रचकर तथाकथित शूटर को पकड़कर मुझे विरोधियों ने जेल भिजवाया। लेकिन जेल से छूटने के बाद मेरे विरोधी इसे पचा नहीं पा रहे हैं। जिस दिन न्यायालय से मुझे सजा होगी मैं गुरुद्वारा कमेटी सहित सभी सामाजिक संस्था से इस्तीफा दे दूंगा। सेंट्रल गुरुद्वारा का अपना संविधान है और हमारा कार्यकाल वर्ष 2022 में पूरा होगा। क्योंकि इंदरजीत सिंह ने ही चुनाव हारने के बाद हिसाब-किताब देने में काफी समय लगाया और उन्होंने जिस दिन मुझे जिम्मेदारी सौंपी, आमसभा में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उसी दिन से मेरा कार्यकाल शुरू किया। उन्होंने कहा कि मैं भी पांच सिंह साहिबान के आदेश का पालन कर रहा हूं। अगर उस आदेश में संशोधन होता है तो मैं निश्चित रूप से उसका अनुपालन करूंगा।
गुरमुख सिंह के आरोप निराधार और तर्कहीन : इंदरजीत
तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब प्रबंधन कमेटी के महासचिव सरदार इंद्रजीत सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा कि गुरमुख सिंह मुखे के आरोप निराधार हैं, तर्कहीन हैं और सच्चाई से कोसों दूर है। जत्थेदार ज्ञानी सिंह साहब रंजीत सिंह ने गुरमुख सिंह और सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के संबंध में जो फैसला लिया है वह पंथिक परंपरा, इतिहास, विरासत, दृष्टांत के मद्देनजर लिया होगा। तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब प्रबंधन कमेटी, तख्त के प्रबंधन कार्यों तक सीमित रहती है। पंथ से जुड़े धार्मिक व सामाजिक मामलों में जत्थेदार पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं और वह कोई भी फैसला लेते हैं। जत्थेदार के फैसले पर सवाल उठाने की सिख पंथ में कोई मिसाल नहीं है। पूर्वी भारत के राज्यों में रहने वाले सिखों के पंथिक एवं सामाजिक मामलों में फैसले लेने का शीर्ष अधिकार तख्त श्री हरमंदिर साहिब पटना के जत्थेदार सिंह साहब को है। हर सच्चा सिख जत्थेदार साहब के आदेश को शिरोधार्य करता है और उसका अनुपालन करता है, उसमें किंतु-परंतु नहीं करता है। मेरा गुरमुख सिंह से तो व्यक्तिगत कोई विवाद नहीं है। सभी लोग गुरमुख सिंह और शिकायतकर्ता गुरुचरण सिंह बिल्ला के बारे में जानते हैं। दोनों के बीच फौजदारी व आपराधिक मामला है और ऐसे में पंथ के हित में जो उचित होना चाहिए उसे देखते हुए जत्थेदार सिंह साहब ने फैसला किया होगा। मैं गुरमुख सिंह को सलाह देता हूं कि वह जमशेदपुर में पंथ की चढ़दी कला के लिए इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाने की बजाए समाज की मजबूती का फैसला माने।