धक्का देकर प्रैक्टिस को भेजते थे मम्मी-पापा
जमशेदपुर एफसी का स्थानीय सितारा गौरव मुखी आज भी यह सपने जैसा ही लगत
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जमशेदपुर एफसी का स्थानीय सितारा गौरव मुखी आज भी यह सपने जैसा ही लगता है कि वह अपने शहर की पेशेवर टीम का हिस्सा हैं। कदमा स्थित फ्लैटलेट में पत्रकारों से बातचीत करते हुए धतकीडीह के हरिजन बस्ती के रहने वाले गौरव मुखी ने बताया, अभी मैं जो कुछ भी हूं, अपने माता-पिता की वजह से हूं। यदि वे मेरे पीछे नहीं लगे होते, तो शायद आज भी मैं धतकीडीह के मैदान पर ही सुबह-शाम दौड़ रहा होता।
गौरव ने पुराने दिनों को याद करते ए कहा कि अभ्यास में देर होने पर पिता छोटेलाल मुखी जहा छड़ी लेकर मुझे खोजा करते थे, वहीं मेरी मा विजयश्री मुझे तंदरुस्त रखने के लिए दूसरे के घरों में काम करती थी। पाच भाई-बहनों में सबसे छोटे गौरव मुखी ने कहा कि यह मेरे माता-पिता की ही देन है कि कल तक मैं अपनी बस्ती (धतकीडीह) में खड़े होकर जेएफसी के जिस फ्लैट लेट को निहारा करता था, आज उसी फ्लैट लेट में देश-विदेश के नामचीन खिलाड़ियों के साथ रहकर काफी कुछ सीख रहा हूं।
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गौरव के पिता भी रह चुके हैं फुटबॉलर गौरव के पिता छोटेलाल मुखी, चाचा पिट्टन मुखी व भाई तन्नु मुखी भी फुटबॉलर रह चुके हैं। गौरव ने 2009-10 में धतकीडीह स्थित ठक्कर बापा क्लब के मैदान पर अपने फुटबॉल जीवन की शुरुआत की और महज तीन साल जेएसए लीग खेलकर जेएफसी तक का सफर तय कर लिया। गौरव ने जेएसए लीग में दो साल मो. स्पोर्टिंग और एक साल टाटा स्टील के लिए खेला।
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इसी साल जेएफसी रिजर्व्स में हुआ चयन
गौरव मुखी का चयन इसी साल जेएफसी की जूनियर टीम में हुआ। इस टीम में रहते हुए गौरव ने सेकेंड डिवीजन आई लीग
में छह गोल दागे और यहीं से उसके लए जेएफसी की सीनियर टीम में पहुंचने का रास्ता भी साफ हो गया। जेएफसी सीनियर टीम का हिस्सा बनने के बाद गौरव को इसी साल 13 अगस्तस को प्री सीजन अभ्यास के लिए जेएफसी खिलाड़ियों के साथ स्पेन जाने का मौका मिला। वहा खेले गए पाच अभ्यास मैचों में गौरव ने तीन गोल करके टीम के नये कोच सीजर फेराडो को भी प्रभावित कर दिया।
स्थानीय फुटबॉल से अलग है पेशेवर फुटबॉल
गौरव का मानना है कि हमलोग थकानवाली फुटबॉल खेलते हैं। जहा हमलोग गेंद लेकर लंबा भागने की कोशिश करते हैं, पर स्पेनिश फुटबॉल में छोटे-छोटे पास का प्रचलन है। स्पेन में 90 मिनट का खेल कब निकल जाता था, कुछ पता ही नहीं चलता था। जब गौरव से यह कहा गया कि तुम जिस बस्ती (धतकीडीह) से आते हो, वहा घर-घर में फुटबॉल के प्रति जुनून देखने को मिलता है। ऐसे में अपने बस्ती के फुटबॉलरों के लिए क्या कहना चाहोगे। इस पर गौरव का कहना था-संभलकर रहो और जमकर खेलो। गौरव ने कहा कि संभलकर रहने से मेरा मतलब यह है कि अभ्यास के बाद आप कुछ भी ऐसा न करें, जिससे आपके शरीर को नुकसान हो तथा खान-पान में उन चीजों को ही प्राथमिकता दें, जो शरीर के लिए फिट हो।
वैसे गौरव ने यह भी स्वीकारा कि वह भी अपनी मा के हाथों का मसालेदार भोजन करके ही जेएफसी के फ्लैट लेट में पहुंचा है, लेकिन यहा आने के बाद उसे पता चला कि एक अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए खान-पान में कितनी सतर्ककता बरतनी चाहिए।