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आधार कार्ड, अंगूठे के निशान और ई-पॉश मशीन की चक्की में पिस रहे भूखे पेट Jamshedpur News

पूर्वी सिंहभूम पश्चिम सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले की चंद कहानियां ही जनवितरण प्रणाली की दुकानों की पोल खोलने के लिए काफी है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 12:38 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 05:01 PM (IST)
आधार कार्ड, अंगूठे के निशान और ई-पॉश मशीन की चक्की में पिस रहे भूखे पेट Jamshedpur News
आधार कार्ड, अंगूठे के निशान और ई-पॉश मशीन की चक्की में पिस रहे भूखे पेट Jamshedpur News

व्यवस्था कठघरे में

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  •  गांवों में आधार कार्ड के बिना राशन कार्ड भी साबित हो रहे बेकार
  •  किसी भी जिले में जरूरतमंदों के बीच समय पर नहीं बंट रहा राशन

 जमशेदपुर, जेएनएन। कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिलों में राज्य सरकार की जनवितरण प्रणाली जरूरतमंदों के लिए वर्षों से परेशानी का सबब बनी हुई है। राशन की उम्मीद में झोला लेकर हर दिन दुकान तक जाना और किसी न किसी कारण से मायूस होकर घर लौट आना नियति बन गई है।

एक दो दिन नहीं, साल डेढ़ साल से जरूरतमंद चक्कर काट रहे हैं लेकिन, उन्हें राशन नसीब नहीं। कई जगह हंगामे होते हैं। अधिकारियों तक बात पहुंचती है। चंद रोज के लिए सिस्टम में सुधार होता है, फिर सबकुछ पुराने ढर्रे पर ही लौट आता है। यह स्थिति कोल्हान ही नहीं, झारखंड के अन्य जिलों में भी है। लातेहार के बरवाडीह में 70 वर्षीय विपती देवी को सिर्फ इसलिए एक साल से राशन नहीं मिल रहा है, क्योंकि अंगूठे के निशान साफ नहीं हैं। उनके पास आधार कार्ड नहीं है। राशन कार्ड में केवल पति का नाम था। उनकी मौत के बाद विपती देवी को राशन मिलना बंद हो गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जब ट्विटर पर इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने री-ट्वीट कर प्रशासन को राशन दिलाने का निर्देश दिया। कोल्हान के गांवों में भी जब आप नजर दौड़ाएंगे तो कई ऐसे मामले सामने आ जाएंगे। राशन दुकान का वर्षों से चक्कर काट रहे कई जरूरतमंद मिल जाएंगे।

पिछले डेढ़ वर्षों से नोवामुंडी की शनिवारी को नहीं मिल रहा राशन

पश्चिम सिंहभूम जिले के नोवामुंडी प्रखंड की पेटेता पंचायत के लतार कुन्द्रीझोर गांव की 70 वर्षीय शनिवारी देवी को पिछले डेढ़ वर्षों से राशन नहीं मिल रहा है। उनके पास अंत्योदय कार्ड है, लेकिन आधार कार्ड नहीं है। पति जयद्रथ पान के निधन के बाद वह अकेली हो गईं। एक वर्ष तक डीलर श्याम सुंदर तुबिड 10 किलो अनाज उपलब्ध करा रहे थे। ई-पोश मशीन आने के बाद राशन देना बंद कर दिया। शनिवारी देबी ने बताया कि किसी तरह दो बेटों की देखभाल करती हैं। कहती हैं, जनवितरण प्रणाली की दुकान से अब भरोसा उठ गया है।

आधार कार्ड नहीं होने से तीन साल से राशन को भटक रहीं पानो देवी

पश्चिम सिंहभूम जिले के नोवामुंडी प्रखंड की पेटेता पंचायत के बड़ा कुन्द्रीझोर गांव के 60 वर्षीय दशरथ पान और 55 वर्षीय उनकी पत्नी पानो देवी के पास आधार कार्ड नहीं है। पानो देवी के पास सफेद कार्ड है। लेकिन, आधार कार्ड नहीं होने के कारण तीन साल से राशन नहीं मिल रहा है। पानो देवी कहती हैं कि आधार कार्ड बनवाने के लिए जेटेया स्थित प्रज्ञा केंद्र का चक्कर लगा कर थक चुकी हैं। पुख्ता दस्तावेज नहीं होने के कारण आधार कार्ड भी नहीं बन रहा है। डीलर आधार कार्ड की मांग पर अड़ा हुआ है। पानो देवी कहती हैं कि अब उनके पास दौडऩे की शक्ति भी नहीं रही।

अंगूठे का निशान साफ नहीं उठने से जिरबला राशन से हो गए वंचित

पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा प्रखंड की गोबरघुसी पंचायत के कुंदरुकोचा टोला की जिरबला कर्मकार भी राशन पाने के लिए वर्षों से कवायद में जुटे हैं। बताते हैं कि उन्हें वर्ष 2018 के फरवरी में ही राशन मिला था। इसके बाद अंगूठे का निशान साफ नहीं उठने के कारण राशन नहीं मिल रहा है। डीलर के पास जाते हैं, कोई पहल करने के लिए आग्रह करते हैं, लेकिन मशीन का हवाला देकर टरका दिए जाते हैं। जिरबला कर्मकार कहते हैं कि परिवार में इकलौते हैं, इस कारण कोई दूसरा रास्ता नहीं दिख रहा है। कोई मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है।

चंद रोज पहले ही आदित्यपुर में राशन के लिए चुका है हंगामा

सरायकेला-खरसावां जिले के आदित्यपुर शहर के खानबाड़ी मोहल्ले में इसी माह 28 जनवरी को बड़ी संख्या में जरूरतमंद लोगों ने सरकारी जनवितरण प्रणाली की दुकान के समक्ष प्रदर्शन किया। उनका आरोप था कि दिसंबर व जनवरी का राशन नहीं मिल रहा है। दुकानदार ई-पॉश मशीन खराब होने की बात कह रहा है। जरूरतमंदों के हो-हंगामे के बाद जब मामला आपूर्ति विभाग के वरीय अधिकारियों तक पहुंचा तो दुकानदार ने सूचना जारी कर पांच फरवरी को राशन बांटने की बात कही। यह भी खुलासा हुआ कि ई-पॉश मशीन खराब थी जो ठीक हो चुकी है।

दैनिक जागरण में खबर छपने के बाद धीरेंद्र को अब मिलेगा राशन 

पूर्वी सिंहभूम जिले के गालूडीह क्षेत्र की बागोरिया पंचायत की गुरझोर सबर बस्ती में रहने वाले धीरेंद्र सबर को 11 माह से राशन नहीं मिल रहा था। दैनिक जागरण में जब खबर प्रकाशित हुई तो प्रखंड विकास पदाधिकारी संजय कुमार दास और अंचल पदाधिकारी रिंकू कुमार सक्रिय हुए। उन्होंने आपूर्ति पदाधिकारी फिलिप्स आनंद एक्का को तलब किया। हर हाल में धीरेंद्र सबर को राशन मुहैया कराने का निर्देश दिया। फिर दुकानदार सुब्रतो दत्ता को कार्यालय बुलाकर कहा गया कि धीरेंद्र सबर के पिता के राशन कार्ड से नाम हटाकर सीधे राशन उपलब्ध कराया जाए। प्रशासन की मानें तो धीरेंद्र सबर को फरवरी से राशन मिलेगा।


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