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Sports Day 2019 : बेटी को विश्व चैंपियन बनाने के लिए पिता ने बेच दिया घर, ऐसी है कोमलिका की कहानी

विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली कोमलिका बारी के पिता ने अपनी बिटिया का सपना पूरा करने के लिए घर तक बेच दिया था।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 08:02 AM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 02:35 PM (IST)
Sports Day 2019 : बेटी को विश्व चैंपियन बनाने के लिए पिता ने बेच दिया घर, ऐसी है कोमलिका की कहानी
Sports Day 2019 : बेटी को विश्व चैंपियन बनाने के लिए पिता ने बेच दिया घर, ऐसी है कोमलिका की कहानी

जमशेदपुर, जितेंद्र सिंह।  किसी भी खिलाड़ी की सफलता के पीछे उसके परिवार का त्याग छिपा होता है। आर्थिक रूप से कमजोर विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली कोमलिका बारी की जीत पर आज पूरा देश गर्व कर रहा है।

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इस उपलब्धि का श्रेय जहां कोमलिका की मेहनत, संकल्प और उसके हौसले को जाता है वहीं उसे तराशने में कोमलिका के पिता घनश्याम बारी का भी कम योगदान नहीं है। उन्होंने अपनी बिटिया का सपना पूरा करने के लिए अपना घर तक बेच डाला था। हालांकि टाटा तीरंदाजी अकादमी में दाखिला होने के बाद कोमलिका की मुश्किलें कुछ कम हुइ और उसने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय तीरंदाज

17 साल की कोमलिका ने इसी सप्ताह स्पेन के मैड्रिड में आयोजित विश्व यूथ तीरंदाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पर निशाना साधा था। वह विश्व युवा तीरंदाजी में पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय हैं। झारखंड की ही दीपिका कुमारी ने इस प्रतियोगिता में 2009 में और 2011 में विश्व जूनियर ताज जीता था। इसके अलावा पल्टन हांसदा 2006 में मिश्रित विश्व जूनियर पुरुष चैंपियन थे। ये सभी खिलाड़ी टाटा तीरंदाजी अकादमी, जमशेदपुर से जुड़े थे।

शुरुआत में एथलीट बनना चाहती थी कोमलिका
कोमलिका की मां लक्ष्मी बताती हैं कि वह पहले अपनी बिटिया को खिलाड़ी बनाना चाहती थी। शुरुआत में उसे ऊंची कूद व लंबी कूद में ज्यादा रुचि थी। पर माता-पिता की इच्छा थी कि वह ऐसा खेल चुने, जिसमें लंबा कॅरियर हो। कोमलिका के शुरुआती कोच सुशांतो ने बताया कि 2012 में तार कंपनी स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में समर कैंप का आयोजन किया गया था, जिसमें कोमलिका शिक्षा निकेतन की छात्रा के रूप में शामिल हुई थी। वह अपने चचेरे भाई राजकुमार बारी के साथ प्रतिदिन साइकिल पर सवार होकर अभ्यास के लिए आती थी। एक महीने का समर कैंप तो खत्म हो गया, लेकिन कोमलिका ने अभ्यास जारी रखा और वह सेंटर की नियमित प्रशिक्षु बन गई। 2016 में टाटा तीरंदाजी अकादमी की द्रोणाचार्य पुरस्कार कोच पूर्णिमा की नजर उस पर पड़ी और उन्हें अकादमी में शामिल कर लिया। बाद में पूर्णिमा ने उसे रिकर्व तीरंदाजी सिखाया।

डिमना रोड में होटल चलाते हैं कोमलिका के पिता


कोमलिका के पिता घनश्याम बारी मानगो के डिमना रोड में छोटा होटल चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। कोमलिका को बचपन से ही खेल से लगाव था।

जयंत तालुकदार व दीपिका कुमारी ने बढ़ाया मनोबल


मैड्रिड से लौटने के दूसरे दिन बुधवार को कोमलिका टाटा तीरंदाजी अकादमी ग्र्राउंड में अभ्यास करती नजर आई। उन्होंने बताया कि स्वर्णपरी दीपिका कुमारी व जयंत तालुकदार समय-समय पर उनका मनोबल बढ़ाते रहते हैं। उन्होंने कहा कि सही मायने में टाटा तीरंदाजी पहुंचने के बाद निशानेबाजी पर ध्यान दिया। सीनियर तीरंदाजों के साथ अभ्यास के दौरान मुझे पता चला कि शांति व धैर्य कैसे बनाए रखना है और विभिन्न परिस्थितियों को कैसे संभालना है। कोच सुरेंद्र व अनिल कुमार की भी शुक्रगुजार हैं।
सैफ खेलों में मिली पहली अंतरराष्ट्रीय सफलता
इसी साल फरवरी में ढाका में आयोजित सैफ खेलों में कोमलिका ने टीम स्पद्र्धा में रजत, मिश्रित स्पद्र्धा में स्वर्ण व व्यक्तिगत स्पद्र्धा में कांस्य जीता। अब उनका अगला लक्ष्य तुर्की और जर्मनी में होने वाले विश्व कप, नीदरलैंड में विश्व चैंपियनशिप और ओलम्पिक टेस्ट प्रतियोगिता सहित सीनियर प्रतियोगिताओं में पहचान बनानी है।

  • नाम : कोमलिका बारी
  • उम्र : 17 साल
  • शिक्षा : इंटरमीडिएट (ग्र्रेजुएट कॉलेज जमशेदपुर)
  • कॅरियर की शुरुआत : 2012 (आइएसडब्ल्यूपी ग्र्राउंड) 
  • 2016 : टाटा तीरंदाजी अकादमी 
  • फरवरी 2019 : ढाका में आयोजित सैफ तीरंदाजी की टीम स्पद्र्धा में स्वर्ण, मिश्रित स्पद्र्धा में स्वर्ण व व्यक्तिगत स्पद्र्धा में रजत

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