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Tata Group : ...तो एन चंद्रशेखरन भी होते किसान, जानिए कैसे बन गए 10 लाख करोड़ वाली टाटा संस के चेयरमैन

Tata Group यह टाटा समूह ही है जो फोरमैन रुसी मोदी को टाटा स्टील का चेयरमैन बना सकता है। यह टाटा समूह ही है जो किसान के बेटे को टाटा संस का चेयरमैन पद पर बिठा सकता है। जानिए चेयरमैन एन चंद्रशेखरन के जीवन की रोचक कहानी...

By Jitendra SinghEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 03:56 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 03:56 PM (IST)
Tata Group : ...तो एन चंद्रशेखरन भी होते किसान, जानिए कैसे बन गए 10 लाख करोड़ वाली टाटा संस के चेयरमैन
तो एन चंद्रशेखरन भी होते किसान, जानिए कैसे बन गए 10 लाख करोड़ वाली टाटा संस के चेयरमैन

जमशेदपुर, जासं। 10 लाख करोड़ वाले टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ना केवल किसान के बेटे हैं, बल्कि खुद भी किसान बनने की चाहत रखते थे। एक समय ऐसा भी आया, जब उन्होंने पुश्तैनी किसान की परंपरा को जीवित रखने का मन बना लिया था।

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परिवार के खेत में काम करना नटराजन चंद्रशेखरन के लिए स्वाभाविक होता, लेकिन कंप्यूटर और प्रोग्रामिंग के प्रति उनकी ललक या जीजिविषा उन्हें खेती-किसानी से दूर ले गई।चंद्रशेखरन ने खेती करने की कोशिश की लेकिन जल्द ही महसूस किया कि यह उनके करियर की दिशा नहीं होगी। एडवांस्ड साइंस में डिग्री के साथ स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्हें उनके पिता ने कंप्यूटर के प्रति अपने जुनून की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। तमिलनाडु के नमक्कल जिले में परिवार के खेत को छोड़कर, खेती पर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का चयन करने के लिए वे टाटा समूह के चेयरमैन बन गए।

टीसीएस से 1986 में जुड़े तो सीईओ भी बने

नटराजन चंद्रशेखरन तिरुचिरापल्ली स्थित क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज (आरआइटी) से कंप्यूटर विज्ञान में स्नातकोत्तर किया। यहां से निकलने के बाद 1986 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) से प्रशिक्षु के रूप में जुड़े। करीब दो माह के प्रशिक्षण के बाद 1987 में इंजीनियर के रूप में कंपनी में शामिल हो गए। चंद्रशेखरन तब से टाटा के कर्मचारी हैं। समूह में 35 वर्षों में चंद्रशेखरन 90 के दशक में प्रबंधन की ओर बढ़े। इन्होंने टीसीएस को दुनिया भर में एक जाना-पहचाना नाम बना दिया। वे 2009 में कंपनी के सीईओ बने।

2017 में बने टाटा संस के चेयरमैन

चंद्रशेखरन 2017 में टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के चेयरमैन बने। इसके साथ ही वे कंप्यूटर व प्रोग्रामिंग के अलावा रसायन, ऑटोमोटिव, कंसल्टेंसी सर्विसेज, हॉस्पिटलिटी और स्टील सहित 30 से अधिक व्यवसायों की देखभाल कर रहे हैं। वह जिस समूह का नेतृत्व कर रहे हैं, उसमें 750,000 से अधिक कर्मचारी हैं।

निरंतर सीखने की ललक

चंद्रशेखरन की व्यापक विशेषज्ञता नौकरी पर सीखने और विभिन्न परियोजनाओं को सफलतापूर्वक करने के अनुभव से आती है। उनमें निरंतर सीखने की ललक रहती है। यही वजह है कि वे रतन टाटा की पसंद बने। इनके नेतृत्व में, टाटा समूह कोविड-19 या कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक प्रमुख कारपोरेट इकाई के रूप में उभरा। इस समूह ने कोविड-19 से संबंधित गतिविधियों के लिए 14,000 करोड़ रुपये से अधिक की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें अस्पतालों की स्थापना और गहन देखभाल इकाइयों के साथ मौजूदा सुविधाओं की क्षमता बढ़ाने तक शामिल हैं। इस समूह ने ना केवल भारत की मेडिकल ऑक्सीजन की 10 प्रतिशत मांग को पूरा किया, बल्कि बांग्लादेश तक को ऑक्सीजन की आपूर्ति की।

जुनून पालिए, खुद ब खुद बढ़ जाएंगे आगे

एन. चंद्रशेखरन दूसरों को भी आगे बढ़ने और कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं। उनका कहना है कि जिस पेशे में आपको रुचि हो, बस उसका जुनून पालिए, खुद ब खुद आगे बढ़ जाएंगे। वे कहते हैं कि आमतौर पर हर व्यक्ति के जीवन में दो, तीन या चार कॅरियर के विकल्प सामने आते हैं। इसमें जो रुचिकर लगे, उसका आनंद लेते हुए लंबी पारी खेलिए।


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