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छह दिन बाद जुगसलाई से निषेधाज्ञा समाप्त, लोगों में दहशत अब भी कायम

जुगसलाई में 12 मई को हुए बवाल के बाद से लागू निषेधाज्ञा को छह दिनों के बाद आखिरकार समाप्त कर दिया गया। इलाके में फिलहाल शांति बहाल है।

By Edited By: Published: Sun, 19 May 2019 08:59 AM (IST)Updated: Sun, 19 May 2019 02:30 PM (IST)
छह दिन बाद जुगसलाई से निषेधाज्ञा समाप्त, लोगों में दहशत अब भी कायम
छह दिन बाद जुगसलाई से निषेधाज्ञा समाप्त, लोगों में दहशत अब भी कायम

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता।  जुगसलाई में 12 मई को हुए बवाल के बाद से लागू निषेधाज्ञा को छह दिनों के बाद आखिरकार समाप्त कर दिया गया। इलाके में फिलहाल शांति बहाल है, हालांकि फिर भी एहतियातन 23 मई (मतगणना) तक जुगसलाई में सुरक्षा बलों की तैनाती बरकरार रहेगी। गश्ती भी जारी रहेगी।

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गौरतलब हो कि 12 मई को, यानी जमशेदपुर लोकसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के दिन जुगसलाई में जमकर बवाल हुआ था। विवाद झामुमो व भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच मतदान को लेकर शुरू हुआ था। इस विवाद ने हिंसक रूप तब ले लिया, जब झामुमो गुट की ओर से कुछ लोगों ने भाजपा के बूथ एजेंट की पिटाई कर दी। इस बीच विवाद के निपटारे के लिए पुलिस टीम पहुंची तो पुलिस पर लोगों ने पथराव कर दिया। इसमें कुछ पुलिस वालों को चोट भी आई। भीड़ के बेकाबू होने पर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले भी दागने पड़े थे। हालांकि पिछले छह दिनों से इलाके में माहौल शांत है। माहौल को देख जुगसलाई एमई स्कूल रोड और हिलव्यू एरिया में लागू निषेधाज्ञा को समाप्त कर दिया गया है। बवाल मामले में पुलिस अब तक तीन को जेल भेज चुकी है। 72 के खिलाफ नामजद और 200 अज्ञात भीड़ पर मुकदमा दर्ज किया गया है।

तो जल चुका होता हमारा आशियाना

जुगसलाई हिल व्यू रोड पर रहने वाले प्रदीप खंडेलवाल के परिवार के जेहन में आज भी 12 मई को हुए उपद्रव का मंजर कौंध जाता है। प्रदीप खंडेलवाल की पत्नी ज्योति देवी बताती हैं घटना के दिन घर में वह पति व बहू के साथ थी, जबकि दोनों बेटे दुकान पर थे। कहतीं हैं अगर घर का दरवाजा टूट जाता तो शायद हम जिंदा नहीं बचते। घर पर पत्थरबाजी देखकर उनकी बहू पूजा बार-बार बेहोश हो जा रही थी। यहां प्रदीप खंडेलवाल के अलावे शंकर महेश्वरी, श्याम जी वर्मा, सावरमल शर्मा, सुशील कुमार ओझा, सुनील चौधरी, मुरली शर्मा, मुरारी, वर्णवाल, गोपाल वर्णवाल व निर्मल कुमार अग्रवाल का भी मकान है। पत्थरबाजों ने किसी के घर को नहीं छोड़ा। हर घर पर निशाना लगा-लगा कर उसके शीशे को तोड़ा गया।

नहीं बेचेंगे अपना मकान : प्रदीप

प्रदीप खंडेलवाल कहते हैं कि इस घटना के बाद काफी लोगों ने कहा कि अपना मकान बेच दो। लेकिन हम क्यों बेचे। एक-एक रुपया जोड़-जोड़कर घर बनाया है, इसे किसी कीमत पर नहीं बेचेंगे।

जिलाध्यक्ष व सांसद करे प्राथमिकी

उसी इलाके में एक घर श्याम सुंदर शर्मा का भी है। वे कहते हैं कि 12 मई को जो कुछ हुआ, वह हमारी आपसी या व्यक्तिगत लड़ाई नहीं थी तो हम क्यों प्राथमिकी करें। केस कर देंगे तो दो समुदायों की लड़ाई में हम पीस जाएंगे। अच्छा हो कि भाजपा के जिलाध्यक्ष व सांसद इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराएं। हमें बस शांति चाहिए।

घर नहीं खुला तो तोड़ दी स्कूटी

यहां रहने वाले नितेश माहेश्वरी का कहना है कि जब मेरा घर का दरवाजा नहीं टूटा तो दंगाइयों ने बाहर खड़ी मेरी स्कूटी को पूरी तरह से तोड़ दिया। स्कूटी को जमीन पर गिराकर उसे पत्थरों से कुचला गया। अगर पुलिस नहीं आती तो वे स्कूटी में आग भी लगा देते।

अड्डेबाजी पर लगाम लगाए पुलिस

तोड़-फोड़ का दंश झेल चुके इन सभी परिवारों के सदस्य कहते हैं कि यहां तालाब के पास खूब अड्डेबाजी होती है। 15 से 18 वर्ष के युवा ये भी नहीं देखते कि रास्ते से गुजरने वाले उनकी ताई या चाची की उम्र की हैं। यहां अड्डेबाजी पर रोक लगे।

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