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Business Buzz: कर्मचारियों ने प्रबंधन को दिखाया 'टाटा' का आईना, पढें काॅरपाेरेट जगत की अंदरूनी खबर

Business Buzz टीएसडीपीएल में ग्रेड रिवीजन हो या फिर बोनस। कंपनी प्रबंधन हर वार्ता में कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियन को टाटा स्टील में संचालित नियमों का आईना दिखाती रही है। लेकिन अब यूनियन यही फार्मूला प्रबंधन पर अपना रही है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 11:15 AM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 11:15 AM (IST)
Business Buzz: कर्मचारियों ने प्रबंधन को दिखाया 'टाटा' का आईना, पढें काॅरपाेरेट जगत की अंदरूनी खबर
एहसान अहमद सिराजी इन दिनों कंपनी प्रबंधन के आंखों के तारे बन गए हैं।

जमशेदपुर, निर्मल। टाटा स्टील डाउनस्ट्रीम प्रोडक्ट्स लिमिटेड (टीएसडीपीएल) में ग्रेड रिवीजन हो या फिर बोनस। कंपनी प्रबंधन हर वार्ता में कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियन को टाटा स्टील में संचालित नियमों का आईना दिखाती रही है। लेकिन अब यूनियन यही फार्मूला प्रबंधन पर अपना रही है।

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बात यूं हुई कि कंपनी में कोविड 19 से बचाव के लिए कर्मचारियों को जो वैक्सीन दिए जा रहे हैं। वैक्सीन लेने के बाद कई कर्मचारियों को दूसरे दिन हल्की बुखार या शरीर में दर्द की शिकायत रहती है। टाटा स्टील प्रबंधन वैक्सीन लेने के बाद अपने कर्मचारियों को एक दिन का स्पेशल लीव दे रही है इसलिए यूनियन भी टाटा स्टील के तर्ज पर छुट्टी देने की मांग कंपनी प्रबंधन से की है। हर बात में टाटा स्टील की दुहाई देती है तो सुविधा देने के मामले में पीछे क्यों हट रही है। ऐसे में प्रबंधन भी पेशोपेश में है कि अब क्या करे।

नेताजी बन गए प्रबंधन के आंखों के तारे

टाटा कमिंस में एहसान अहमद सिराजी इन दिनों कंपनी प्रबंधन के आंखों के तारे बन गए हैं। हो भी क्या न, इन्हें अध्यक्ष जो बनना है। जो प्रबंधन के आशीर्वाद के बिना संभव भी नहीं है। महामंत्री अरुण सिंह विवाद पर विधायक अनूप सिंह ने जो ताल ठोकी है उसके बाद से प्रबंधन का भी बाहरी नेता से मोह भंग हो गया। इसलिए यूनियन नेताओं को स्पष्ट निर्देश है कि वे अपने में से एक को अध्यक्ष चुन ले। लेकिन एक खेमा इसके लिए तैयार नहीं हुआ। पिछले दिनों कमेटी मीटिंग हुई, तय हुआ कि सभी कमेटी मेंबर बेरमो जाकर चुनाव पर आम सहमति बनाएंगे। लेकिन नेताजी और अरुण सिंह के कट्टर विरोधी इस बैठक से दूरी बनाकर प्रबंधन के नजदीकी बना ली। शायद नेताजी का आभास हो गया है कि अनूप सिंह की कंपनी में नो-इंट्री रही तो उनका अध्यक्ष और उनके समर्थन का महामंत्री बनना तय है।

टाटा मोटर्स यूनियन बन गई आदर्श

टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन इन दिनों दूसरे कंपनियों के कर्मचारियों के लिए आदर्श बन गई है। कोविड 19 के संक्रमण के कारण जिस तरह से कर्मचारियों की मौत हो रही है। उसके कारण सभी चिंतित है और टाटा मोटर्स कर्मचारियों को सौभाग्यशाली मान रहे हैं जहां ग्रुप इंश्योरेंस प्रभावी है। यहां किसी कर्मचारी की मौत पर उनके आश्रित को 60 से 60 लाख रुपये मिलते हैं। टाटा स्टील डाउनस्ट्रीम प्रोडक्ट्स लिमिटेड कंपनी में यूनियन की ओर से पहले ही कंपनी प्रबंधन से सभी कर्मचारियों को ग्रुप इंश्योरेंस का लाभ देने की मांग की थी। टाटा वर्कर्स यूनियन चुनाव के बाद वहां भी कर्मचारी ग्रुप इंश्योरेंस का दबाव नई कार्यकारिणी पर बना रहे हैं। कर्मचारियों का तर्क है कि ग्रुप इंश्योरेंस होने से कर्मचारी की किसी भी तरह से मौत हुई उनके आश्रित का भविष्य सुरक्षित रहेगा। क्लेम में आसानी होगी और प्रबंधन के पार्टी बनने से पारदर्शिता भी बनी रहेगी।

स्वैच्छिक लॉकडाउन हो गया फ्लॉप

स्वैच्छिक लॉकडाउन तो स्वैच्छिक था, फ्लॉप हो गया लेकिन अपना काम तो हो गया। शहर की सबसे बड़ी व्यापारिक संगठन की घोषणा से लॉकडाउन की अपील करने का कोरम भी पूरा हो गया। हां, पदाधिकारियों की दुकानें बंद रही लेकिन बाकी दुकानें खुली दिखी। अब दुकानदार भी मानते हैं कि लॉकडाउन के आगे जब स्वैच्छिक लग गया है तो दुकानें बंद करने की जरूरत क्या है। सरकार भले तय करे लेकिन त्योहारी सीजन में दुकानें कैसे बंद कर दें। चैंबर पदाधिकारी का भी कहना है कि हमारा काम है बोलना, मानना या नहीं मानना तो व्यापारियों के हाथों में है। हमारे कहने से व्यापारी अपनी दुकान थोड़ी न बंद करेंगे। उनकाे भी तो अपना मुनाफा, कर्मचारी से लेकर अपना घर भी देखना है इसलिए जबदस्ती नहीं की। लेकिन यही हाल रहा तो टूटने से रही कोरोना की चेन। अब सरकार लॉकडाउन लगा रही है तब तो मजबूरी है बंद करना।


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