मीसा में 19 माह कैद रहे अयूब खान बने थे विधायक Jamshedpur News
जमशेदपुर में मीसा के तहत जो भी लोग गिरफ्तार किए गए उनमें अयूब ही सबसे ज्यादा 19 माह तक जेल में रहे।
जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। जमशेदपुर में आपातकाल के दौरान जो आंदोलन चला, उसकी अगुवाई करने वाले अयूब खान थे। लोकनायक जयप्रकाश नारायण का करीबी होने के कारण उन पर जिम्मेदारी ज्यादा थी। इसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ा कि जमशेदपुर में मीसा के तहत जो भी लोग गिरफ्तार किए गए, उनमें अयूब ही सबसे ज्यादा 19 माह तक जेल में रहे।
इसका लाभ भी उन्हें मिला कि इमरजेंसी के बाद 1977 में जब चुनाव हुआ, तो उन्हें जनता पार्टी से ना केवल टिकट मिला, बल्कि भारी बहुमत से जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र के विधायक भी बने। अयूब खान के सबसे करीबी दोस्त रहे चंद्रमोहन सिंह बताते हैं कि अयूब खान उस समय भी नामी शख्सियत थे। लिहाजा पुलिस उन्हें गिरफ्तार करके सीधे गया जेल ले गई। फिर उन्हें हजारीबाग के बाद भागलपुर जेल में रखा। आपातकाल के बाद जब चुनाव हुआ तो अयूब खान जमशेदपुर पश्चिम क्षेत्र से विधायक चुने गए। आदोलन के कारण इतने लोकप्रिय हो गए थे कि काफी वोटों से चुनाव जीते थे।
चंद्रमोहन बताते हैं कि मेरा जन्म समस्तीपुर (बिहार) में हुआ। वे स्कूली शिक्षा के दौरान ही सोशलिस्ट पार्टी से जुड़ गए थे। इसके बाद सर्वोदय आंदोलन से जुड़े। 1964 में लोहिया जी ने 'घेरा डालो सत्याग्रह' का आह्वान किया, तो उसमें भी उन्हें गिरफ्तार किया गया था। उसी दौरान 1964 में जमशेदपुर में बहुत बड़ा सांप्रदायिक दंगा हुआ था जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। जेपी (जयप्रकाश नारायण) ने उन्हें सांप्रदायिक सौहार्द कायम करने के लिए जमशेदपुर भेजा था। यहां उन्हें टाटा स्टील ने बिष्टुपुर के क्यू रोड में क्वार्टर दिया था। अयूब खान का निधन 79 वर्ष की उम्र में 24 दिसंबर 2015 को हृदयाघात से हो गया।
ये भी हुए थे गिरफ्तार
आपातकाल के दौरान शहर के जिन प्रमुख लोगों की गिरफ्तारी हुई थी, उनमें पूर्व विधायक अयूब खान के अलावा झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री व विस अध्यक्ष रहे स्व. मृगेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व विधायक स्व. दीनानाथ पांडेय, वशिष्ठ नारायण तिवारी, रामदत्त सिंह, भुगुनाथ सिंह आदि प्रमुख थे।
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