समूह से भटके हाथी के बच्चे को बुखार, चढ़ाई जा रही स्लाइन Chaibasa News
हाथियों के समूह से बिछड़ा हुआ हाथी का बच्चा बीमार हो गया है। बुखार की वजह से मनोहरपुर वन विश्रामागर परिसर में विशेष निगरानी में रखकर उसका इलाज किया जा रहा है।
मनोहरपुर (पश्चिमी सिंहभूम), जेएनएन। पोड़ाहाट वनक्षेत्र के आनंदपुर वन परिक्षेत्र से हाथियों के समूह से बिछड़ा हुआ हाथी का बच्चा बीमार हो गया है। बुखार की वजह से मनोहरपुर वन विश्रामागर परिसर में विशेष निगरानी में रखकर उसका इलाज किया जा रहा है। बुधवार को उसे इंजेक्शन दिया गया था। गुरुवार को स्लाइन चढ़ाया गया।
एक सप्ताह से अपने समूह से बिछड़ा हाथी का बच्चा तीन महीने का है और उसका वजन लगभग 80 किलोग्राम है। वन विभाग कोशिश करेगा कि स्वस्थ होने के बाद उसे परिवार से मिलाया जाए। अगर ऐसा संभव नहीं होगा तो जैविक उद्यान भेजने की पहल होगी। जमशेदपुर के आरसीसीएफ विश्वनाथ शाह ने बताया कि हाथी का बच्चा विभाग के हाथ में सुरक्षित है। आहार के रूप में उसे दूध आदि दिया जा रहा है। साथ ही हमारी ओर से उसे लगातार उसकी मां व झुंड से मिलाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, झुंड अब आगे निकल गया है। अगर संभव नहीं हुआ, तो एकाध दिन में उसे बिरसा जैविक उद्यान, रांची भेज दिया जाएगा।
मनोहरपुर वन विश्रामागार में समूह से भटका हाथी का बच्चा।
चाकुलिया शहर में जंगली हाथियों का उत्पात
उधर,जंगली हाथी अब वनों व ग्रामीण क्षेत्रों से निकलकर शहरी क्षेत्र में उत्पात मचाने लगे हैं। बीते दो दिनों के भीतर गजराजों ने चाकुलिया एवं आसपास के इलाके में कोहराम मचाया है। होली के त्यौहार के दौरान सोमवार एवं मंगलवार की रात शहर के बीच स्थित गौशाला में घुसकर हाथियों ने फसलों को क्षति पहुंचाई। गौशाला प्रबंधक वीरेंद्र नाथ गिरि ने बताया कि दो जंगली हाथी सोमवार की रात गौशाला के पूर्वी क्षेत्र की दीवार आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कर घुस आए। दोनों गौशाला परिसर में लगी मकई एवं केला की फसल खा गए तथा खेतों को तहस-नहस कर दिया।
गोशाला में लगातार हाथियों की दस्तक
मंगलवार की रात एक बार फिर वही दोनों हाथी गौशाला में घुसे तथा पुन: फसलों को क्षति पहुंचाई। बुधवार को भी दोनों हाथी गौशाला के आसपास मंडरा रहे थे। हाथियों ने चाकुलिया अमलागोड़ा मार्ग किनारे स्थित नीरज मिश्रा के बगान में घुसकर आम व केला के पेड़ पौधों को तहस-नहस कर दिया। कुछ अन्य सामग्रियों को भी नुकसान पहुंचाया। आखिरकार आमलागोड़ा के ग्रामीणों ने मिलकर दोनों हाथियों को जंगल की तरफ खदेड़ा। मिश्रा ने बताया कि बीते 2 महीने के भीतर चार-पांच बार जंगली हाथी उनके बागान में धावा बोल चुके हैं। इससे आसपास के ग्रामीणों में भय का माहौल है। अब तो हाथी रात की वजह दिन में ही आ धमकते हैं।