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Elephant attack : घर के आंगन में सोई महिला को हाथी ने कुचला, मौत Jamshedpur News

Elephant crushed woman. जंगली हाथी ने एक महिला को कुचल दिया। उसकी मौके पर मौत हो गई। सुखमति देवी अपने घर के आंगन में सोयी हुयी थी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 01:22 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 02:06 PM (IST)
Elephant attack : घर के आंगन में सोई महिला को हाथी ने कुचला, मौत Jamshedpur News
Elephant attack : घर के आंगन में सोई महिला को हाथी ने कुचला, मौत Jamshedpur News

जमशेदपुर, जासं। Elephant crushed woman कोल्‍हान प्रमंडल के पश्चिमी सिंहभूम के मंझारी थाना इलाके कुदंरूगुट्टू गांव में शुक्रवार की रात जंगली हाथी ने एक महिला को कुचल दिया। उसकी मौके पर मौत हो गई। सुखमति देवी अपने घर के आंगन में सोयी हुयी थी। रात में अचानक एक जंगली हाथी पहुंचा और उसके कुचल दिया।

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नींद में होने की वजह से सुखम‍ति को संभलने का मौका तक नहीं मिला। उसकी सांसों की डोर टूट गई। सुबह जानकारी मिलने पर गांव के लोगों ने मंझारी के थाना प्रभारी एवं हाटगम्हरिया क्षेत्र के वन क्षेत्र पदाधिकारी को उनके मोबाइल पर सूचना दी। सूचना के बाद पुलिस और वन क्षेत्र पदाधिकारी गांव पहुंचे और शव को कागजी औपचारिकता पूरी करने के बाद पोस्‍टमार्टम के लिए भेजा। मृतका के परिजनों को वन विभाग की ओर से तत्‍काल सहायता राशि मुहैया कराई गई और मुआवजे की पूरी रकम के लिए प्रक्रिया शुरू करने की बात कही गई। 

कोल्‍हान में नया नहीं है हाथियों का उत्‍पात

कोल्‍हान प्रमंडल के तीनों जिलों पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले में हाथियों का उत्‍पात नया नहीं है। यहां हाथियों की वजह से लोगों की जान जाती ही रहती है। कभी जंगल के रास्‍ते गुजरते वनवासी हाथी की चपेट में आ जाते हैं तो कभी गांव में दाखिल होनेवाले हाथी या फ‍िर हाथियों के झुंड की चपेट में। फसलों और घरों को भी हाथी जमकर नुकसान पहुंचाते हैं। कई गांवों में तो ग्रामीण हाथियों की आवाजाही की वजह से रतजगा करने को मजबूर होते हैं। धान की फसल होने के समय हाथियों की आवाजाही गांवों में कुछ ज्‍यादा ही बढ़ जाती है। 

वन विभाग नहीं लगा पा रहा हाथियों की आवाजाही पर लगाम

पूर्वी सिंहभूम के बंगाल से सटे इलाके में पश्चिम  बंगाल से हाथी दाखिल होते हैं और जानमाल का नुकसान पहुंचाते हैं। हाथियों की आवाजाही वाले इलाके के ग्रामीण वन विभाग से हाथियों की आवाजाही रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की गुहार लगाते हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं होता। ग्रामीणों का तो यहां तक आरोप है कि वन विभाग का काम सिर्फ मुआवजा बांटने तक सीमित रह गया है।


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