Electric Vehicle Sale : 6 महीने में 15 गुणा बढ़ेगी इलेक्ट्रिल व्हीकल की बिक्री, जाने देश में किस तरह की हो रही है प्लानिंग
Electric Vehicle Sale भविष्य इलेक्ट्रिक व्हीकल है। तभी तो देश की सभी ऑटोमोबाइल कंपनियों की नजर इसी सेक्टर है। एक अनुमान के मुताबित अगले छह महीने में इलेक्ट्रिक व्हीकल की मांग में 15 गुना बढ़ोतरी हो जाएगी। आप भी जान लीजिए क्या है देश का प्लान...
जमशेदपुर : देश में जिस तेजी से पेट्रेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। उनके अनुरूप इलेक्ट्रिकल वाहनों की डिमांड में भी बढ़ोतरी तेजी से बढ़ रही है। एक अनुमान के अनुसार अगले छह माह में इलेक्ट्रिकल वाहनों की मांग में 15 गुणा की बढ़ोतरी होने वाली है जो वर्तमान में गनण्य है।
केंद्र सरकार शून्य कार्बन उत्सर्जन और इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित कर रही है ताकि पेरिस समझौते का अनुपालन हो सके। ऐसे में केंद्र सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन और विक्रय को बढ़ावा देने के लिए कई तरह से प्रोत्साहित कर रही है।
पहले चरण में डिलीवरी कंपनियों को किया जा रहा है कनवर्ट
देश में ई-कॉमर्स योजनाओं के तहत कई सारी कंपनियां आपको घर पर ही होम डिलीवरी के तहत सामानों की सप्लाई कर रही है। केंद्र सरकार पहले चरण में ऐसी कंपनियों को प्रोत्साहित कर रही है ताकि वे कंपनियां ग्राहकों के सामानों की डिलीवरी इलेक्ट्रिक वाहनों की मदद से करे। रेविफन के संस्थ्ज्ञापक समीर अग्रवाल का कहना है कि वर्ष 2018 में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद बहुत नगणय थी लेकिन पिछले छह से नौ माह में इसकी महत्ता को पहचाना गया। इसके बढ़ती उपयोगिता के कारण अब इलेट्रिकल वाहनों की खरीदारी पर जोर दिया जा रहा है।
किफायती हो गए हैं इलेक्ट्रिक वाहन
कार्बन उत्सर्जन कम हो इसके लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए कम ब्याज दर पर ईएमआई दिए जा रहे हैं जिसके कारण इलेक्ट्रिक वाहन बेहद ही किफायती हो गए हैं। आंकड़ों की बात करें तो अकेले जुलाई व अगस्त माह में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में तीन गुणा की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, पिछले छह वर्ष की मांग की बात करें तो यह बढ़कर 15 गुणा से अधिक हो गया है।
पांच वर्षो में 20 अरब डॉलर का होगा व्यापार
जानकारों की माने तो देश में जिस तेजी से पेट्रोलिय प्रद्धार्थो की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है उसके कारण आम जनता की रुझान इलेक्ट्रिकल वाहनों की ओर बढ़ा है। कई प्रमुख इई-कॉमर्स कंपनियां भी अपने डिलीवरी बेड़े में इलेक्ट्रिक वाहनों को तरजीह दे रही है। देश में जिस तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग व्यावसायिक इस्तेमाल की ओर बढ़ा है उससे अगले पांच वर्षो में इलेक्ट्रिक वाहनों का व्यापार देश में 15 से 20 अरब डॉलर को होने का अनुमान है। जो वर्तमान में नगण्य है। वर्तमान में पेट्रोल व डीजल से संचालित वाहनों की प्रति किलोमीटर चार रुपये प्रति किलोमीटर की दर से संचालित होते हैं जबकि लेक्ट्रिक वाहन मात्र एक से दो पैसों में संचालित होंगे जो काफी किफायती है।
इन राज्यों में सबसे ज्यादा है डिमांड
आपको बता दें कि महानगरों की तुलना में छोटे शहरों में इलेट्रिक वाहनों की डिमांड में सबसे ज्यादा उछाल आई है। ऐसे में देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के व्यावसायिक उत्पादन में तेजी आई है। वर्तमान में दिल्ली, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा में इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड में बढ़ोतरी हुइ है। इसका मुख्य कारण ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों की डिलीवरी में इलेक्ट्रिकल वाहनों का इस्तेमाल करना है।
ये कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों को दे रही है बढ़ावा
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का कहना है कि अगले दो साल में बड़े शहरों मेंई-कॉमर्स कंपनियों की डिलीवरी के लिए परंपरागत वाहनों के बजाए इलेक्ट्रिक वाहनों का 100 प्रतिशत इस्तेमाल होने लगेगा। इसके लिए महिंद्रा इलेक्ट्रिक, टाटा मोटर्स, जोमैटो, सन मोबिलिटी, लाइटनिंग लॉजिस्टिक्स, बिगबास्केट, ब्लू डार्ट, हीरो इलेक्ट्रिक और स्विगी जैसी कंपनियां अपनी डिलीवरी के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल कर रही है।
एक अनुमान के मुताबिल वर्ष 2030 में सिर्फ शहरी क्षेत्र में आठ मिलियन इलेक्ट्रिक वाहन सड़क पर रहेंगे। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों का उद्योग 3.7 लाख करोड़ का रहने का अनुमान है। ऐसे में कई कंपनियां इसका लाभ उठाने के लिए अपने इलेक्ट्रिक वाहन सेगमेंट को प्रमोट कर रही है।
इलेक्ट्रिक वाहन की खरीद पर 200 करोड़ का ऋण
रेवफिन कंपनी का लक्ष्य है कि वित्तीय वर्ष 2022 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर 200 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया जाए। इस लक्ष्य के तहत आने वाले तीन वर्षो में 80 हजार से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद होगी और 2100 ऋण का वितरण कंपनी करेगी।