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Eid 2021: नजर नहीं आया चांद, ईद 14 मई जुमा को

Eid 2021 बुधवार को ईद का चांद नहीं दिखा। इसे बाद देर रात 14 मई यानी जुमा को ईद का एेलान कर दिया गया। इमारत ए शरिया ने फाइनल एेलान किया कि चांद नजर नहीं आया। एेसे में ईद 14 मई को मनेगी। ये रही पूरी जानकारी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 11:15 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 11:15 PM (IST)
Eid 2021: नजर नहीं आया चांद, ईद 14 मई जुमा को
14 मई यानी जुमा को ईद का एेलान कर दिया गया।

जमशेदपुर, जासं। बुधवार को ईद का चांद नहीं दिखा। इसे बाद देर रात 14 मई यानी जुमा को ईद का एेलान कर दिया गया। इमारत ए शरिया ने फाइनल एेलान किया कि चांद नजर नहीं आया। एेसे में ईद 14 मई को मनेगी।  इससे पहले इमारत ए शरिया अपने बिहार-झारखंड एवं ओड़िशा के तमाम ब्रांच से संपर्क में रहा। फुलवारीशरीफ मुख्यालय में सभी मुफ्ती-क़ाज़ी और ज़िम्मेदार हज़रात मौजूद रहे। कहीं से तश्दीक नहीं होने के बाद इद का एेलान कर दिया गया।

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त्योहार चांद पर निर्भर

ईद-उल-फितर का त्योहार चांद के निकलने पर निर्भर करता है। इस वर्ष यदि चांद 12 मई बुधवार को निकलता तो उसके अगले दिन 13 मई दिन गुरुवार को ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता। यदि चांद 13 मई को निकलता तो पूरे देश में ईद-उल-फितर का त्योहार 14 मई दिन शुक्रवार को मनाया जाता। नहीं दिखने के बाद शुक्रवार को 14 मई को ईद मनाने का एेलान कर दिया गया।

रोजेदारों से ईद का चांद देखने की हुइ थी अपील

जमशेदपुर के फैजुल उलूम दारुल इफ्ता के मुफ्ती आबिद हुसैन मिस्बाही एवं इमारत-ए-शरिया के काजी मौलाना सऊद आलम कासमी ने रोजेदारों से बुधवार को ईद का चांद देखने का आग्रह किया था। सऊद आलम कासमी ने कहा कि रमजान की 29वीं तिथि को चांद देखने की कोशिश करें। चांद नजर आने की तसदीक इमारत-ए-शरिया कार्यालय में करें। चांद नजर आया तो गुरुवार को ईद की नमाज होगी। वरना 30 रमजान को मानकर शुक्रवार को ईद मनेगी।

रूहानी मर्कज ने घरों में ईद मनाने की अपील की

इस बीच, रूहानी मर्कज के अध्यक्ष पूर्व विधायक हसन रिजवी ने उलेमाओं से घरों में ईद की नमाज अदा करने का शरई हुक्म जारी करने का आग्रह किया है। हसन रिजवी ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि एक साल गुजर जाने के बाद अभी तक उलेमा इस मसले पर एकमत नहीं हो सके हैं कि घरों में ईद की नमाज जायज है कि नहीं। एक मसलक के मुताबिक घरों में ईद की नमाज अदा नहीं हो सकती है। दूसरा मसलक घरों में ईद की नमाज के पक्ष में है। कुछ उलेमा का सुझाव है कि ईद की नमाज की जगह दो रिकत नफिल पढ़ें तो कुछ उलेमा शुक्राने की नमाज अदा करने कह रहे हैं।

चांद के निकलने का महत्व

दरअसल इस्लामिक कैलेंडर चांद पर आधारित है। चांद के दिखाई देने पर ही ईद या प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। रमजान के पवित्र माह का प्रारंभ चांद के देखने से होता है और इसका समापन भी चांद के ​निकलने से होता है। रमजान के 29 या 30 दिनों के बाद ईद का चांद दिखता है।

ईद का महत्व

मान्यताओं के अनुसार, पैग़ंबर मुहम्मद साहब के नेतृत्व में जंग-ए-बद्र में मुसलमानों की जीत हुई थी। जीत की खुशी में लोगों ने ईद मनाई थी और घरों में मीठे पकवान बनाए गए थे। इस प्रकार से ईद-उल-फितर का प्रारंभ जंग-ए-बद्र के बाद से ही हुई थी। ईद-उल-फितर के दिन लोग अल्लाह का शुक्रिया करते हैं। उनका मानना है कि उनकी ही रहमत से वे पूरे एक माह तक रमजान का उपवास रख पाते हैं। आज के दिन लोग अपनी कमाई का कुछ हिस्सा गरीब लोगों में बांट देते हैं। उनको उपहार में कपड़े, मिठाई, भोजन आदि देते हैं।


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