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खुद निरक्षर, सिलाई कर चार बच्चों को पढ़ाया अंग्रेजी स्कूल में

खुद पढ़-लिख नहीं सकने की टीस तो मन में है ही लेकिन कड़ी नजर रखते हैं कि बच्चे पढ़ रहे हैं या नहीं।

By Edited By: Published: Thu, 04 Oct 2018 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 04 Oct 2018 12:39 PM (IST)
खुद निरक्षर, सिलाई कर चार बच्चों को पढ़ाया अंग्रेजी स्कूल में
खुद निरक्षर, सिलाई कर चार बच्चों को पढ़ाया अंग्रेजी स्कूल में

जमशेदपुर ( विकास श्रीवास्तव)। खुद पढ़-लिख नहीं सकने की टीस तो मन में है ही लेकिन कड़ी नजर रखते हैं कि बच्चे पढ़ रहे हैं या नहीं। पूछने पर कि वे कैसे जान सकते हैं कि बच्चे पढ़ रहे हैं या नहीं शेख असलम बताते हैं कि रोज बच्चों से पूछते हैं कि आज क्या पढ़ा। फिर उनकी कॉपियों को देखते हैं। कॉपियों में देखते हैं कि पिछले दिन के बाद उसमें कितना लिखा है। अक्षरों को देखकर जानने की कोशिश करते हैं कि बच्चों ने ठीक से पढ़ा है या नहीं।

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ये हैं शेख असलम। धतकीडीह ए ब्लॉक के लाइन नंबर 6 निवासी असलम खुद कभी स्कूल नहीं गए। चार भाई, माता-पिता वाले परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल था सो, दस साल की उम्र में दर्जी के यहां काम करना शुरू कर दिया। अब साकची टीना शेड बाजार में दुकान के बाहर बरामदे में सिलाई मशीन रखकर पुराने कपड़ों की सिलाई, मरम्मत करते हैं और अपने चार बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ा रहे हैं। पूरे दिन का काम पुराने कपड़ों की फिटिंग, शर्ट के कॉलर पलटना, पैंट-जींस की फिटिंग कराने लोग इनके पास आते हैं। पूछने पर बताया कि बच्चों के साथ किसी तरह की नाइंसाफी नहीं हो, इसलिए उन्होंने कमाने के लिए सऊदी अरब जाने का मौका छोड़ दिया। बताते हैं कि वहां जाते तो अच्छी कमाई हो सकती थी लेकिन बच्चों की पढ़ाई का ध्यान रखनेवाला कोई नहीं है। कपड़ों की सिलाई कर इतना कमा लेते हैं कि बच्चों की पढ़ाई में दिक्कत नहीं हो।

बच्चों की पढ़ाई अब जिंदगी का लक्ष्य
शेख असलम बताते हैं कि अब उनकी जिंदगी का एकमात्र लक्ष्य यही है कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर कुछ बन सकें। किसी ने अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाने की सलाह दी। मानगो के एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल में दौड़-भागकर बच्चों का दाखिला कराया। लंबे समय तक रूटीन यही रहा कि सुबह बच्चों को लेकर निकले। उन्हें स्कूल तक पहुंचाकर साकची टीना शेड के दुकान पर मशीन लेकर बैठ गए। छुट्टी के समय उन्हें वापस लाने के बाद फिर अपने काम में लग गए। स्कूली शिक्षा पूरी कर तीन बच्चे कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं। सबसे बड़ा शेख तौसीफ व उससे छोटी बेटी गुलफशां परवीन करीम सिटी कॉलेज में ग्रेजुएशन में है। उससे छोटी बेटी शाहना परवीन का भी उसी कॉलेज में इंटर में दाखिला हो गया है जबकि इमरान अभी तीसरे दर्जे में है।


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