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जेट विमान से भी अधिक है इस पटाखे की आवाज

दीपावली में बिकने वाले बम पटाखों में बहुत ऐसे भी होते हैं जिनकी आवाज जेट विमान से भी अधिक होती है। चार घंटे चले पटाखे में कई लोग इसके शिकार हो गए।

By Edited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 08:11 AM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 10:57 AM (IST)
जेट विमान से भी अधिक है इस पटाखे की आवाज
जेट विमान से भी अधिक है इस पटाखे की आवाज

जमशेदपुर [अमित तिवारी] । दीपावली में बिकने वाले बम पटाखों में बहुत ऐसे भी होते हैं जिनकी आवाज जेट विमान से भी अधिक होती है। चार घंटे चले पटाखे में कई लोग इसके शिकार हो गए। उनके बहरा होने का खतरा बढ़ गया है।

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बिष्टुपुर कांट्रैक्टर एरिया निवासी राजीव मेहता के कान का पर्दा फट गया है। वह दीपावली के दिन कार से जा रहे थे कि रास्ते में कुछ युवकों ने तेज आवाज वाले बम उनके गाड़ी के सामने फेंक दिया। इससे उनके कान सुन पड़ गए। कुछ देर के लिए उनको सुनाई देना बंद कर दिया। इसके बाद सायरन की तरह कान में आवाज होने लगी। दर्द भी बढ़ाता गया। राजीव मेहता ने टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) में कान को दिखाया तो डॉक्टर ने इंडोस्कोपी मशीन से जांच की और कहा कि कान का पर्दा फट गया है। राजीव का इलाज टीएमएच के ओपीडी इंचार्ज सह ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. केपी दूबे, डॉ. अजय गुप्ता सहित उनके टीम के नेतृत्व में चल रहा है। अगले तीन माह तक उनको विशेष सावधानी बरतनी होगी। इधर, महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल व टीएमएच का आंकड़ा देखा जाए तो दीपावली के बाद पटाखे से होने वाले नुकसान से संबंधित 15 फीसद मरीजों की संख्या बढ़ी है।

तेज आवाज वाला पटाखा कर रहा बहरा

125 डेसीबल की आवाज जेट विमान की आवाज होती है। इसे हाई फ्रिक्वेंसी साउंड कहते हैं। यह कान को बुरी तरह नुकसान पहुंचाती है। 125 डेसीबल वाले पटाखे या बम की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध है मगर बाजार में इससे अधिक आवाज वाले पटाखे बिक रहे हैं। जुगसलाई के एक पटाखा कारोबारी ने बताया कि उनके यहां सुतली बम, एटम बम और लेडी बम की बिक्री खूब होती है। इसकी आवाज 150 से लेकर 200 डेसीबल और उससे भी अधिक होता है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग शायद ही कभी जांच करना जरूरी समझता है।

80 डेसीबल ध्वनि आठ घंटे बर्दाश्त कर सकता है मनुष्य

सामान्य ध्वनि का मानक 40 से 50 डेसिबल है। हमारे देश में इसपर नियंत्रण नहीं है। 80 डेसीबल का एक्सपोजर साधारण आदमी सिर्फ आठ घंटे ही बर्दाश्त कर सकता है। इससे अधिक समय तक इस एक्सपोजर में रहने से कानों की श्रवण शक्ति प्रभावित होती है।

ध्वनि एक्सपोजर बर्दाश्त करने की सीमा

80 डेसिबल 8 घंटे 85 डेसिबल 4 घंटे 90 डेसिबल 2 घंटे 95 डेसिबल 1 घंटे 100 डेसिबल आधा घंटे 105 डेसिबल 15 मिनट 110 डेसिबल 7.5 मिनट 115 डेसिबल साढ़े तीन मिनट 120 डेसिबल डेढ़ मिनट

कान का फट जाता पर्दा

अत्याधिक आवाज वाले पटाखे से कान का पर्दा फट जाता है। कान के पर्दे के पास की हड्डी टूट सकती है। कान की नस फस सकती है और इसका कोई इलाज नहीं है। आवाज सुनाई देगी, मगर समझ में नहीं आएगी।

- डॉ. केपी दूबे, ईएनटी रोग विभागाध्यक्ष।


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