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Durga puja 2019 : कहीं पंडाल की भव्यता, कहीं मेले का आनंद तो कहीं कृपा बरसा रहीं भवानी; देखिए तस्वीरें

Durga puja 2019. नवरात्र में करुणामयी व ममतामयी माता के न्यारे रूप और सुहाने श्रृंगार के दर्शन के लिए आतुर लोग पंडालों में उमड़ने लगे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 01:08 PM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 02:36 PM (IST)
Durga puja 2019 :  कहीं पंडाल की भव्यता, कहीं मेले का आनंद तो कहीं कृपा बरसा रहीं भवानी; देखिए तस्वीरें
Durga puja 2019 : कहीं पंडाल की भव्यता, कहीं मेले का आनंद तो कहीं कृपा बरसा रहीं भवानी; देखिए तस्वीरें

जमशेदपुर, जेएनएन। Durga puja 2019 पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा को अब लौहनगरी की दुर्गा पूजा पूरी तरह से टक्कर दे रही है। वैसे तो शहर में असंख्य पूजा पंडाल हैं, लेकिन कई स्थानों पर यह पूजनोत्सव बहुत विशाल और भव्य रूप से आयोजित किया जा रहा है। कुछ बड़े पंडालों के पट बुधवार को ही खुल गए थे, अधिकतर के पट गुरुवार को खुले। शेष के शुक्रवार को खुल गए।

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पंडालों के पट खुलने के साथ ही मां दुर्गा के प्रति भक्ति, विशाल व आकर्षक पंडालों के साथ ही मां दुर्गा की मनमोहक प्रतिमाओं के प्रति आकर्षण लौहनगरी के सिर चढ़कर बोलने लगी। बच्चे मेलों के लिए मचलने लगे। यह लाजिमी भी है, क्योंकि तमाम निजी व सरकारी स्कूलों में गुरुवार की पढ़ाई के बाद ही छुट्टियों की घोषणा हो गई। अब पंडालों में बजते भजन वातावरण को भक्ति रस से सराबोर कर रहे हैं। पंडालों के इर्द-गिर्द और सड़कों के किनारे बड़ी संख्या में खुली खाने-पीने की दुकानें लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। सड़कों पर भक्तों की भारी भीड़ रही।

कहीं हीरों का मुकुट तो कहीं सोने का

जमशेदपुर में श्री-श्री सार्वजनिक दुर्गापूजा समिति, टुइलाडुंगरी ने माता की प्रतिमा बनाने में कैंडी का इस्तेमाल किया है। इस प्रतिमा के निर्माण में 25 हजार रुपये की 19 रंगों की टॉफी का उपयोग किया गया है। इसका वजन 285 किलोग्राम है। तीन महीने में मेदिनीपुर के कंटई से आए 13 कारीगरों ने तैयार किया है। 

पंडालों में स्थापित मां दुर्गा भक्तों पर कृपा बरसा रही हैं। कहीं संगमरमर सा धवल वर्ण तो कहीं स्वर्ण वर्ण, कहीं हीरों का मुकुट तो कहीं सोने का। कहीं बहुत भव्य तो कहीं कदरन थोड़ा छोटा पंडाल। कहीं भजनों के साथ झूमते भक्त तो कहीं शांति का वातावरण। इलाका चाहे जो भी हो, हर जगह माता भक्तों पर कृपा बरसाती नजर आ रही हैं। बंगाल के ही प्रभाव से शहर में दुर्गापूजा में बड़े, भव्य और आकर्षक पंडाल बनाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

1982 में बना था पहला बड़ा पंडाल

 

जमशेदपुर के गोलपहाड़ी में बना पूजा पंडाल। इसकी आकृति लुभाती है।

1982 में गोलपहाड़ी में शहर का पहला बड़ा और आकर्षक पंडाल बनाया गया। इसके बाद बर्मामाइंस और धीरे-धीरे शहर भर में बड़े पंडाल बनाए जाने की परंपरा शुरू हो गई। 80 के दशक में ही दुर्गोत्सव से दिग्गजों का जुड़ाव हुआ। इसी दशक के उत्तरार्ध में काशीडीह में दुर्गापूजा के भव्य व विशाल आयोजन से इस परंपरा की शुरुआत हुई और धीरे-धीरे दुर्गोत्सव राजनीति में मजबूत पकड़, प्रतिष्ठा प्राप्ति और बेहिसाब भीड़ इक_ा करने का माध्यम बना गया। इसी दौरान टेल्को 26 नंबर में भी यूनियन के पदाधिकारियों की प्रत्यक्ष सहभागिता से दुर्गोत्सव के आयोजन की परंपरा शुरू हुई।

कोलकाता की पूजा से होने लगी तुलना

जमशेदपुर के सिदगोड़ा में हिन्दुस्तान मित्र मंडल का पूजा पंडाल।

शहर में बड़े व आकर्षक पंडाल बनाए जाने की शुरुआत होने के बाद और दिग्गजों के जुड़ाव के बाद शहर के दुर्गापूजा की तुलना सीधे कोलकाता से होने लगी। हर साल पंडालों की सजावट, आकार और भव्यता में वृद्धि होती गई। सभी बड़े पंडाल एक से एक प्रयोग करते हुए श्रद्धालुओं के लिए दर्शनीय स्थानों के प्रतिरूप बनाने लगे। इससे श्रद्धालुओं को यह फायदा हुआ कि वे ऐसी चीजों को शहर में ही देखने लगे जिसके लिए उन्हें शहर के बाहर जाना पड़ता था।  


गोलमुरी सर्कस मैदान का पूजा पंडाल। 

काशीडीह स्थित ठाकुर प्यारा सिंह-धुरंधर सिंह क्लब का पूजा पंडाल। यह महाभारत का दृश्य दर्शा रहा है।

मानगो में शिव शंकर पूजा कमेटी का पंडाल।

 सिदगोड़ा 28 नंबर दुर्गा पूजा पंडाल। इसकी खूबसूरती देखने लायक है। 

टुइलाडुंगरी का पूजा पंडाल भी आपको बेहद आकर्षित करेगा। 

आदित्यपुर स्थित जयराम यूथ स्पोर्टिंग क्लब का पूजा पंडाल। यह प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करने का संदेश दे रहा है। क्लब का पंडाल हर वर्ष अलग-अलग थीम पर आधारित होता है।

कदमा फार्म एरिया स्थित दुर्गा पूजा पंडाल। 


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