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Triphala uses Tips: सूखा त्रिफला चूर्ण नहीं खाना चाहिए, हो सकती खुश्की, सीमा पांडेय बता रहीं त्रिफला खाने का तरीका

Triphala uses Tips सूखा त्रिफला खुश्की करता है इसलिए बहुत लोग त्रिफला की बुराई करते हैं। लगभग 200 ग्राम त्रिफला में दो से चार चम्मच देसी घी अच्छी तरह से मिलाकर किसी डिब्बे में रख लें इससे खुशकी नहीं होगी। ये रहा त्रिफला खाने का तरीका।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 23 Nov 2021 01:59 PM (IST)Updated: Tue, 23 Nov 2021 01:59 PM (IST)
Triphala uses Tips: सूखा त्रिफला चूर्ण नहीं खाना चाहिए, हो सकती खुश्की, सीमा पांडेय बता रहीं त्रिफला खाने का तरीका
जमशेदपुर की आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय ।

जमशेदपुर, जासं। त्रिफला यानी हर्रे, बहेड़ा व आंवला के मिश्रण से बनता है। इसकी मात्रा समान या अलग-अलग भी हो सकती है, लेकिन इसे लेकर कई तरह की भ्रांति है। अधिकतर लोग त्रिफला की बुराई करने वाले भी मिल जाएंगे, जबकि वास्तव में उन्हें इसके सेवन का तरीका मालूम नहीं होता है। सूखा त्रिफला चूर्ण कभी नहीं खाना चाहिए।

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जमशेदपुर की आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय बताती हैं कि सूखा त्रिफला खुश्की करता है, इसलिए बहुत लोग त्रिफला की बुराई करते हैं। लगभग 200 ग्राम त्रिफला में दो से चार चम्मच देसी घी अच्छी तरह से मिलाकर किसी डिब्बे में रख लें, इससे खुशकी नहीं होगी। घी इस तरह से मिलाना है, जैसे हवन सामग्री में घी मिलाते हैं।

जितनी उम्र उतनी रत्ती त्रिफला

जिसकी जितनी उम्र है, वह उतनी रत्ती त्रिफला एक बार में ले सकता है। आठ रत्ती एक ग्राम के बराबर होता है। जैसे किसी की उम्र 48 वर्ष है, तो उसे 48 रत्ती या छह ग्राम त्रिफला एक बार में लेना है।

ऋतु के अनुसार मिश्रण

  •  अगस्त और सितंबर में त्रिफला सेंधा नमक के साथ लें। जितना त्रिफला है, उसका छठा हिस्सा नमक लें।
  •  अक्टूबर-नवंबर में शक्कर या चीनी के साथ लेना है। त्रिफला का छठा हिस्सा चीनी लें।
  • दिसंबर-जनवरी में सोंठ के चूर्ण के साथ, वही छठा हिस्सा सोंठ लें।
  • फरवरी-मार्च में छठा हिस्सा लैंडी पीपल के चूर्ण के साथ सेवन करना है।
  • अप्रैल-मई में छठा हिस्सा शहद के साथ मिलाकर सेवन करें।
  • जून-जुलाई में छठा हिस्सा गुड़ के साथ त्रिफला खाएं।

एक वर्ष में गायब हो जाएगी सुस्ती

  •  एक वर्ष तक त्रिफला का सेवन करने से तन या शरीर की सुस्ती चली जाती है।
  •  दो वर्ष में सारे रोग मिट जाते हैं।
  • तीसरे वर्ष में नेत्र ज्याेति बढ़ने लगती है।
  • चौथे वर्ष में शरीर सुंदरता, कांति व ओज से ओतप्रोत हो जाता है।
  • पांचवें वर्ष में बुद्धि का विशेष विकास होने लगता है।
  • छठे वर्ष में शरीर बलशाली होने लगता है।
  • सातवें वर्ष में सफेद बाल काले हाेने लगते हैं।
  • आठवें वर्ष में शरीर की वृद्धता तरुणाई में बदलने लगती है।
  • नौवें वर्ष में नेत्र ज्योति विशेष शक्ति संपन्न हो जाती है।
  • दसवें वर्ष में व्यक्ति के कंठ में शारदा विराजने लगती है।
  • 11वें-12वें वर्ष में व्यक्ति को वाक्-सिद्धि की प्राप्ति हो जाती है।

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