पीडीएस के राशन पर निर्भर हो गए जमशेदपुर के "डोनाल्ड डक और छुटकी"
कभी दूसरों के चेहरों पर खुशी देने वाले ये कलाकार की ङ्क्षजदगी आज इतनी विकट हो गई है कि सरकारी राशन या कुछ छोटे-मोटे काम कर जीवनयापन कर रहे हैं।
जमशेदपुर (जासं) । कभी शादी-पार्टियों और जन्मदिन की जान होने वाले, बच्चों को हंसाने वाले मिकी माउस, छोटा भीम, छुटकी, डोरेमोन जैसे कलाकार कोरोना वायरस के कारण बेरोजगार हो गए हैं। कभी दूसरों के चेहरों पर खुशी देने वाले ये कलाकार की जिंदगी आज इतनी विकट हो गई है कि सरकारी राशन या कुछ छोटे-मोटे काम कर जीवनयापन कर रहे हैं।
कार्टून नेटवर्क में छोटा भीम, मिकी माउस, छूटकी, मोटू-पतलू, डोरेमोन, सिनचैन जैसे किरदार बच्चों को खूब भाते हैं और बच्चे बार-बार इन किरदारों को देखते और उनकी बातों को दोहराते रहते हैं। सामान्य दिनों में लौहनगरी जमशेदपुर में जब शादी, पार्टी और बर्थडे जैसे आयोजन होते हैं तो स्थानीय युवा इन किरदारों की कॉस्टयूम पहनकर बच्चों को हंसाते हैं और बच्चे भी इनके आगे-पीछे घूमते रहते थे। लेकिन, कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने ऐसे कलाकारों से उनका रोजगार छिन गया है। पहले एक आयोजन में एक किरदार के लिए 800 से 1000 रुपये लेते थे। लेकिन, 23 मार्च से शुरू लॉकडाउन ने इनकी कमाई पर गहरी चोट दी है और अब आमदनी पूरी तरह से बंद हो गई है। ऐसे में इन किरदारों को अब उधार की जिंदगी जीने की मजबूरी हो गई है।
राशन कार्ड पर निर्भर हो गया है पूरा परिवार
डोनाल्ड डक और छुटकी का किरदार निभाने वाले शास्त्रीनगर निवासी मो. यूसूफ बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण उनका कारोबार पूरी तरह से बंद हो गया है। कुछ शादियां और बर्थडे का आयोजन हो रहा हैं लेकिन, शारीरिक दूरी बनाए रखने और कम मेहमान बुलाने के कारण उन्हें नए काम का आर्डर नहीं मिल रहा है। कोरोना वायरस का संक्रमण जब से शुरू हुआ है तब से धंधा पूरी तरह से बंद है। स्थिति ऐसी हो गई है कि अब पूरा परिवार सरकारी राशन कार्ड पर निर्भर हो गया है।
उधार से चुका रहे हैं इएमआइ
छोटा भीम और डोरेमोन का किरदार निभाने वाले इमरान बताते हैं कि सामान्य दिनों में शादी-ब्याह के एक सीजन में हम एक से डेढ़ लाख रुपये कमा लेते थे। लेकिन, लॉकडाउन शुरू होने के बाद से व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया है। बैंक से इएमआइ लेकर स्कूटी खरीदी थी। एकाउंट में पैसे थे तो बैंक ने अप्रैल, मई और जून का पैसा काट लिया। घर में राशन भरने और इएमआइ चुकाने के लिए मददगारों से उधार लेना पड़ रहा है। कभी कूलर रिपेयरिंग तो कभी किसी कंस्ट्रक्शन साइट पर हेल्पर का काम कर जीवन गुजारा कर रहे हैं।