जल गए कर्मचारियों के बकाया वेतन, पीएफ और पेंशन के दस्तावेज Jamshedpur News
सवाल यह उठ रहा है कि जिस भवन को सात वर्ष पूर्व जिला प्रशासन ने सील कर दिया था वहां बिजली कनेक्शन हनहीं होने के बावजूदआग कैसे लग गई।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। इंकैब कंपनी के जनरल ऑफिस में लगी आग में कर्मचारियों के बकाया वेतन, पीएफ और पेंशन से संबधित सभी दस्तावेज जल कर खाक हो चुके हैं। इस पूरी आगजनी में सवाल उठता है कि आखिर उस जनरल ऑफिस को जिसे सात वर्ष पूर्व जिला प्रशासन ने सील कर दिया था। जहां न बिजली है और न पानी का कनेक्शन। ऐसे में यहां शार्ट सर्किट की संभावना भी नहीं हो सकती है? फिर कैसे यहां आगजनी हो सकती है।
दैनिक जागरण से बात करते हुए इंडियन केबल वर्कर्स यूनियन महामंत्री राम विनोद सिंह ने इस आगजनी पर सवाल उठाया है। बकौल राम विनोद, जनरल ऑफिस में कर्मचारियों के पीएफ, कंपनी के वित्तीय खाते के दस्तावेज, गुड्स और बिजनेस एकाउंट्स, कंपनी संचालन को मिले लाइसेंस के दस्तावेज थे। इसके अलावे यहां कम्प्यूटर में कई महत्वपूर्ण जानकारियां, सर्वर, हार्ड डिस्क थे। आगजनी में सब जल गए। उन्होंने इस आगजनी को षडयंत्र करार दिया। कहा कि कुछ स्वार्थी लोग नहीं चाहते कि कंपनी फिर से खुले और कर्मचारियों या उनके बच्चों को रोजगार मिले।
जब कोर्ट ने मांगे दस्तावेज, तब लगी आग
राम विनोद सिंह ने सवाल उठाया कि जब-जब आइफर या पीएफ विभाग ने कंपनी के अधिकारियों कर्मचारियों से बकाए से संबधित दस्तावेज मांगे, तब कंपनी के अधिकारियों ने अपनी चोरी को छिपाने और साक्ष्य मिटाने के लिए कार्यालय में आग लगा दी। इस षडयंत्र में छोटी और बड़ी मछलियां शामिल हैं।
आगजनी की हो सीबीआई जांच : टायो संघर्ष समिति
टायो संघर्ष समिति के संयोजक अजय शर्मा ने शुक्रवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए केंद्र व राज्य सरकार से मांग की है कि इंकैब में हुई आगजनी की जांच सीबीआई से कराई जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरी घटना में जिला प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है और अब तक की आगजनी में कभी भी निष्पक्ष जांच नहीं हो पाई है। अजय का कहना है कि जनरल ऑफिस में पेट्रोल और पुआल की मदद से आग लगाई गई जो एक सोची समझी साजिश है। इस आगजनी से किसे फायदा होगा, यह जांच का मुख्य बिंदु है।