ऐसी है डॉ शालिनी की कहानी : मुंबई की चकाचौंध छोड़ गोवंश की सेवा को बनाया जीवन का ध्येय
मुंबई के एक निजी अस्पताल के वातानुकूलित कक्ष में बैठकर रोजाना 100 मरीजों को देखने एवं अच्छी खासी आमदनी रखने वाली डॉ मिश्र गोशाला में गोवंश की सेवा सुश्रुषा में जुटी हुई है।
चाकुलिया (पूर्वी सिंहभूम), पंकज मिश्र। जाने क्यूं मुश्किल राहों पर चल देते हैं, ऐसे ही चंद लोग दुनिया को बदल देते हैं। ये पंक्तियां डॉ शालिनी मिश्र पर एकदम सटीक बैठती है। एक तरफ माया नगरी मुंबई की चकाचौंध एवं तमाम सुख-सुविधाओं से लैस जिंदगी तो दूसरी तरफ बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझता कस्बाई शहर चाकुलिया एवं यहां की गोशाला। किसी भी आम इंसान से पूछने पर वह पहला वाला विकल्प ही चुनेगा। लेकिन डॉ शालिनी मिश्र ने दूसरे विकल्प को चुना।
मुंबई के एक निजी अस्पताल के वातानुकूलित कक्ष में बैठकर रोजाना 100 मरीजों को देखने एवं अच्छी खासी आमदनी रखने वाली डॉ मिश्र पिछले 3 महीने से चाकुलिया के सुनसान हवाई पट्टी क्षेत्र में ध्यान फाउंडेशन संस्था द्वारा संचालित गोशाला में गोवंश की सेवा सुश्रुषा में जुटी हुई है। इस गोशाला में भारत -बांग्लादेश बॉर्डर पर तस्करी से बचाए गए गोवंश को ला कर रखा जाता है। इनमें से अधिकांश मवेशी घायल एवं जीर्ण शीर्ण अवस्था में रहते हैं। विषम एवं विकट परिस्थितियों में ऐसे गोवंश को जीवित एवं सुरक्षित रखना वाकई कड़ी चुनौती है। लेकिन डॉ मिश्र सारी सुख सुविधा छोड़कर इस चुनौती से जूझ रही हैं।
सुबह सात से शाम पांच बजे तक गो सेवा
वे पिछले करीब 100 दिनों से नियमित रूप से सुबह 7 बजे गौशाला पहुंच जाती हैं एवं शाम 5 बजे तक वही रहती हैं। उनके लिए न कोई अवकाश है ना ही कोई सप्ताहिक छुट्टी। गोसेवा के प्रति पूरी तरह समर्पित डॉ मिश्र एक-एक गोवंश पर नजर रखती हैं। कोई भी गाय या बैल घायल दिख जाए अथवा उसके शरीर से रक्त बहता हुआ नजर आ जाए तो तत्काल इलाज में जुट जाती हैं। प्रचार-प्रसार से दूर रहकर गोवंश की सेवा को ही उन्होंने अपने जीवन का ध्येय बना लिया है। गौशाला के कर्मचारियों को भी उन्होंने सख्त ताकीद दी हुई है कि गोवंश की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह तत्पर रहें।
पांच वर्ष पूर्व जुड़ी ध्यान फाउंडेशन से
गोवंश के प्रति समर्पण के बाबत पूछने पर डॉ शालिनी मिश्र ने बताया कि वर्ष 2014 में ध्यान फाउंडेशन से जुड़ने के बाद उनके जीवन में काफी बदलाव आया। मुंबई में आयोजित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में ध्यान फाउंडेशन के योगी अश्वनी जी शिरकत करने आए थे। उनके विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने संस्था में जुड़ने का निश्चय किया। डॉ शालिनी मिश्र के पति डॉ वेद प्रकाश मिश्र, जो कि पेशे से वैज्ञानिक हैं, वह भी गोवा की एक गौशाला में सेवा दे रहे हैं। मिश्र दंपती को एक पुत्र एवं एक पुत्री है। पुत्री ऑस्ट्रेलिया में रिसर्च कर रही है जबकि पुत्र मुंबई में ही पढ़ता है। डॉ शालिनी कहती है कि पति एवं उनके विचार मिलने के कारण इस मार्ग को चुनना आसान हो गया। योग गुरु अश्वनी जी से जुड़ने के बाद दोनों विज्ञान से अध्यात्म की ओर उन्मुख हो गए।
चाकुलिया गौशाला में हैं 3000 गोवंश
ध्यान फाउंडेशन की चाकुलिया गौशाला में इस समय लगभग 3000 गोवंश की देखभाल की जा रही है। यहां दो पारा वेटरनरी चिकित्सक, 4 सहायक एवं करीब 70 कर्मचारी कार्यरत है। एक गोवंश के रख-रखाव पर प्रतिदिन औसतन 100 रुपए का खर्च आता है। यानी पूरे गौशाला का खर्च प्रतिदिन लगभग तीन लाख तथा महीने का 90 लाख रुपए है। पूरा खर्च ध्यान फाउंडेशन संस्था को जीव प्रेमियों एवं समाजसेवियों से मिलने वाली सहायता राशि के माध्यम से किया जाता है। गौशाला के लिए करीब 10 एकड़ जमीन कोलकाता ¨पजरापोल सोसाइटी द्वारा निशुल्क दी गई है। इस समय पूरे देश में ध्यान फाउंडेशन की विभिन्न गौशालाओं में करीब 8000 गोवंश की देखभाल की जा रही है। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। प्रतिदिन भारत बांग्लादेश सीमा से ट्रकों में भरकर गोवंश को विभिन्न गौशालाओं तक पहुंचाया जाता है।
स्थानीय ग्रामीणों को भी मिल रहा फायदा
ध्यान फाउंडेशन द्वारा चाकुलिया हवाई पट्टी परिसर में गौशाला खोलने से स्थानीय ग्रामीणों को भी इसका लाभ मिलने लगा है। हवाई पट्टी से सटे आस-पास के विभिन्न गांवों के करीब 70 महिला पुरुषों को यहां रोजगार मिला है। गौशाला के कर्मचारियों का इलाज भी डॉ शालिनी मिश्र निशुल्क कर देती हैं। इसके अलावा गौशाला में सुरक्षित रखे गए बैलों को कृषि कार्य के लिए स्थानीय किसानों को निशुल्क दिया जा रहा है। बीते गोपाष्टमी के दिन किसानों के लिये गोवंश वितरण का कार्यक्रम शुरू किया गया था। जरूरतमंद किसानों को इससे काफी लाभ मिल रहा है। इसके अलावा गौशाला में चारा, खाद्य सामग्री, दवा आदि की आपूर्ति कर भी लोगों को रोजगार मिल रहा है।