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कोरोना से बचने के लिए घर पर करें ये काम, नजदीक नहीं फटकेगा वायरस; ये रहा आसान तरीका

बिना मार्निंग वॉक के भी आप घर पर खुद को न सिर्फ फिट रख सकते हैं बल्कि मानसिक तनाव को भी कम कर सकते हैं। साथ ही आपको इससे आंतरिक ऊर्जा भी मिलेगी। छोटे-छोटे कुछ आसन घर पर ही कर आप अपने फेफड़ों को मजबूत बना सकते हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 24 May 2021 05:01 PM (IST)Updated: Mon, 24 May 2021 08:26 PM (IST)
कोरोना से बचने के लिए घर पर करें ये काम, नजदीक नहीं फटकेगा वायरस; ये रहा आसान तरीका
अंतराष्ट्रीय योग गुरु अंशु सरकार। फाइल फोटो

जमशेदपुर, जासं। कोविड 19 के सेकेंड वेव के कारण लोगों के बाहर निकलने पर पाबंदी है। मार्निंग वॉक के लिए भी जो व्यक्ति बाहर निकल रहे हैं उन्हें पुलिस पकड़ ले रही है। ऐसे में आपको यह जानना जरूरी है कि घर में सुरक्षित रहते हुए क्या करें कि आपकी सेहत दुरूस्त रहे।

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योगासना स्पाेटर्स एसोसिएशन ऑफ झारखंड व अंतराष्ट्रीय योग गुरु अंशु सरकार की मदद से हम बता रहे हैं कि बिना मार्निंग वॉक के भी आप घर पर खुद को न सिर्फ फिट रख सकते हैं बल्कि मानसिक तनाव को भी कम कर सकते हैं। साथ ही आपको इससे आंतरिक ऊर्जा भी मिलेगी। हमारा उद्देश्य है कि छोटे-छोटे कुछ आसन घर पर ही कर आप न सिर्फ अपने फेफड़ों को मजबूत बना सकते हैं बल्कि आपकी शारीरिक क्षमता का भी विकास होगा और आपको किसी अस्पताल के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

वार्म अप करें

किसी भी व्यायाम व योग से पहले अपने सभी जोड़ों को हिलाने के लिए वार्मअप करें। इससे हमारे शरीर में जितने भी जोड़ हैं जैसे गला, कंधा, कोहनी, कलाई, कमर, कुल्हे, घुटना, एड़ी को लचीला बनाना है। चाहे तो इसके बदले चार बार सूर्य नमस्कार भी कर सकते हैं।

गहरी सांस लेना 

सबसे पहले सीधे खड़े हो। अब दोनो हाथों की अंगुलियों को आपस में लॉक करें। फिर से अपने ठोड़ी से सटाते हुए दोनो कोहनियों को आपस में जोड़े। अब सांस लेते हुए दोनो हाथों को लॉक रखते हुए एक-दूसरे से दूर करें। फिर सांस लेते हुए वापस लाएं। यह क्रिया तीन से पांच बार दोहराएं।

वृक्षासन 

इस मुद्रा में सबसे पहले सीधे खड़े हो। अब एक पैर को दूसरे पैर के जंघे पर रखे और दोनो हाथों को ऊपर की ओर ले जाकर नमन की मुद्रा में रखे। इस क्रिया को दूसरे पैर पर भी एक-एक मिनट के लिए दो-बार करें। इस आसन से आप अपने पैर, हाथ और जोड़ों पर मजबूती महसूस करेंगे। इस आसन को करने से मस्तिष्क स्थिरता व संतुलन सहित एकाग्रता बढ़ती है।

उत्कटासन

इस आसन में पहले सीधे खड़े हो और अपने दोनों हाथों को सामांतर रखते हुए हथेलियों को जमीन की ओर रखे। फिर सांस लेते हुए रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए इतना झुके जैसे कुर्सी पर बैठे हो। कुछ देर ऐसे ही रहे फिर रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए खड़े हो। इस प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहराएं। इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी, कूल्हे व छाती की मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम होता है। पीठ के निचले हिस्से को मजबूती मिलती है।

ताड़ासन

इस आसन में दोनो पैरों के बीच चार-पांच इंच की दूरी पर खड़े हो। फिर पंजों के सहारे खड़े होकर अपने दोनो हाथों को लॉक सिस्टम में रखकर कार के सामने से सीधे ऊपर की ओर खीचे और कुछ देर रूके। फिर धीरे से नीचे हो जाए। 30 सेकेंड के लिए इस विधि को पांच बार दोहराएं। इसे करने से पीठ दर्द की शिकायत दूर होती है। स्ट्रेचिंग करने से लंबाई भी बढ़ती है। साथ ही संतुलन बनाए रखने में भी मदद मिलती है।

भुजंगासन

इस योग के लिए सबसे पहले पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। दोनो पैर एक साथ और हाथों के कंधे को बराबर रखे। कपाल और नाक को जमीन में सटाएं। अब कमर से सपोर्ट लेते हुए अपने शरीर को नाभी तक ऊपर उठाएं और कुछ देर वहीं रूके। फिर वापस धीरे-धीरे जमीन पर लेट जाएं। इस विधि को 30-30 सेकेंड के लिए तीन से चार बार करें। इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। पीठ लचीला बनता है। फेफड़े की शुद्धि के लिए यह सबसे अच्छा आसन है। पेट की चर्बी को भी कम करने में इससे मदद मिलती है।

शलभासन

इस विधि में अपने चेहरे को जमीन पर सटाकर पेट के बल लेट जाएं। फिर अपने दोनो पैर को सटाकर घुटने तक ऊपर उठाएं। फिर एक बार दाएं पैर को फिर बाएं पैर को ऊपर उठाएं। इस विधि को 30-30 सेकेंड के लिए तीन से चार बार दोहराएं। इससे पैर उठाते हुए सांस को रोक कर रखे और पैर नीचे लाते समय छोड़े। ऐसा करने से कमर और पीठ मजबूत होता है और पाचन क्रिया भी बेहतर होता है। गर्दन और नसों को भी मजबूती देना है।

पवन मुक्तासन

इस आसन में जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं। फिर एक पैर को मोड़ कर छाती से सटाएं और दोनो हाथों से दबाएं। फिर दूसरे पैर के साथ भी यही क्रिया को दोहराएं। तीन-तीन बार ऐसा करें। फिर दोनो पैर को छाती के पास लाकर दोनो हाथों से पकड़े। इस मुद्रा में सिर और छाती को जमीन से उठाएं और गहरी सांस को लेते व छोड़ते रहें। इस तरह की विधि से गैस से संबधित समस्या को आराम मिलता है।

अर्धमत्स्येंद्रासन 

इस विधि में समतल जमीन पर पल्थी मारकर बैठ जाएं। अब बाएं पैर को मोड़कर दाएं पैर को बाहर जांघ से सटाकर रखे। दाएं पैर को मोड़कर दाई एंडी को मूलाधर के बीच के काेमल भाग में दबाएं। बाएं घुटने की टेक लगाते हुए दायां कंधा अंडाकर बनाते हुए दाएं हाथ से बाएं पैर का अंगूठा पकड़े। फिर बाएं हाथ को पीछे पीठ की तरह घुमाकर दाई जांघ से स्पर्श करे। सिर बाएं ठुड्डी व कंधे व सीने को सीधा रखे। फिर दूसरे पैर को भी मोड़ कर इस क्रिया को दोहराएं। 30 सेकेंड के लिए दो से तीन बार इस क्रिया को अपनाएं। डायबिटिज के मरीजों के लिए यह रामबाण है। इससे मोटापा भी कम होता है और रीढ़ की हड्डी लचीली होती है और किडनी को भी लाभ मिलता है। इस योग को करने से यकृत स्वस्थ रहता है।

शीतकारी प्राणायाम

इस विधि में सुखासन पर बैठे। अब बाएं हाथ की हथेली को नीचे और दाएं हाथ की हथेली को ऊपर रखे। फिर आंखों को बंद कर नाक से सांस लें। फिर जीभ को घुमाकर बाहर लाएं और सांस छोड़े। फिर जीभ से ही सांस अंदर खीचे। इस विधि को तीन से चार बार करें। इस योग के करने से तनाव कम होता है। क्रोध व चिंता दूर होता है साथ ही भूख व प्यास को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसके अलावा रक्तचाप भी कम होता है।

ओम चैंटिंग

इस विधि में सबसे पहले सीधे बैठे और दोनो हाथों को ध्यान की मुद्रा में दोनो घुटनों के ऊपर रखें। अब आंख बंद कर नाम से सांस लेते हुए ओम का उच्चारण करते हुए ध्यान करें। ऐसा करने से तनाव से मुक्ति व आंतरिक शांति मिलेगी।

श्वासन

इस विधि में जमीन पर पीठ के बल लेट कर शरीर को ढ़ीला छोड़कर चार से पांच मिनट तक आराम करें। इस आसन से ध्यान को बढ़ाने व तनाव व थकान को घटाने में मदद मिलती है और मांसपेशियों को भी आराम मिलता है।


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