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पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ने कहा- बोलो क्या चाहिए नौकरी, पैसा या माओवादी केस

चाकुलिया में शरण लेने वाले भाजपा समर्थक पंचायत प्रतिनिधियों ने पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री और उनके पीए पर कई संगीन आरोप लगाया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Aug 2018 08:00 AM (IST)Updated: Wed, 15 Aug 2018 08:00 AM (IST)
पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ने कहा- बोलो क्या चाहिए नौकरी, पैसा या माओवादी केस
पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ने कहा- बोलो क्या चाहिए नौकरी, पैसा या माओवादी केस

पंकज मिश्रा चाकुलिया : चुनाव जीतने के बाद झाड़ग्राम के भाजपा समर्थक पंचायत प्रतिनिधियों को बरगलाकर सर्वप्रथम शिक्षा मंत्री के यहां ले जाया गया। मंत्री व उनके पीए ने पैसा और नौकरी लेकर तृणमूल में शामिल होने का प्रलोभन दिया। ऐसा नहीं करने पर माओवादी घोषित कर मुकदमे में फंसाने की धमकी दी गई। यह कहना है तीन हफ्ते से पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया में शरणार्थी बने पश्चिम बंगाल के पंचायत प्रतिनिधियों का।

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मंगलवार को दैनिक जागरण से बातचीत में इन्होंने तृणमूल सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम जिले के पांच नंबर अंचल के नेदाबोड़ा के जनप्रतिनिधि अजीत महतो व हरिपदो ¨सह और सरडीहा अंचल के गोपाल महतो ने बताया कि उन्हें कोलकाता के धर्मतल्ला स्थित शिक्षा मंत्री पार्थो चट्टोपाध्याय से मिलाने के बहाने ले जाया गया। उनके साथ झाड़ग्राम के प्रशासनिक पदाधिकारी और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता भी गए थे। वहां उनसे भाजपा छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने व तृणमूल समर्थित बोर्ड के गठन में मदद करने के लिए कहा गया। इसके बदले पैसा या परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का ऑफर दिया गया। जब उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया तो माओवादी घोषितकर मुकदमा लादने की धमकी दी गई। खुद शिक्षा मंत्री के प्रतिनिधि ने कहा कि अगर बात नहीं मानोगे तो ज्ञानेश्वरी ट्रेन कांड या शिलदा कांड में फंसा दिया जाएगा। नौकरी, पैसा अथवा माओवादी केस तीनों में से क्या चाहिए, यह तय कर लो। बावजूद उन्होंने तृणमूल में शामिल होने से मना कर दिया। कोलकाता से घर लौटने के बाद पुलिस का दबाव और बढ़ने लगा। इसके बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल छोड़कर दूसरी जगह शरण लेने का निर्णय लिया।

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अब शरणार्थियों को सता

रही घर-परिवार की ¨चता

चाकुलिया में शरणार्थी बने प्रतिनिधियों को अब घर-परिवार की ¨चता सता रही है। उनका एक-एक दिन बड़ी मुश्किल से कट रहा है। यहां वे ताश और लूडो खेल कर अपना समय काट रहे हैं। मंगलवार को शाम का भोजन पका रही एक महिला पंचायत प्रतिनिधि ने कहा कि घर छोड़े एक महीना होने जा रहा है। खेती का काम पूरी तरह चौपट हो गया है। यहां आए ज्यादातर लोग ग्रामीण अंचलों के रहनेवाले हैं। खेती ही उनकी मुख्य आजीविका है। गर फसल नहीं हुई तो खाएंगे क्या? दूसरी समस्या इनके साथ रह रहे बच्चों की पढ़ाई की है। शरणार्थी बने बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। जनप्रतिनिधियों ने बताया कि वहां आए दिन पुलिस उनके घर पर दबिश दे रही है। परिवार के जो लोग वहां हैं, उन्हें परेशान किया जा रहा है। उनसे कहा जा रहा है कि जल्दी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को बुलाओ, वरना उनके ऊपर अपहरण का मुकदमा कर दिया जाएगा।

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चाकुलिया में ही मनाएंगे

इसबार स्वतंत्रता दिवस

भाजपा समर्थक ये पंचायत प्रतिनिधि इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस चाकुलिया शहर में ही मनाएंगे। उन्होंने झंडोतोलन की पूरी तैयारी कर ली है। बुधवार सुबह धर्मशाला परिसर में ही झंडा फहराकर तिरंगे को सलामी देंगे। शरणार्थियों के साथ चाकुलिया में रह रहे झाड़ग्राम जिला भाजपा के महामंत्री संजीत महतो ने कहा कि तृणमूल सरकार ने ब्रिटिश हुकूमत को भी पीछे छोड़ दिया है। यह कैसी आजादी है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि स्वतंत्रता दिवस के दिन भी अपने घर नहीं जा पा रहे हैं।


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