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प्रवासी मजदूरों के आर्थिक उपार्जन में सहयोगी बनेगा कृषि विभाग Jamshedpur News

किसान मित्र की ओर से किए जा रहे सर्वे में अबतक करीब दो हजार मजदूरों को चिन्हित किया जा चुका है जो कृषि से जुड़ना चाहते हैं।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 03:06 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 03:06 PM (IST)
प्रवासी मजदूरों के आर्थिक उपार्जन में सहयोगी बनेगा कृषि विभाग Jamshedpur News
प्रवासी मजदूरों के आर्थिक उपार्जन में सहयोगी बनेगा कृषि विभाग Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। लॉकडाउन के दौरान विभिन्न प्रदेशों से लौट रहे पूर्वी सिंहभूम जिले के प्रवासी मजदूरों को आर्थिक उपार्जन में जिले का कृषि विभाग मदद करेगा। वापस लौटने वाले वैसे किसानों को कृषि विभाग की ओर से निश्शुल्क बीज दिया जाएगा।

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जो खेती करने के इच्छुक हैं उन प्रवासी मजदूरों को उनकी पसंद के अनुरूप खेत के रकवा के हिसाब से धान व सब्जी का बीज मुहैया कराया जाएगा। इसके साथ ही कृषि विभाग प्रावधान के अनुसार कृषि उपकरण प्रदान करने का काम भी किया जाएगा। इसके लिए गांव-गांव में किसान मित्र के माध्यम से सर्वे किया जा रहा है। किसान मित्र की ओर से किए जा रहे सर्वे में अबतक करीब दो हजार मजदूरों को चिन्हित किया जा चुका है जिन्होंने अपने गांव में रह कर अपनी जमीन पर खेती-बागवानी करने की इच्छा जताई है। जिला कृषि विभाग खेती करने वाले मजदूरों की मांग के अनुसार विभाग से धान व सब्जी का बीज उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखेगा। फिलहाल प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला जारी है। किसान मित्र भी गांव-गांव में वापस लौट रहे मजदूरों से मिलकर सर्वे का काम कर रहे हैं।

 बढ़ेगा पैदावार तो बढ़ सकती है समस्‍या

प्रवासी मजदूर अगर खेती करने लगें तो जिले में धान व सब्जी की उत्पादन तेजी से बढ़ेगा। धान, दाल आदि कुछ फसलों का उत्पादन बढऩे के जिला आत्मनिर्भर तो होगा ही, किसानों को उसका फायदा भी मिलेगा, लेकिन दूसरी तरफ माना जा रहा है कि सब्जी का उत्पादन बढऩा किसानों के लिए ही समस्‍या बन जाएगी। साल में एक बार ऐसा समय आ सकता है जब किसानों को फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिलता है और वे टमाटर, लौकी, खीरा आदि कई नकदी फसल को सड़क किनारे फेंक देते हैं या खेतों में ही छोड़ देते हैं। ऐसे में प्रवासी मजदूरों के खेती करने से किसानों के समक्ष विकट स्थिति पैदा हो सकती है।

समय रहते करनी होगी तैयारी

जिला प्रशासन व कृषि विभाग को इसके लिए पहले से तैयारी करना होगा कि सब्जी का उत्पादन बढऩे के बाद उसका खपत कैसे होगा और किसानों को उसके लागत मूल्य के साथ मुनाफा कैसे मिलेगा।

लगानी होगी फूड प्रोसेसिंग यूनिट

जिले में आने वाले प्रवासी मजदूरों को खेती से जोडऩे के साथ ही फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्‍थापना करनी होगी। इस जिले में टमाटर का उत्पादन अधिक होता है। टमाटर सॉस बनाने वाली कंपनी किसानों से औने-पौने दाम में टमाटर खरीदकर कोल्ड स्टोर में रख लेती है। पूर्वी सिंहभूम जिले में अमाटर सॉस, आलू चिप्स, दाल प्रोसेसिंग यूनिट, धान मील, आचार, समेत कई यूनिट लगाए जा सकते हैं। जिले में इसकी असीम संभावनाएं हो सकती हैं। यहां दाल का उत्पादन खपत के अनुपात में अधिक होने की बड़ी संभावनाएं है, लेकिन समस्‍या यह है कि दाल प्रोसेसिंग के लिए यूनिट नहीं है।

फायदे के लिए बनाना होगा एफपीओ

एफपीओ यानी किसानी उत्पादक संगठन किसानों का एक समूह का गठन समय की जरूरत है। यह संगठन कृषि उत्पादन कार्य करने के साथ कृषि से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित करेगा। जिले में भी किसानों का ऐसा एक समूह बनाकर कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड करवाना होगा। संगठन से जुड़े किसानों को न सिर्फ अपनी उपज का उचित बाजार मिलेगा बल्कि खाद, बीज, दवाइयों और कृषि उपकरण आदि खरीदना आसान हो जाएगा। सेवाएं सस्ती मिलेंगी तो बिचौलियों के मकडज़ाल से मुक्ति मिलेगी। एफपीओ सिस्टम में किसान को उसके उत्पाद के भाव अच्छे मिलते हैं, क्योंकि यहां बिचौलिए नहीं होते हैं। 

कोल्‍ड स्‍टोरेज का नहीं होना रहा है बड़ी समस्‍या

पूर्वी सिंहभूम में किसानों को आॢथक रूप से आत्म निर्भर बनाने के लिए  कोल्ड स्टोर की आवश्यकता है। जिला कृषि विभाग की ओर से सरकार को सिंचाई सुविधा बेहतर बनाने के साथ फूड प्रोसेङ्क्षसग यूनिट और कोल्ड स्टोर के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके साथ ही जिले के कृषि उत्पादन को दूसरे प्रदेशों में भेजने का मुक्कमल व्यवस्था की जाएगी। बोड़ाम प्रखंड में एक कोल्ड स्टोर का निर्माण हो भी रहा है। किसानों ने बताया कि निर्माणाधीन कोल्ड स्टोर का ढांचा आलू के लिए उपयोगी है। टमाटर और अन्य सब्जी के लिए नहीं। इस क्षेत्र में आलू का पैदावार कम है। जिले में एफपीओ गठन का काम प्रगति पर है।


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