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Jamshedpur News : एमजीएम में हुई घोटाला की जांच की मांग तेज, झारखंड श्रमिक संघ ने अधीक्षक को सौंपा ज्ञापन

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पूर्व में संचालित कई आउटसोर्स कंपनियों पर गड़बड़ी करने का आरोप लगता रहा है। इसकी जांच की मांग तेज हो गई है। सोमवार को झारखंड श्रमिक संघ ने एमजीएम अधीक्षक डॉ. संजय कुमार को एक पत्र सौंप जांच की मांग की।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 04:12 PM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 04:12 PM (IST)
Jamshedpur News : एमजीएम में हुई घोटाला की जांच की मांग तेज, झारखंड श्रमिक संघ ने अधीक्षक को सौंपा ज्ञापन
एमजीएम में हुई घोटाला की जांच की मांग तेज, झारखंड श्रमिक संघ ने अधीक्षक को सौंपा ज्ञापन

जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पूर्व में संचालित कई आउटसोर्स कंपनियों पर गड़बड़ी करने का आरोप लगता रहा है। इसकी जांच की मांग तेज हो गई है। सोमवार को झारखंड श्रमिक संघ के महासचिव शैलेंद्र कुमार मैथी ने एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संजय कुमार को एक पत्र सौंपकर इसकी जांच व आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है।

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साथ ही इसका प्रतिलिपि झारखंड के मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को भी भेजी गई है। शैलेंद्र मैथी ने कहा कि पूर्व में कार्यरत आउटसोर्स कंपनियों ने न सिर्फ कर्मचारियों की संख्या कम रखा बल्कि उन्हें सही वेतन भी नहीं दिया गया। शैलेंद्र मैथी ने कहा कि संवेदक के अधीन लगभग 700 की संख्या में आउटसोर्स कर्मी एमजीएम में कार्यरत थे।

इनके कार्य अवधि में क्रमश: 230 की संख्या में नर्सेज ए‌वं बाकी श्रमिकों में स्वीपर, वार्ड ब्वाय, वार्ड गर्ल, ड्रेसर तथा तकनीकी कार्य में कंप्यूटर ऑपरेटर, एक्सरे टेक्नीशियन आदि कार्यरत थे। इन सभी श्रमिकों का वेतन भुगतान में सरकार के द्वारा निर्गत निविदा में अंकित दैनिक वेतन क्रमश: नर्स का 1180 रुपए एवं अन्य तकनीकी कर्मचारियों को तथा अकुशल कर्मचारियों को सरकार द्वारा निर्धारित से कम भुगतान की गई है। जबकि सरकार की ओर से इससे अधिक भुगतान करने का निर्देश दिया गया है।

शैलेंद्र मैथी ने कहा कि अगर जल्द ही इसकी जांच और संबंधित संवेदक पर कार्रवाई नहीं की गई तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि इस घोटाले की अगर सही से जांच हुई तो बड़े-बड़ों की गर्दन फंस सकती है। यही कारण है कि संबंधित अधिकारी जांच कराने में ढिलाई बरत रहे हैं। 


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