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जोर पकड़ने लगी विस्‍थापितोंं को मालिकाना हक की मांग Jamshedpur News

Demand for Land ownership.चांडिल बांध के विस्थापित पुनर्वास स्थलों में विस्थापितों के लिए आवंटित भूखंड पर मालिकाला हक देने के लिए अब आंदोलन कर रहे हैं। विमुवा नेता ने कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती तबतक चरणबद्ध तरीके से आंदोलन जारी रहेगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 10:26 AM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 01:47 PM (IST)
जोर पकड़ने लगी विस्‍थापितोंं को मालिकाना हक की मांग Jamshedpur News
चांडिल डैम के विस्‍थापितोे की मालिकाना हक की मांग जोर पकड़ने लगी है।

जमशेदपुर, जासं।  देश व राज्य के विकास के लिए अपना सर्वस्व कुर्बान करने वाले विस्थापित अब दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हैं। विकास के नाम पर पुरखों की जमीन-जायदाद, घर-द्वार छोड़ देने वाले विस्थापित अब बेघर और भूमिहीन हो गए हैं। सरकार की ओर से इन्हें भूखंड आवंटित तो किया गया है, लेकिन जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया गया है। विस्थापितों को आवंटित भूखंड को राजस्व अभिलेख में उनके नाम पर दर्ज नहीं किया गया है। जिसका नतीजा है कि अब विस्थापित बच्चों को शिक्षा व नौकरी के लिए आवासीय समेत अन्य प्रमाण पत्र बनाने में परेशानी हो रही है। ऐसे में अब विस्थापितों में आवंटित जमीन का मालिकाना हक देने की मांग जोर पकड़ने लगी है।

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 पुनर्वास स्थलों में विस्थापित आंदोलन करने लगे हैं। चांडिल बांध के विस्थापितों के लिए बनी विस्थापित मुक्ति वाहिनी आंदोलन की अगुवाई कर रही है। वाहिनी नेता श्यामल मार्डी ने बताया कि कई पुनर्वास स्थलों में सरकार की ओर से विस्थापितों के लिए आवंटित भूखंड पर गैर विस्थापितों का कब्जा है। जमीन के कागजात किसी के नाम नहीं रहने के कारण विस्थापित किसी को भी कब्जा हटाने के लिए नहीं कह पाते हैं। वहीं, सरकार भी गैर विस्थापितों को विस्थापितों के लिए बनाए गए पुनर्वास स्थलों से हटाने को लेकर कोई पहल नहीं कर रही है। ऐसे में विस्थापितों के लिए पुनर्वास स्थलों में रहना दुभर हो गया है। 

मालिकाना हक के लिए कर रहे हैं आंदोलन

चांडिल बांध के विस्थापित पुनर्वास स्थलों में विस्थापितों के लिए आवंटित भूखंड पर मालिकाला हक देने के लिए अब आंदोलन कर रहे हैं। विमुवा नेता ने कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती, तबतक चरणबद्ध तरीके से आंदोलन जारी रहेगा। ज्ञात हो कि चांडिल डैम के विस्थापितों को सरकार ने विभिन्न पुनर्वास स्थलों में जमीन आवंटित की है। जहां विस्थापित आवंटित जमीन पर करीब 30 वर्ष से बसे हुए हैं, लेकिन आजतक न तो पुनर्वास स्थलों का सीमांकन हुआ है और न ही विस्थापितों को आवंटित भूखंडों का मालिकाना हक दिया गया है। मालिकाना हक की मांग पर विश्व आदिवासी दिवस व अगस्त क्रांति दिवस नौ अगस्त को चांडिल बांध के विस्थापित सभी पुनर्वास स्थलों पर लॉकडाउन के नियमों का अनुपालन करते हुए धरना दिया था। वहीं 28 सितंबर को विस्थापितों ने चिलगु पुनर्वास स्थल पर विस्थापितों को पुनर्वास स्थलों में जमीन का मालिकाना हक देने की मांग पर पदयात्रा की और शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन किया।

 चल रहा चरणबद्ध आंदोलन

चांडिल प्रखंड के चिलगु पुनर्वास स्थल में विस्थापित मुक्ति वाहिनी नेता कपूर बागी के नेतृत्व में पंचायत भवन परिसर से लेकर टाटा रांची राष्ट्रीय राजमार्ग 33 पर स्थित तिलका चौक तक पैदल मार्च निकाली गई। हाथों में महात्मा गांधी की फोटो एवं तख्तियां लेकर निकाले गए पैदल मार्च में सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद अंजुम ने कहा कि विस्थापित मुक्ति वाहिनी सभी पुनर्वास स्थल का सीमांकन करने, विस्थापितों को आवंटित भूखंड को राजस्व अभिलेख में दर्ज करने समेत अन्य मांगों के समर्थन में गांधी जयंती के अवसर पर चांडिल डैम के नौका विहार में एक दिवसीय सत्याग्रह करेगी।


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