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बेटी ने निभाया बेटे का धर्म, मां को दी मुखाग्नि

आरती की दो बेटियां अपनी मां की अंतिम यात्रा में शरीक हुईं। एक बेटी ने मां को मुखाग्नि दी और दूसरी ने उसे सहयोग दिया।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 02:44 PM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 07:38 PM (IST)
बेटी ने निभाया बेटे का धर्म, मां को दी मुखाग्नि
बेटी ने निभाया बेटे का धर्म, मां को दी मुखाग्नि

जमशेदपुर (जेएनएन)। लौहनगरी की बेटियों ने एकबार फिर मिसाल कायम की है। इसने समाज को आईना दिखाया है। बेटियों ने बेटे का धर्म निभाया और अपनी मां के अंतिम संस्कार में न केवल शरीक हुईं बल्कि मुखाग्नि भी दी।

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हिन्दू धर्म में मान्यता है कि माता-पिता को मुखाग्नि केवल बेटा ही दे सकता है। बेटा न हो तो परिवार के किसी अन्य सदस्य द्वारा यह कर्मकांड निभाया जाता है। महिलाओं के लिए तो श्मशान घाट में झांकने की इजाजत तक नहीं। लेकिन पूर्वी सिंहभूम जिले के मुख्यालय जमशेदपुर के टेल्को इलाके के घोड़ाबांधा की आरती नंदी का निधन हुआ तो मान्यता टूटी। आरती की दो बेटियां अपनी मां की अंतिम यात्रा में शरीक हुईं। एक बेटी ने मां को मुखाग्नि दी और दूसरी ने उसे सहयोग दिया।

आरती नंदी टेल्को के सेवानिवृत्त कर्मचारी की पत्नी थीं। उनकी तीन संतानें हैं। तीनों बेटियां हैं। एक बेटियां साथ रहती हैं जबकि दो बाहर। आरती इधर लगातार बीमार चल रहीं थीं। उन्हें तामोलिया स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने गुरुवार की रात दम तोड़ दिया। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को मानगो के स्वर्णरेखा नदी घाट पर किया गया। मुखाग्नि बेटी सौमिता नंदी ने दी। सौमिता दिल्ली में नौकरी करती हैं। अंतिम संस्कार के मौके पर काफी संख्या में नाते-रिश्तेदार व शुभचिंतक मौजूद रहे।

प्रो बागची को इकलौती बेटी ने दी थी मुखाग्नि

जमशेदपुर में इससे पहले भी कई बे‍टियां मिसाल कायम कर चुकी हैं। पिछले दिनों जमशेदपुर के बिष्‍टुपुर स्थित पार्वती घाट पर सोमा बागची ने अपने पिता प्रो. श्याम कुमार बागची को मुखाग्नि दी थी। सोमा अमेरिका में रहती है़। को- ऑपरेटिव कॉलेज के संस्‍थापक सदस्‍य रहे प्रो बागची सोनारी में रहते थे। पुत्री के अमेरिका से लौटने तक बागची का अंतिम संस्‍कार नहीं किया गया था। 

रामचंद्र को बेटियों ने दिया था कंधा

वर्ष 2012 में परसूडीह भाजपा मंडल अध्‍यक्ष रामचंद्र सिंह की इलाज के दौरान टाटा मोटर्स अस्‍पताल में मौत हो गई थी। पुत्र नहीं होने की वजह से सरजामदा निवासी रामचंद्र को पुत्री स्वीटी ने मुखग्नि दी थी। चार पुत्रियों ने अर्थी को कंधा दिया था। 


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