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CSR and Philanthropy : भारत की इन पांच कंपनियों पर कीजिए गर्व, जो गंभीरता से करती है सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन

कोरोना काल में जब देश संक्रमण के दंश से जूझ रहा था तब कॉरपोरेट सेक्टर ने दिल खोलकर मदद को हाथ बढ़ाए। टाटा समूह ने 1500 करोड़ रुपये दान दिए। कई कंपनियां आज भी सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वाह करते हुए लोगों की जीवन स्तर को बेहतर बनाने में जुटा है।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 06:06 AM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 06:13 PM (IST)
CSR and Philanthropy : भारत की इन पांच कंपनियों पर कीजिए गर्व, जो गंभीरता से करती है सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन
भारत की इन पांच कंपनियों पर कीजिए गर्व, जो गंभीरता से करती है सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन

जमशेदपुर : स्टील हमारे जीवन से जुड़ा हुआ धातु है। कार हो या रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन हो या घर के निर्माण में लगने वाले छड़, सड़क, पुल, हवाई जहाज सहित सभी में स्टील का उपयोग होता है। इसलिए स्टील सीधे हमारी खपत और उत्पादन से जुड़ा हुआ है।

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यह धातु किसी भी देश की सामाजिक व आर्थिक विकास को जोड़ता है। भारत में स्टील कंपनियां अपनी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) के माध्यम से समाज के विकास में योगदान करती है। सीएसआर की मदद से कंपनियां ग्रामीण जनता के जीवन स्तर को बेहतर बनाने, मूलभूत सुविधाओं में विस्तार करने, बच्चों की शिक्षा में भी योगदान करती है। तो आइए हम बताते हैं कि देश की स्टील उत्पादक कंपनियां सीएसआर के तहत क्या-क्या काम करती है।

टाटा स्टील 

टाटा स्टील की स्थापना झारखंड (पूर्व में संयुक्त बिहार) के पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर में स्थापित है। इस कंपनी की स्थापना वर्ष 1907 में हुई। टाटा स्टील ने अपने संस्थापक के सपनों को पूरा करने के लिए 65 वर्ग किलोमीटर में एक शहर ही बसा दिया। यहां चौड़ी सड़क, सड़कों के किनारे छायादार पेड़, पानी-बिजली सहित सभी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था शहर के लिए टाटा स्टील ही करती है।

इसके अलावा कोविड 19 में टाटा स्टील ने अपने द्वारा संचालित टाटा मेन हॉस्पिटल में संक्रमित मरीजों का इलाज निशुल्क किया। वहीं, जब देश में आक्सीजन की किल्लत हुई तो टाटा स्टील ने विदेशों से 5000 कंटेनर मंगवाए और देश भर में लिक्विड मेडिकल आक्सीजन की आपूर्ति की। इसके अलावा कोविड 19 के कारण जब लॉकडाउन लगा तो कई परिवारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई।

टाटा स्टील फाउंडेशन ने हर दिन 50 हजार लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की। 35 हजार परिवारों को एक माह का सूखा राशन पहुंचाया। वर्तमान में फाउंडेशन की मदद से अपनों की सुनो अभियान के तहत कोल्हान के 1900 पंचायतों में सहिया दीदी के सहयोग से वैक्सीन लेने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है।

इसके अलावा मातृत्व व शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए झारखंड व ओडिसा में मानसी प्रोजेक्ट, बच्चों के पढ़ाई के साथ पर्यावरण की जरूरत के लिए ग्रीन स्कूल का भी संचालन करती है। इसके अलावा टाटा स्टील खेलों को बढ़ावा देने में भी काफी योगदान देती है।

फाउंडेशन की ओर से झारखंड व ओडिसा में दो नवल टाटा हॉकी भी संचालित है जहां भविष्य के ओलिंपियन तैयार किए जा रहे हैं। वहीं, जेआरडी टाटा स्पोटर्स कॉम्प्लेक्स द्वारा आर्चरी, एथलीट, बॉक्सिंग, स्वमिंग, रोल बॉल, बॉलीबॉल, क्लाइंबिंग जैसे खेलों को भी बढ़ावा देती है। जेआरडी टाटा स्पोटर्स कॉम्प्लेक्स से कई खिलाड़ी निकले जो अर्जुन व द्रोणाचार्य अवार्ड प्राप्त किया। टाटा स्टील ने बीते वित्तीय वर्ष सीएसआर के तहत 193 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की।

जेएसडब्ल्यू स्टील

 

जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड अपने उत्पादों की गुणवत्ता, निरंतर विकास और सीएसआर में किए जाने वाले काम के लिए पहचाने जाते हैं। जेएसडब्ल्यू स्टील भी राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रतिबद्ध है। कंपनी ने अपनी सीएसआर नीति के तहत वित्त वर्ष 2019-20 में 139.73 करोड़ की राशि खर्च की।

जेएसडब्लयू स्टील ने अपने जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन के माध्यम से चार राज्यों के 255 गांवों में अपनी सीएसआर के तहत मूलभूत सुविधाओं के क्षेत्र में काम किया। साथ ही स्वास्थ्य और पोषण, कौशल और आजीविका, शिक्षा, पानी, स्वच्छता और सामुदायिक सशक्तिकरण पर सबसे ज्यादा फोकस किया।

ग्रामीण बीपीओ और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को बढ़ावा देने के माध्यम से देश भर में ग्रामीण महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए जेएसडब्ल्यू की शक्ति अभियान काम कर रही है। यह पहल बुनियादी ढांचे, प्रशिक्षण पद्धति और क्षमता निर्माण के माध्यम से ग्रामीण स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए भी काम कर रही है। इसके अलावा, कंपनी पर्यावरण उन्नयन कार्यक्रम चला रही है और राष्ट्रीय विरासत के संरक्षण और ओलंपिक खेलों को बढ़ावा देने की दिशा में भी काम कर रही है।

कंपनी को आईआईएम सस्टेनेबिलिटी अवार्ड्स में दूसरा पुरस्कार दिया गया था।

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड

 

 सेल का उद्देश्य उन सामाजिक तरीकों से व्यवसाय करना है जो उन समुदायों को सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं। कंपनी ने पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान औसतन शुद्ध घाटा हुआ है। हालांकि ऐसे में कंपनी द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए कोई राशि खर्च करने की आवश्यकता नहीं थी। इसके बावजूद कंपनी ने सीएसआर गतिविधियों पर 27.56 करोड़ की राशि खर्च की।

कंपनी ने ग्रामीण विकास के क्षेत्र में देश भर में स्टील टाउनशिप, माइंस और दूर-दराज के स्थानों में और उसके आसपास अपनी सीएसआर परियोजनाओं को पूरा किया। जिसमें मॉडल स्टील विलेज (एमएसवी) का रखरखाव, चिकित्सा और स्वास्थ्य देखभाल, टीकाकरण, पूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल, शिक्षा, पेयजल व्यवस्था, सड़क के किनारे पौधारोपण, पर्यावरण स्थिरता, महिला सशक्तिकरण, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से सतत आय सृजन, वरिष्ठ नागरिकों को सहायता, दिव्यांग (पीडब्ल्यूडी), खेल को बढ़ावा देना, कला और संस्कृति, आदि शामिल है।

कंपनी ने सात आकांक्षी जिलों में सीएसआर गतिविधियां शुरू की हैं, इसमें छत्तीसगढ़ में कांकेर, नारायणपुर और राजनांदगांव और झारखंड में पश्चिम सिंहभूम, बोकारो और रांची, हरियाणा में नूंह; इन क्षेत्रों में भौतिक और सामाजिक दोनों बुनियादी ढांचे का व्यापक विकास के लिए काम किया। कंपनी को सीएसआर टाइम्स अवार्ड्स, 2019 के तहत शिक्षा श्रेणी में 'डीएवी रावघाट इस्पात सीनियर सेकेंडरी' की स्थापना करने के लिए 'सर्वश्रेष्ठ पीएसयू' से सम्मानित किया गया। कंपनी की ओर से कांकेर में अंतागढ़, छत्तीसगढ़ में रावघाट खनन क्षेत्र पब्लिक स्कूल 'आकांक्षी जिलों में से एक है।

हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड

आदित्य बिड़ला समूह की सहायक कंपनी हिंडाल्को इंडस्ट्रीज देश में सीएसआर कानून लागू होने से पहले सामुदायिक विकास कार्य में शामिल रही है। महात्मा गांधी की ट्रस्टीशिप की अवधारणा से प्रेरित होकर, कंपनी समाज के वंचित वर्गों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 50 से अधिक वर्षों से काम कर रही है।

कंपनी ने वित्त वर्ष 2019-20 में अपने सीएसआर के तहत लगभग 38.53 करोड़ रुपये खर्च किए। कंपनी के सीएसआर कार्यक्रमों के लाभार्थी ज्यादातर भारत के गांवों के लोग हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। कंपनी चार क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके अपने उत्थान के लिए काम करती है जिसमें स्वास्थ्य सेवा, कौशल प्रशिक्षण / क्षमता निर्माण, महिला अधिकारिता और कृषि सहायता शामिल हैं। कंपनी विधवा पुनर्विवाह और दहेज रहित विवाह के माध्यम से सामाजिक सुधार लाने के लिए भी काम करती है।

हिंडाल्को इंडस्ट्रीज द्वारा किए गए इन सामाजिक निवेशों ने इसे 11 भारतीय राज्यों के 714 गांवों के 1.13 मिलियन लोगों तक अपनी पहुंच स्थापित की। कंपनी को कौशल और आजीविका में अपनी पहल की मान्यता में भारत सरकार के राष्ट्रीय सीएसआर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

जिंदल स्टील एंड पावर

जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) जेएसपीएल फाउंडेशन के माध्यम से भारत में अपनी सीएसआर कार्य करती है। शालू जिंदल जेएसपीएल फाउंडेशन का नेतृत्व करते हैं। जेएसपीएल के पास विशाल कारखानों और खनन स्थलों को चलाने की मुख्य योग्यता है, जिसका वह जेएसपीएल फाउंडेशन के माध्यम से सीएाआर परियोजनाओं को लागू में काम करती है।

जेएसपीएल ने एचपी के साथ एक टेलीमेडिसिन केंद्र बनाने में सहयोग किया है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में मृत्यु दर और रुग्णता को कम करने के लिए उन्नत स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जा सकें। सात टेलीमेडिसिन केंद्र छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में फोर्टिस ओपी जिंदल अस्पताल से जुड़े हुए हैं। 2018-19 में सात केंद्रों में 20 हजार से अधिक लोगों ने इन टेलीमेडिसिन सुविधाओं का लाभ उठाया। साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा का भी लाभ लिया।

ओपी जिंदल अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, रायगढ़, छत्तीसगढ़ की स्थापना सात अगस्त 2008 को जिंदल समूह के संस्थापक ओपी जिंदल की 78 वीं जयंती पर हुई थी। जिसका एकमात्र उद्देश्य रायगढ़ के आसपास के क्षेत्रों में संपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना था।

अस्पताल परिवार नियोजन शिविरों और मोतियाबिंद सर्जरी के लिए जिला स्वास्थ्य अधिकारियों के सहयोग से गांवों में नि: शुल्क सुपर विशेषज्ञ शिविर आयोजित करता है। यह मुफ्त पोलियो और सीपी विकृति सुधार शिविर, मुफ्त दंत चिकित्सा जांच शिविर भी आयोजित करता है और स्कूली बच्चों के लिए स्वास्थ्य का भी ख्याल रखती है। इसके अलावा जेएसपीएल फाउंडेशन समुदाय के जीवन में गुणात्मक सुधार के लिए सड़क, पुल, स्कूल, अस्पताल, पेयजल आपूर्ति, बिजली और शौचालयों की भी व्यवस्था व निर्माण करती है।


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