दलमा में बाघ की गिनती : पहले दिन हाथी, भालू, साहिल व हिरण का मिला पदचिन्ह व लीद
Counting of Tigers in Dalma दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में एक दिसंबर से आठ दिसंबर तक बाघों की गिनती शुरू हो गई है। दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के प्रभारी डीएफओ मौन प्रकाश ने बताया कि दलमा समेत पूरे प्रदेश में बाघों की गिनती हो रही है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जमशेदपुर से सटे दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में एक दिसंबर से आठ दिसंबर तक बाघों की गिनती शुरू हो गई है। पूरे देश में पांचवी बाघों की गिनती हो रही है। दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के प्रभारी डीएफओ मौन प्रकाश ने बताया कि दलमा समेत पूरे प्रदेश में बाघों की गिनती हो रही है। बाघों की गिनती के साथ ही सभी प्रकार के जानवरों यथा पशु-पक्षियों के साथ ही पेड़ पौधों को भी नोट किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि आठ दिनों तक चलने वाले गणना के बाद यह रिपोर्ट भारत सरकार को भेज दी जाएगी। बाघों की गिनती के दौरान बुधवार को पहला दिन बाघ तो नहीं मिला, लेकिन हाथी, भालू, साहिल व हिरण का पद चिन्ह व लीद पाए गए। प्रभारी डीएफओ मौन प्रकाश ने बताया कि गिनती में कैमरा का भी सहारा लिया जा रहा है।
अलग-अलग तिथि को अलग तरीके से होगी गणना
दलमा के रेंजर दिनेश चंद्रा ने बताया कि दलमा पूर्व व दलमा पश्चिमी क्षेत्र में हो रहे बाघों की गणना के साथ ही अन्य जानवरों की भी गणना की जा रही है। उन्होंने बताया कि अलग-अलग तिथि को अलग तरीके से जानवरों की गणना की जा रही है। एक दिसंबर से तीन दिसंबर
जानवरों के पद चिन्ह, लीद से अनुमान लगाया गया जाएगा कि जानवर कब यहां आए, कौन-कौन जानवर, कितनी संख्या में आए। गिनती करने वाले टीम के सदस्य पांच किमी के दायरे में जानकारी इकठ्ठा करेंगे। इसमें देंखेंगे कि कौन सा जानवर मांसाहारी है और कौन शाकाहारी आदि को अंकित करेंगे।
चार दिसंबर से छह दिसंबर
इन दिनों जानवरों की गिनती में लगे कर्मचारियों को फार्म दिया जाएगा, जिसमें जंगल में रहने वाले जानवरों द्वारा अधिक प्रयोग में लाए जाने वाले रास्तों के ईर्द गिर्द रहेंगे और जानवरों पर नजर रखकर गिनती करेंगे। इस दौरान कर्मचारियों को दो किमी के क्षेत्र में गिनती का काम करना होगा। जानवरों के खुर से उसकी संख्या का पहचान की जाएगी। इसके अलावा उनके रहने के स्थान आदि के बारे में जानकारी ली जाएगी।
सात दिसंबर
सात दिसंबर को घने जंगलों यानि बफर जोन में जाकर जानवरों की गिनती करेंगे।
आठ दिसंबर
गिद्ध और विलुप्त हो रहे महत्वपूर्ण पक्षियों पर विशेष नजर रहेगी। इसके बाद सभी रिपोर्ट को कंपाइल की जाएगी।