कर्तव्यनिष्ठा को सलाम:जान जोखिम में डाल हर सुबह आपके दरवाजे तक पहुंचते हैं अखबार वितरक
अखबार को पाठकों को दरवाजे तक सुबह-सुबह पहुंचाने का काम अखबार वितरक (कर्मयोगी) करते हैं। इनके जज्बे को कीजिए सलाम जो जान जोखिम में डाल आपके दरवाजे तक अखबार को पहुंचाते हैं।
जमशेदपुर,जासं। देश- दुनिया के हाल के साथ-साथ कोरोना वायरस से जुड़ी छोटी से बड़ी खबरों की पूरी सच्चाई सिर्फ और सिर्फ अखबारों के माध्यम से ही पाठकों तक पहुंचाई जा रही है। लॉकडाउन के इस दौर में सिर्फ अखबार ही एक ऐसा साधन है जो कोरोना वायरस से जुड़ा किसी तरह का भ्रम नहीं फैला कर पाठकों तक पूरी सच्चाई पहुंचा रहा है और इस अखबार को पाठकों को दरवाजे तक सुबह-सुबह पहुंचाने का काम अखबार वितरक (कर्मयोगी) करते हैं। इनके जज्बे को कीजिए सलाम, जो जान जोखिम में डाल आपके दरवाजे तक अखबार को पहुंचाते हैं।
लॉकडाउन के कारण पाठक अपने-अपने घरों में ही कैद हो गए है, लेकिन जैसे ही सुबह पाठकों की नींद खुलती है। सबसे पहले वे अखबार पढ़ना चाहते हैं। क्योंकि अखबार पढ़ने के बाद दुनिया की खबरों से खुद को पाठक अपटेड कर लेते हैं। आपके दरवाजे तक अखबार पहुंचाने के लिए कर्मयोगी को तड़के तीन बजे अपना घर छोड़ देना पड़ता है और अखबार के सेंटर में जाकर अखबार उठाना पड़ता है, जहां से वे गली मोहल्लों में घूम-घूम कर आपके जगने से पहले ही आप के दरवाजे तक अखबार पहुंचा देता है। लॉकडाउन के दौरान अपने पाठकों का ख्याल रखते हुए सभी बाधाओं को पार कर अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं।
अखबार ही एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए सरकारी अधिकारी अपने निर्देशों को जनता तक पहुंचा रहे हैं। अखबार के माध्यम से एक साथ करोड़ों जनता इससे लाभांवित हो रही है। इतना ही नहीं लॉकडाउन के दौरान कालाबाजारी करने वालों को भी अखबार से खौफ है। कहीं उनकी पोल न खुल जाए। अखबार ही है जो समय समय पर अपने पाठकों को प्रत्येक मार्ग से लाभ पहुंचाने में मदद कर रहा है। अखबार वितरक तरुण दास, कमल यादव, वीरू पांडेय व भागवत साहू सर्दी, गर्मी व बरसात में प्रतिदिन आपके दरवाजे पर अखबार डालने का काम करते आ रहे हैं।