Coronavirus Alert : भारतीय परंपरा को अपनाने से ही कोरोना से होगा बचाव Jamshedpur News
Coronavirus Alert.
जमशेदपुर, जासं। Coronavirus Alert भारतीय संस्कृति अपने मूल स्वरूप में मानवतावादी है। यह भी सत्य है कि हमारी सामाजिक संरचना में कई प्रकार के निषेधात्मक व्यवस्थाएं निर्धारित की गई हैं जो तथाकथित आधुनिकता के स्वघोषित व्याख्याकारों को भेदभाव एवं अस्पृश्यता दिखती है। आज जब कोरोना विषाणु के घातक प्रसाद के समक्ष सारी चिकित्सा पद्धति विवश हो गई है, उन वर्जनाओं का औचित्य स्पष्ट हो रहा है।
अथर्ववेद के ऋषि भैषच्य चिकित्सा परंपरा का उद्देश्य मानव मात्र का कल्याण घोषित करते हुए कहते हैं ‘ कृण्वंतु विश्वे देवा आयुष्टे शरद: शतम।’ विषाणुओं के प्रसार की रफ्तार की तीव्रता को अवरुद्ध करने के लिए स्वच्छता के प्रति आग्रही भारतीय परंपरा आज कोरोना के कारण अपना अर्थ समझा रही है। छूत की बीमारी से निबटने के भारतीय तरीके आज पूर्ण रूप से वैज्ञानिक सिद्ध हो रहे हैं। कोरोना क्या है? एक विषाणु जो जीवित लोगों के स्पर्श, थूक, खखार, पसीना आदि से फैलता है और नये शरीर में तीन से चौदह दिन तक क्रमिक रूप से स्वयं को मजबूत बनाकर प्रतिरक्षण प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है।
संक्रमण को रोकने के लिए कई प्रकार की निषेधात्मक व्यवस्थाएं
आयुर्वेद में कफ, पित्त एवं वायु में विकार से रोगों की उत्पति मानी गई है। कोरोना कफ एवं वायु से संदर्भित प्रणाली को अस्त-व्यस्त कर देती है जो सदी, खांसी, फेफड़ों एवं श्वसन प्रणाली में विकार उत्पन्न कर मानव जीवन को खतरे में डालती है। कफ एवं छींक के माध्यम से यह तेजी से विस्तार पाती है। इसी प्रकार के संक्रमण को अवरुद्ध करने के लिए भारतीय सामाजिक व्यवस्था में कई प्रकार के निषेधात्मक व्यवस्थाएं परंपरा के रूप में संस्कृति के अंग बनाये गए।
बचपन को करें याद
अपने-अपने बचपन को याद करें या फिर आज भी कभी कभार ही सही शहर से गांव जाने वाले स्मरित करें। बिना हाथ पांव धोए वह भी घुटने एवं कोहनी से नीचे घर एवं बरामदे में प्रवेश वर्जित था। रसोई घर में प्रवेश के लिए तो और भी वर्जनाएं थी। परिवार के सारे सदस्य तो वहां जा भी नहीं सकते थे। जब साबुन, सर्फ आदि की सहज उपलब्धता नहीं थी या ये आविष्कृत नहीं हुए थे तब भी ऊसर भूमि से ऊंस लाकर उससे कपड़ों को साफ करने की परिपाटी थी। अतिथियों के या परिचितों के आगमन पर हाथ मिलाने एवं गले मिलने या चुम्मा-चाटी कर स्वागत करने से इस प्रकार के विषाणुओं का खतरा हो सकता है। अतिथियों के आगमन पर दरवाजे से बाहर ही हाथ-पांव धुलवाने, नमस्कार करने, प्रणाम करने आदि की परंपरा संक्रमण को रोकती थी। आज भी डरने की आवश्यकता नहीं है वरन सतर्क रहने की आवश्यकता है। लेखक डॉ. अशोक कुमार झा उर्फ अशोक अविचल मैथिली को -ऑर्डिनेटर, साहित्य अकादमी नई दिल्ली सह कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर हैं।
बाहर की कोई चीज छूने के बाद जरूर धोएं हाथ
कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि बाहर की कोई वस्तु छूने के बाद हाथ को जरूर सैनिटाइज किया जाए। मैं तो ऐसा ही कर रहा हूं। कोई भी फाइल या अन्य वस्तुएं छूने के बाद अनिवार्य रूप से हाथों को सैनिटाइज करता हूं। अपने घर को भी सुबह और शाम को सैनिटाइज करने की व्यवस्था कर रखी है। भीड़भाड़ से बचने की पूरी कोशिश कर रहा हूं। योग प्राणायाम तो कर ही रहा हूं, मांसाहार से भी बच रहा हूं। घर का बना शुद्ध भोजन कर रहा हूं और बाहर की चीजें खाने से परहेज कर रहा हूं। आवश्यकता पड़ने पर बिना किसी हिचकिचाहट के कार्यालय भी जा रहा हूं।
-दिनेश रंजन, जिला परिवहन पदाधिकारी, पूर्वी सिंहभूम