दूसरे की किडनी से जिंदा हैं खुद, पर सेवा में जुटे हैं अरविंद
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि जीता वही है जो दूसरों के लिए जीता है। पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड के सीओ अरविद कुमार ओझा पर यह बात सटीक बैठती है।
संसू, चाकुलिया (पूर्वी सिंहभूम) : स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि जीता वही है जो दूसरों के लिए जीता है। पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड के सीओ अरविद कुमार ओझा पर यह बात सटीक बैठती है। यूं तो उनकी जिंदगी खुद दूसरों की किडनी से जिंदा है, लेकिन कोरोना संक्रमण के इस दौर में जी-जान से दूसरों की सेवा में जुटे हैं। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक योद्धा की तरह डटे हुए हैं। क्वॉरेंटाइन सेंटर और अस्पताल का निरीक्षण हो या पश्चिम बंगाल सीमा पर बने चेकनाका का जायजा लेना, लॉकडाउन का पालन सुनिश्चित कराना या पीडीएस के माध्यम से आपूर्ति व्यवस्था पर नजर रखना, अरविंद हर जगह मुस्तैद नजर आते हैं। कहीं से भी ऐसा नहीं लगता कि अपने स्वास्थ्य की परवाह में वे जनता से जुड़े किसी मामले को नजरअंदाज करते हों। किसी भी आम या खास व्यक्ति का फोन उठाना, कोरोना से संबंधित कोई भी जरूरी सूचना मिलते ही मौके पर पहुंच जाना तथा त्वरित कार्रवाई करना उनकी दिनचर्या में शामिल है।
अरविद कुमार ओझा जेपीएससी तृतीय बैच के टॉपर रहे हैं। वर्ष 2010 में उन्होंने उप समाहर्ता के तौर पर सेवा में योगदान दिया था। चाकुलिया पदस्थापना से पूर्व वे दुमका, जामताड़ा, गुमला जिले में बीडीओ एवं सीओ के तौर पर कार्य कर चुके हैं। इसी दौरान वर्ष 2016 में किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित होने के कारण किडनी ट्रांसप्लांट कराना पड़ा। दूसरे व्यक्ति की किडनी शरीर में लगे होने के कारण उन्हें इम्यूनिटी सप्रेसेंट यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता घटाने वाली दवा नियमित रूप से खानी पड़ती है। जबकि, कोरोना से बचाव के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना नितांत आवश्यक है। यानी उनके लिए परिस्थिति सर्वथा प्रतिकूल है। इसके अलावा वे डायबिटीज से भी पीड़ित हैं। इस लिहाज से खुद को खतरे में डालकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक योद्धा की तरह दिन-रात सक्रिय हैं। चाकुलिया में वे सीओ के अलावा नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी तथा प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी का दायित्व भी संभाल रहे हैं। अपने मिलनसार व्यक्तित्व के कारण आम लोगों से जुड़ना, उनकी समस्याओं को सुनना तथा समाधान का प्रयास करना उनकी कार्यशैली का अभिन्न अंग है। यही कारण है कि महज नौ महीने के कार्यकाल में ही क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हो चुके हैं।