चुनावी समर से पहले ही डगमगा रही कांग्रेस की नैया, थम नहीं रही किचकिच Jamshedpur News
विधानसभा के चुनावी समर से पहले ही जारी किचकिच नहीं थमने से कांग्रेस की नैया डगमगा रही है। प्रदेश अध्यक्ष पर एक खेमा लगातार हमलावर है।
जमशेदपुर, जेएनएन। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद झारखंड कांग्रेस में शुरू किचकिच थम नहीं रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार जमशेदपुर से ही आते हैं सो यहां कुछ ज्यादा ही किचकिच है। पूर्वी मंत्री बन्ना गुप्ता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य रहे डॉ प्रदीप बलमुचू ने परिणाम के बाद से ही डॉ अजय को निशाने पर ले रखा है।
डॉ बलमुचू ने डॉ अजय की जमशेदपुर में मौजूदगी के बीच शनिवार को कांग्रेस जिला कार्यालय में पीसी की और कहा कि डॉक्टर साहब को राजनीति की नब्ज टटोलने नहीं आती। अगर उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा गया तो लोकसभा चुनाव वाला हाल ही पार्टी का होगा। वे डॉ अजय को हटाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व से मिलेंगे। बलमुचू ने कहा कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लडऩा पार्टी का दुर्भाग्य होगा। उन्होंने सवाल दागे कि प्रदेश नेतृत्व अबतक लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा नहीं कर पाया है तो खामियों को दूर कर विधानसभा चुनाव में राह आसान करने की कोशिश कैसे शुरू हो सकेगी।
जमीन से जुड़ाव नहीं होना बताया वजह
डॉ बलमुचू पहले भी कहते रहे हैं और इसे दोहराया कि नेतृत्व जमीन से जुड़ाव वाले नेता को देना होगा। उन्होंने जोड़ा कि एयरकंडीशन में बैठक करने से पार्टी नहीं चलती। और अंत में बलमुचू ने वह बात जोड़ी जो असल वजह मानी जाती है। वह है घाटशिला विधानसभा सीट। बकौल बलमुचू- विधानसभा चुनाव में झारखंड में गठबंधन हो न हो, वे हर हाल में घाटशिला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे।
हमलावर होने की ये है वजह
बलमुचू और बन्ना लगातार डॉ अजय पर हमलावर हैं। इसकी खास वजह भी है। दोनों नेताओं की विधानसभा चुनाव में दावेदारी वाली सीट पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। बलमुचू घाटशिला से कई दफा विधायक रहे हैं। विधानसभा चुनाव में हार के बाद वे राज्यसभा सदस्य बन गए तो पार्टी का टिकट अपनी बेटी सिंग्रेला बलमुचू को दिलवाया। यह बात अलग है कि बेटी को खुद की जगह जीताकर विधानसभा भेजने का उनका सपना पूरा नहीं हो सका और वह तीसरे स्थान पर रही। पिछले विधानसभा चुनाव में झामुमो ने घाटशिला सीट गंवा दी थी और भाजपा काबिज हुई थी। झारखंड में विपक्षी महागठबंधन लोकसभा चुनाव की तरह होता है तो स्वाभाविक तौर पर घाटशिला सीट कांग्रेस को झामुमो के लिए छोड़नी होगी। ऐसे में बलमुचू का बेटिकट होना स्वभाविक है।
बन्ना की नाराजगी की वजह
तमाम अटकलों को खारिज करते हुए डॉ अजय ने पिछले लोकसभा चुनाव में खुद को मैदान से अगल रखा। वे जमशेदपुर से सांसद रहे हैं। उनकी लगातार जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता रही है। वे जब भी जमशेदपुर में होते हैं, इस क्षेत्र का भ्रमण करना नहीं भूलते। भीतरखाने यह चर्चा भी चलती रही है कि अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर बन्ना गुप्ता को दरकिनार कर डॉ अजय जमशेदपुर पश्चिमी से कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं। बन्ना इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 2009 में जीते थे। उन्होंने भाजपा के सरयू राय को हराया था। 2014 में वापस सरयू ने जीत दर्ज की और बन्ना को हार का सामना करना पड़ा। आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवारी पर संकट की आशंका ही बन्ना को हलकान करनेवाली है। सियासी जोड़-घटाव के माहिर मानते हैं कि यही वजह है कि बन्ना ने भाजपा में इंट्री की राह तलाशी भी शुरू कर दी है। सरयू राय का समय-समय पर अपनी ही सरकार पर हमलावर रहना उम्मीदों को बल भी दे रहा है। भीतरखाने चल रहे जोड़-तोड़ को मुख्यमंत्री रघुवर दास के करीबी रामबाबू तिवारी के सरयू राय पर वार और बन्ना से नजदीकी से भी बल मिल रहा है।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप