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सीएम, दो मंत्री और तीन सचिव भी नहीं बदल सके इस अस्पताल के हालात

मुख्यमंत्री, कई मंत्री, कई विभागीय सचिव और आलाधिकारियों की पहल के बाद भी कोल्हान के सबसे बड़े अस्पताल के हालात नहीं सुधरे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 01:10 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 01:10 PM (IST)
सीएम, दो मंत्री और तीन सचिव भी नहीं बदल सके इस अस्पताल के हालात
सीएम, दो मंत्री और तीन सचिव भी नहीं बदल सके इस अस्पताल के हालात

जमशेदपुर [अमित तिवारी]।कोल्हान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज-अस्पताल आज भी बदहाल है। चार साल पहले यहां जैसे हालात थे, आज भी वैसे ही हैं। न सुविधा बढ़ी, न व्यवस्था सुधरी। ऐसा तब है जब बीते चार साल में मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक ने इस अस्पताल का निरीक्षण किया। इनके अलावा खाद्य-आपूर्ति मंत्री, जिला जज, प्रदेश महिला आयोग की चेयरमैन, स्वास्थ्य विभाग के तीन अलग-अलग अपर मुख्य सचिव, कोल्हान के कमिश्नर व डीसी भी अस्पताल की व्यवस्था देखने को दौरे पर दौरे कर चुके हैं, लेकिन ये दौरे अबतक महज औपचारिकता ही साबित हुए। क्योंकि अब भी यहां डॉक्टर मिलते हैं तो दवा नहीं और दवा मिलती है तो डॉक्टर नहीं। अब आए दिन इलाज के अभाव व लापरवाही के कारण यहां मरीज की मौत हो रही है।

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किसने, कब किया निरीक्षण

-5 अप्रैल 2015 : स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने एमजीएम के निरीक्षण के दौरान शौचालय में गंदगी देखकर कहा कि यह अस्पताल है कि नरक समझ में नहीं आता। उन्होंने अधीक्षक को फटकार भी लगाई थी।

-18 अप्रैल 2016: मंत्री सरयू राय ने एमजीएम के निरीक्षण के दौरान अधीक्षक को कई दिशा-निर्देश दिए थे ताकि मरीजों को बेहतर चिकित्सा मिल सके । उन्होंने पुरानी एजेंसियों को भी हटाने का निर्देश दिया था।

-1 सिंतबर 2017: स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन सचिव सुधीर त्रिपाठी ने एमजीएम में 20 बेड का एनआइसीयू खोलने को कहा था। पर अभी तक नहीं खुला।

-24 जुलाई 2018: स्वास्थ्य विभाग की तत्कालीन सचिव निधि खरे ने एमजीएम को ई-हॉस्पिटल बनाने का भरोसा दिया था। बर्न यूनिट को विकसित करने की बात कही थी।

-31 अगस्त 2017: प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण ने अधीक्षक से कहा था कि अस्पताल में कितनी अव्यवस्था है? कमी बताइए, दूर किया जाएगा।

-11 सिंतबर 2017: तत्कालीन आयुक्त ब्रजमोहन कुमार ने कहा था कि एमजीएम को अस्पताल नहीं, कबाड़खाना बना रखा है। व्यवस्था में सुधार को ले बैठक की थी।

-13 दिसंबर 2018: स्वास्थ्य विभाग के सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने कहा था कि शर्म कीजिए, यह मेडिकल कॉलेज का आइसीयू है। इससे अच्छा तो बाहर में मर जाना बेहतर है।

30 जनवरी 2016 को सीएम ने तीन बिंदुओं पर किया था फोकस

मुख्यमंत्री रघुवार दास ने 30 जनवरी 2016 को एमजीएम अस्पताल का दौरा कर तीन बिंदुओं पर फोकस किया था। इसमें एमजीएम अस्पताल में आधारभूत संरचना का विस्तार, मैनपावर की कमी और बैठक में लिए गए फैसलों को अमली जामा पहनाने की समय-सीमा तय की थी। सभी विभागों में मशीनों की कमी बतायी गई थी जो अब भी बरकरार है। उन्होंने एमजीएम का कायाकल्प करने के साथ-साथ आठ विभागों में आधारभूत संरचना के विस्तार पर जोर दिया था।

अस्पताल की खामियां

-अब भी ओपीडी में समय पर नहीं आते हैं एमजीएम के डॉक्टर।

-शाम के समय भी ओपीडी में सीनियर डॉक्टर नहीं आते।

-24 घंटे में सिर्फ एक बार ही वार्ड में राउंड लेते हैं डॉक्टर।

-वार्ड में नहीं रहते डॉक्टर, मरीज के गंभीर होने पर बुलाना पड़ता।

फैक्‍ट फाइल

-3500 मरीज एमजीएम में भर्ती, उन्हें देखने के लिए सिर्फ 19 डॉक्टर ही है

-109 वरीय रेजीडेंट के पद स्वीकृत, ड्यूटी कर रहे सिर्फ 19

-24 घंटे में सिर्फ एक बाद वार्ड में राउंड लेते हैं डॉक्टर

-32 तकनीशियन की एमजीएम में जरूरत, ड्यूटी पर एक भी नहीं

-274 स्थायी नर्सो की बजाय सिर्फ 48 नर्स ही तैनात हैं


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