एमजीएम अस्पताल में बगैर सुरक्षा सफाई कर्मियों से उठवाया जा रहा शौच व गंदगी, स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत
महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सफाई कर्मियों ने मंगलवार को स्थाई करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। साथ ही स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के नाम एक पत्र भी सौंपा। इस पत्र में उनकी मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी गई है।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सफाई कर्मियों ने मंगलवार को स्थाई करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। साथ ही स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के नाम एक पत्र भी सौंपा। इस पत्र में उनकी मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी गई है। पत्र में बताया गया है कि एमजीएम अस्पताल में बगैर सुरक्षा के उपकरणों के ही वे शौच व गंदगी उठा रहे हैं। एमजीएम में बीते 18 साल से आउटसोर्स पर सफाई कर्मी कार्यरत है। इस दौरान कई कर्मचारियों की काम करते-करते मौत भी हो गई है। एमजीएम अस्पताल अस्थायी कर्मचारी संघ के बैनर तले सफाई कर्मी बीते 15 साल से स्थाई करने की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस अवसर पर संघ के अध्यक्ष उषा देवी, सचिव रवि नामता, गिरीश कारंवा, श्यामल सरकार, सुरेश्वर सागर, शुरू पात्रो सहित अन्य सफाई कर्मचारी मौजूद थे।
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सफाई कर्मचारियों की मांग
- कर्मचारियों का कहना है कि बीते 18 साल से कई सफाई कर्मी संवेदक के अधीन तरह-तरह के शोषण का शिकार होकर निरंतर सेवा प्रदान कर रहे हैं, साथ ही समान काम और असमान वेतन का दंश झेलने को विवश और लाचार है। एेसे में सभी सफाई कर्मचारी स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं। किंतु बीते 18 सालों से किसी भी सरकार द्वारा हमें न्याय नहीं मिला। पुन: हम सभी कर्मचारी स्वास्थ्य मंत्री से तत्काल स्थायीकरण की मांग करते हैं।
- कोविड-19 जैसे महामारी के दौर में मात्र एक चौथाई कर्मचारी की संख्या में हम सभी कर्मचारियों ने एमजीएम अस्पताल में जिस कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण का परिचय दिया, उसे भी स्वास्थ्य विभाग ने प्रोत्साहित करना और सफाई कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाना उचित नहीं समझा।
- हम सभी सफाई कर्मचारी वर्ष 2018 से अब तक लगातार संख्या बल की कमी के कारण कार्य का अत्याधिक बोझ झेलने को मजबूर हैं। साथ ही अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थान में हम सभी सफाई कर्मी बगैर किसी सुरक्षा सामग्री के मरीजों के शौच और गंदगी रोजाना अपने स्वास्थ्य का जोखिम उठाकर साफ करने को विवश है। इस संबंध में संवेदक और अस्पताल प्रबंधन कोई प्रतिक्रिया नहीं देता।