इस सामुदायिक भवन में लगा कई सांसद-विधायक का पैसा Jamshedpur News
शास्त्रीनगर ब्लॉक चार स्थित सामुदायिक भवन करीब चार साल से शादी-ब्याह सभा-बैठक समेत तमाम सांस्कृतिक आयोजन के लिए बंद है।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। अमूमन सामुदायिक भवन में आसपास के लोगों के शादी-ब्याह, सभा-बैठक समेत तमाम सांस्कृतिक आयोजन होते हैं, लेकिन शास्त्रीनगर के ब्लॉक चार स्थित सामुदायिक भवन में करीब चार साल से इन सब कार्यों के लिए बंद है।
आश्चर्य की बात है कि इस सामुदायिक भवन में कई सांसद-विधायक ने पैसे दिए थे, ताकि समाज की गतिविधियां चलें। इसकी शुरुआत वर्ष 1999 में जमशेदपुर पूर्वी के तत्कालीन विधायक मृगेंद्र प्रताप सिंह ने की थी, जिसमें बिहार विधान परिषद के सदस्य अवधेश नारायण ¨सह के भी सहयोग से दो लाख दो हजार रुपये से पुस्तकालय बना। 2001 को पुस्तकालय शास्त्रीनगर कल्याण समिति को हस्तांतरित किया गया। इसके बाद 2001 में ही तत्कालीन सांसद आभा महतो की सांसद निधि से 10 लाख रुपये में सामुदायिक भवन बना।
2005 में तत्कालीन विधायक सरयू राय ने 4.5 लाख, 2007 में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने नौ लाख रुपये और 2013 में पूर्व सांसद डॉ. अजय कुमार ने भी इस परिसर के विकास के लिए 10 लाख रुपये दिए। इस भवन में 2016 तक समाज के लोगों को आयोजन-अनुष्ठान के लिए उपलब्ध कराए जाते थे। इसके बाद यह सब बंद हो गया, क्योंकि भवन समेत पूरा परिसर कल्याण समिति से छीन लिया गया।
अदालत में चल रहा मुकदमा
शास्त्रीनगर कल्याण समिति के अध्यक्ष अमरेंद्र मल्लिक बताते हैं कि बस्तीवासियों के विरोध के बावजूद यह भवन उनसे जबरन छीन लिया गया। इसके खिलाफ उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट और जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय में भी मुकदमा कर रखा है। मल्लिक कहते हैं कि जमशेदपुर अक्षेस को यहां भी ताला मारना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इस भवन में नहीं आई बिजली
सिदगोड़ा में पेट्रोल पंप के सामने एक सामुदायिक भवन बना है, जिसमें आज तक बिजली नहीं आई। यह भवन सार्वभौम शाकद्वीपीय ब्राह्मण महासभा को दिया गया था। बिजली के अभाव में यहां समाज के लोग दिन में कार्यक्रम करते हैं या रात को जेनरेटर भाड़ा में लाकर। यहां एक आचार्य संस्कृत पढ़ाने के लिए आते हैं। जमशेदपुर अक्षेस ने यहां भी ताला मार दिया है।
भवन के दूसरे तल्ले में मार दिया ताला
गोलमुरी में आकाशदीप प्लाजा के पास एक सामुदायिक भवन श्री गणीनाथ सेवा संस्थान को मिला है। इसमें नौ लाख रुपये लगाकर संस्था ने दूसरी मंजिल बना ली थी। अक्षेस ने इसके दूसरे तल्ले में ताला मार दिया है, जबकि अक्षेस के पैसे से निचला तल बना था। अक्षेस की इस हरकत से संस्था के लोग हैरान हैं। उनका कहना है कि ऐसा क्यों किया गया, समझ में नहीं आ रहा है।