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Chunni Goswami : चुन्नी गोस्वामी ने रखी थी टाटा फुटबॉल अकादमी की नींव, बने थे पहले निदेशक Jamshedpur News

Chunni Goswami. भारतीय फुटबॉल के पुरोधा कहे जाने वाले चुन्नी गोस्वामी का जमशेदपुर से गहरा नाता रहा था। उन्‍होंने ही लौहनगरी में टाटा फुटबॉल अकादमी (टीएफए) की नींव रखी।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Thu, 30 Apr 2020 09:59 PM (IST)Updated: Fri, 01 May 2020 08:59 AM (IST)
Chunni Goswami :  चुन्नी गोस्वामी ने रखी थी टाटा फुटबॉल अकादमी की नींव, बने थे पहले निदेशक Jamshedpur News
Chunni Goswami : चुन्नी गोस्वामी ने रखी थी टाटा फुटबॉल अकादमी की नींव, बने थे पहले निदेशक Jamshedpur News

जमशेदपुर (जितेंद्र सिंह)।Chunni Goswami भारतीय फुटबॉल के पुरोधा कहे जाने वाले चुन्नी गोस्वामी नहीं रहे। कोलकाता में गुरुवार को दिल का दौरा पडऩे से उनका निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। 

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चुन्नी गोस्वामी का जमशेदपुर से गहरा नाता रहा था। 1986 में जब टाटा स्टील के तत्कालीन प्रबंध निदेशक रुसी मोदी ने लौहनगरी में टाटा फुटबॉल अकादमी (टीएफए) की नींव रखी तो उसे चलाने के लिए ऐसे प्रतिभा की जरुरत थी, जो बहुमुखी प्रतिभा का धनी हो। उस समय देश में किसी खेल विशेष का अकादमी खोलने का यह अनोखा प्रयास था।

गहन विमर्श के बाद रुसी मोदी ने सौंपी थी जिम्मेवारी

रुसी मोदी ने काफी गहन विमर्श के बाद चुन्नी गोस्वामी को यह जिम्मेवारी सौंपी। 1986 में वह टाटा फुटबॉल अकादमी के पहले निदेशक बने। रूसी मोदी के सपने को चुन्नी गोस्वामी ने पंख दिया। चार साल के बाद वह टाटा फुटबॉल अकादमी से सेवानिवृत्त हो गए। उनके बाद ही पीके बनर्जी को टाटा फुटबॉल अकादमी का निदेशक बनाया गया था। अकादमी को अलविदा करने के बावजूद भी उनका नाता लौहनगरी से जुड़ा रहा। टीएफए के हर दीक्षा समारोह में वह जमशेदपुर आना नहीं भूलते थे। गोस्वामी 1962 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के कप्तान थे और बंगाल के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेले थे। गोस्वामी ने भारत के लिए बतौर फुटबॉलर 1956 से 1964 के बीच 50 मैच खेले। वहीं क्रिकेटर के तौर पर उन्होंने 1962 और 1973 के बीच 46 प्रथम श्रेणी मैचों में बंगाल का प्रतिनिधित्व किया था।

कठिन था टीएफए का शुरुआती दौर, चुन्नी ने खून-पसीने से सींचा

चुन्नी गोस्वामी के साथ काम कर चुके पूर्व रणजी क्रिकेटर अशोक घोष बताते हैैं कि टाटा फुटबॉल अकादमी को शुरुआती दौर में चुन्नी गोस्वामी ने कैसे अपने खून-पसीने से सींचा। भारतीय फुटबॉल की नर्सरी कहा जाने वाला टाटा फुटबॉल अकादमी के पहले बैच के लिए कैडेट को खोजना किसी भागीरथ प्रयास से कम नहीं था। चुन्नी दा ने ऐसे राज्यों का चयन किया, जहां फुटबॉल चयन ट्रायल लगाया जा सकता है। इसमें पंजाब, जम्मू-कश्मीर से लेकर उत्तर पूर्व के कई राज्य शामिल थे।

अपने सौम्य स्वभाव से जीता कैडेटों के माता-पिता का भरोसा

शुरुआत में प्रशिक्षुओं के माता-पिता अपने बच्चों को अकादमी में छोडऩे को लेकर चिंतित थे। लेकिन सौम्य स्वभाव के चुन्नी ने उन्हें भरोसा दिया कि अकादमी में बच्चों को घर जैसा माहौल मिलेगा। बाद में बच्चों को अकादमी में ही पढऩे की व्यवस्था की गई। इसके लिए विभिन्न विषयों के शिक्षक अकादमी आते थे। चुन्नी ने वार्डन से लेकर कोच, सहायक कोच नियुक्त करने में महती भूमिका निभाई। टाटा स्टील से जुड़े पी विजय कुमार और रंजन चौधरी को चुन्नी ने टीएफए में काम करने का मौका दिया। 

पेशेवर क्‍लब भी करते गुणगान

आज भारतीय फुटबॉल सर्किट में 70 फीसद से ज्यादा खिलाड़ी अगर टाटा फुटबॉल अकादमी से हैैं तो इसका श्रेय चुन्नी गोस्वामी को ही जाता है। कार्लटन चैैपमैन, रेनेडी सिंह, एफ लिटाओ, रिजुल मुस्तफा, दीपेंदु बिस्वास, कमलजीत सिंह जैसे कई ऐसे नाम है, जिन्हें चुन्नी गोस्वामी का खोज बताया जाता है। चुन्नी गोस्वामी ने चुनौतियों का सामना करते हुए टीएफए की ऐसी बुनियाद रखी कि ब्रिटेन की शेफील्ड फुटबॉल अकादमी व स्पेन की एटलेटिको डि मैड्रिड जैसी पेशेवर क्लब इसका गुणगान करने से नहीं अघाते। 


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