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उम्र छोटी,सोच बड़ी : इस बाल मंडली की पहल के आप हो जाएंगे कायल, पढ़ि‍ए

झारखंड के जमशेदपुर शहर की बाल मंडली की पहल बड़े बदलाव का वाहक बनी है। मंडली के बच्चे पढ़ाई के साथ बालश्रम व बाल विवाह पर नजर रखते हैं ।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 12:44 PM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 04:33 PM (IST)
उम्र छोटी,सोच बड़ी : इस बाल मंडली की पहल के आप हो जाएंगे कायल, पढ़ि‍ए
उम्र छोटी,सोच बड़ी : इस बाल मंडली की पहल के आप हो जाएंगे कायल, पढ़ि‍ए

ये बच्‍चे हैं खास

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  • बाल संगठन में हैं कुल 509 सदस्य
  • वित्तीय वर्ष में 84 ड्राप आउट बच्चों को फिर से स्कूल से जोड़ चुका है   संगठन
  • 25 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया जा चुका है
  • 25 स्लम बस्तियों में 27 बाल संगठन हैं कार्यरत

जमशेदपुर, निर्मल प्रसाद। Children keep an eye on child labor and child marriage with studies लौहनगरी में 25 ऐसी स्लम बस्तियों में 27 बाल संगठन संचालित हैं। हर बाल संगठन में 10 से 18 वर्ष के लगभग 30 बच्चे हैं, जो पढ़ाई के साथ ही अपने गली-मोहल्लों में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखते हैं। 

बाल संगठन से हर सदस्य को यह जिम्मेदारी मिली है कि वे नजर रखें कि कौन बच्चा नियमित स्कूल नहीं जाता है और किसी गलत संगत में तो नहीं है। किसने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी है। कौन स्कूल छोड़कर बाल मजदूरी कर रहा है। किसने बाल विवाह किया है। बाल संगठन के सदस्य ऐसी क्रियाकलापों की जानकारी बाल संगठन को देता है। इसके बाद आदर्श सेवा संस्थान और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी बच्चों को बाल मजदूरी या बाल विवाह से मुक्त कराती है। बाल संगठन के इन नन्हें कार्यकर्ताओं की छोटी सी पहल दूसरे बच्चों के जीवन को संवारने में सहायक बन रही है। संगठन की मेहनत का ही नतीजा है कि 2019-20 के चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 84 ड्राप आउट बच्चों को स्कूल भेजा जा रहा है। 25 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराकर फिर से स्कूल से जोड़ा जा चुका है। 

इस तरह बच्‍चे किए गए हैं ट्रेंड

सोनारी के आदर्शनगर में एक गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) है। उसका नाम है आदर्श सेवा संस्थान। इसका संचालन प्रभा जायसवाल व चाइल्ड राइटस एंड यू (क्राई) की प्रोजेक्ट को-आर्डिनेटर उषा महतो करती हैं। उनके प्रयास से ही स्लम में रहने वाले 6980 बच्चे (3580 लड़के और 3398 लड़कियां) स्कूल जाते हैं। इन बच्चों को बाल संगठन के माध्यम से ट्रेंड किया गया है कि वे अपने घर के आसपास बच्चों से संबधित होने वाली घटनाओं पर नजर रखें और उसकी जानकारी बाल संगठन को दें। यदि किसी बच्चे के साथ गलत व्यवहार या बाल मजदूरी कराया जा रहा है तो बाल संगठन की पहल पर मामले को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद बच्चे को बाल मजदूरी से मुक्त कराकर उसे फिर से स्कूल से जोड़ा जाता है। 

 बच्चों को स्कूल तक लाना बड़ी चुनौती : उषा

आदर्श सेवा संस्थान की शिक्षिका सह क्राई की उषा महतो बताती हैं कि स्लम बस्तियों में बच्चों को स्कूल तक लाना और नियमित रखना बड़ी चुनौती है। इसलिए हम बाल संगठन के माध्यम से बच्चों की टीम बनाई गई हैं, जो अपने साथ पढऩे वाले बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं। 

 बाल विवाह कर चुके चार बच्चों की हुई वापसी

वित्तीय वर्ष 2019-20 में स्लम बस्तियों में रहने वाले 15 ऐसे लड़के या लड़कियां हैं जिन्होंने कम उम्र में भागकर शादी कर ली। बाल संगठन ने इसकी जानकारी अपने स्कूल को दी। फिर स्कूल प्रबंधन और आदर्श सेवा संस्थान के सदस्य चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सदस्यों के साथ बाल विवाह करने वाले बच्चों के घर जाकर उनकी काउंसलिंग किए। अब तक चार बच्चों को कमेटी रिकवर कर वापस स्कूल से जोड़ चुकी है जबकि शेष घर छोड़कर दूसरी शहर जा चुके हैं। 


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