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विश्व बैंक की जनसुनवाई में बवाल, बात नहीं रखने देने पर भड़की महिलाएं

बागबेड़ा जलापूर्ति योजना के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर हुई विश्व बैंक की जनसुनवाई में हंगामा हुआ। महिलाएं इसका बहिष्कार कर वापस चली गईं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 05:51 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 05:51 PM (IST)
विश्व बैंक की जनसुनवाई में बवाल, बात नहीं रखने देने पर भड़की महिलाएं
विश्व बैंक की जनसुनवाई में बवाल, बात नहीं रखने देने पर भड़की महिलाएं

जमशेदपुर, जेएनएन। बागबेड़ा जलापूर्ति योजना के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर हुई विश्व बैंक की जनसुनवाई में हंगामा हुआ। जनसुनवाई में शामिल दर्जनों महिलाओं को जब बोलने नहीं दिया गया तो वो इसका बहिष्कार कर वापस चली गईं। ये महिलाएं विश्वबैंक की टीम के अधिकारियों से भी बात करना चाहती थीं लेकिन, अंग्रेजी नहीं आने की वजह से वो अपनी बात नहीं कह पाईं।

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कई महिलाओं ने कहा कि हम लोग संथाली में जो बोल रहे थे विश्व बैंक को इसका अंग्रेजी में अनुवाद कर सुनाने वाला उन्हें गलत जानकारी दे रहा था। महिला बोल रही थी कि उसे पानी चाहिए लेकिन, अनुवादक ने टीम को बताया कि महिला कह रही है वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं चाहिए। 

फिजी की इमराना कर रहीं नेतृत्व

फिजी की इमराना जलाल के नेतृत्व में विश्व बैंक की टीम सुबह सवा 11 बजे गिदी झोपड़ी पहुंची। टीम में जान माटसन, आपरेशंस आफिसर तमारा मिल्सटजैन और रिसर्च असिस्टेंट रुपेस दलाई भी थे। टीम गिदी झोपड़ी के माझी बाबा सुखराम किस्कू ने प्राथमिक विद्यालय गिदी झोपड़ी के पीछे बैठक के लिए टेंट लगाया था। गांव की रेखा ने बताया कि जनसुनवाई के लिए कुछ खास लोगों को बुलाया गया था। इन लोगों को एक दिन पहले ही समझा दिया गया था कि उन्हें विश्व बैंक के अधिकारियों को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के विरोध में ही बताना है। पहले टीम ने रखी बात

बैठक की शुरुआत में विश्व बैंक के अधिकारियों ने अंग्रेजी में अपने गिदीझोपड़ी आने का मकसद बताया। सभा में सवा सौ के करीब लोग थे। इसके बाद लोगों ने अपनी बात रखनी शुरू की। चार-पांच लोगों ने कहा कि वो गिदीझोपड़ी में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं चाहते। इसके बाद एक महिला ने कहा कि गांव में जल संकट है। इसलिए ट्रीटमेंट प्लांट बनना चाहिए। इस पर कुछ नव युवकों ने महिला को धमका कर सभा से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

 महिलाओं ने रखी जल संकट की बात

महिला के बाहर जाते ही 50- 60 महिलाओं ने सभा का बहिष्कार कर दिया। महिलाओं का कहना था कि पुरुष तो काम पर चले जाते हैं। पानी तो हमें दूर से जाकर लाना पड़ता है। कुछ महिलाएं बंगाली और ङ्क्षहदी में बोल रही थीं, जिसका अनुवाद कर विश्व बैंक के अधिकारियों को नहीं बताया जा रहा था। हंगामे के बाद सभा खत्म कर दी गई। इसके बाद विश्व बैंक के अधिकारियों ने आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में उन बिंदुओं पर चर्चा हुई जिसे लेकर जनजाति के कुछ लोगों को आपत्ति है। 

दूर से देखा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट 

दो इनोवा कार से आई विश्व बैंक की टीम के अधिकारियों ने गिदीझोपड़ी में बैठक करने के बाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट देखा। टीम के अधिकारियों ने पहाड़ी के नीचे सड़क से ही वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की तस्वीर अपने मोबाइल ली। इसके बाद टीम वापस चली गई। 

नहीं सुनी ग्रामीणों की बात 

गिदीझोपड़ी और बगल के गांव मध्य घाघीडीह की सैकड़ों महिलाएं पंचायत भवन में विश्व बैंक के अधिकारियों का इंतजार कर रही थीं। लेकिन, टीम के अधिकारियों ने उनकी बात नहीं सुनी। विश्व बैंक की टीम बिना उनकी बात सुने ही चली गई ।


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