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chamoli Tragedy: गंगा महासभा की सलाह, टिहरी बांध तोड़ देने में ही भलाई

chamoli Tragedy. गंगा महासभा बिहार-झारखंड के उपाध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने कहा कि टिहरी बांध का क्षेत्र संवेदनशील एवं भूकंपीय है। इस प्रकार से अगर कभी टिहरी बांध टूटा तो अकल्पनीय भारी तबाही होगी। पर्यावरण विभाग के आंकड़ों के अनुसार हरिद्वार में 300 फीट ऊपर से पानी बहेगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 07 Feb 2021 05:59 PM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2021 07:30 PM (IST)
chamoli Tragedy: गंगा महासभा की सलाह, टिहरी बांध तोड़ देने में ही भलाई
हमने 2013 की केदारनाथ त्रासदी से कोई सीख नहीं ली।

जमशेदपुर, जासं। Uttarakhand आज जो तबाही का मंजर उत्तराखंड में देखने को मिल रहा है, जिसमें नंदादेवी ग्लेशियर के फटने से धौलीगंगा जबरदस्त उफान पर है और केदारनाथ की जैसी तबाही हो रही है। विशेषकर के चमोली, जोशीमठ और श्रीनगर यह जो उत्तराखंड के इलाके हैं इनमें तबाही को साफ देखा जा सकता है।

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जोशीमठ में तो तबाही चरम पर है । ऋषि गंगा प्रोजेक्ट को भी भारी नुकसान पहुंचा है । भरभरा कर बर्फ का पहाड़ गिर गया है। गंगा महासभा बिहार-झारखंड के उपाध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने कहा कि टिहरी बांध का क्षेत्र संवेदनशील एवं भूकंपीय है। इस प्रकार से अगर कभी टिहरी बांध टूटा तो अकल्पनीय भारी तबाही होगी। भारत सरकार के पर्यावरण विभाग के आंकड़ों के अनुसार हरिद्वार में 300 फीट ऊपर से पानी बहेगा।

कहा कि हमने 2013 की केदारनाथ त्रासदी से कोई सीख नहीं ली। 6000 लोग मारे गए थे। वैज्ञानिकों ने भी बार बार कहा है कि उत्तराखंड के बांध टाइम बम है। इन सबकी हमने अनसुनी की। भारत के लोगों को इस प्रकार की त्रासदी से बचाने के लिए ही स्वामी सानंद ने अपने प्राण तक विसर्जित कर दिए । दुर्भाग्य है कि देश के माननीय व लोकप्रिय प्रधानमंत्री जी ने भी इस बात को अनसुना किया था। कहा कि भारत सरकार को चाहिए कि जिस प्रकार टिहरी बांध को भरा गया था , उसी प्रकार खाली करवाया जाए ।  अन्यथा कभी ना कभी यह बहुत बड़ा खतरा होगा ।

कहा कि टिहरी बांध बना है तो इसकी कुछ आयु भी होगी और यह कभी ना कभी तो टूटेगा, फटेगा व तबाही लाएगा। आज जो तबाही हम उत्तराखंड में देख रहे हैं उस प्रकार की तबाही हमने पहले केदारनाथ में भी देखी थी और यह तबाही भी टिहरी बांध के टूटने की हालत में फीकी पड़ जाएगी। टिहरी बांध के टूटने का मतलब होगा, भयंकर तबाही।

भारत का एक बहुत बड़ा हिस्सा डूब जाएगा , जलमग्न हो जाएगा। बड़े-बड़े बिल्डिंग , मकान और अपार्टमेंट्स सब डूब जाएंगे। देहरादून , ऋषिकेश एवं हरिद्वार और भी आगे के स्थान सबकी हालत खराब हो जाएगी। हमारी मांग है कि समय रहते टिहरी बांध को खाली करके इसको तोड़ दिया जाए। इस प्रकार गंगा भी स्वच्छ हो जाएगी और निर्मल भी हो जाएगी और विश्व का दुर्लभ पहाड़ों की जड़ी बूटियों से टकराकर औषधि युक्त पवित्र जल हम सभी को प्राप्त हो सकेगा।


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