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Positive India : चुनौतियों को बनाया अवसर,हर चेहरे पर सज गए छऊ मास्‍क; ऐसे होता है निर्माण Jamshedpur News

Positive India. चुनौती को अवसर मानते हुए अपनी कला को ऐसा मोड़ दिया कि छऊ कलाकारों के चेहरे पर सजने वाले मुखौटे कोरोना से बचाव का यंत्र बनकर हर चेहरे पर सजने लगे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 12:46 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 06:40 PM (IST)
Positive India : चुनौतियों को बनाया अवसर,हर चेहरे पर सज गए छऊ मास्‍क; ऐसे होता है निर्माण Jamshedpur News
Positive India : चुनौतियों को बनाया अवसर,हर चेहरे पर सज गए छऊ मास्‍क; ऐसे होता है निर्माण Jamshedpur News

जमशेदपुर,निर्मल। झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में पूजा-पाठ से लेकर तमाम धार्मिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक आयोजनों में छऊ नृत्य की धूम रहती है। अप्रैल से जुलाई तक के महीने छऊ कलाकारों के लिए अत्यंत व्यस्तता का समय होता है। महीनों पहले से ही अलग-अलग छऊ दल की एडवांस बुकिंग रहती है।

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इस बार कोरोना संकट और लॉकडाउन में इन कलाकारों के कदमों की थाप भी थमी हुई है। इनके साथ मुखौटा व वाद्य यंत्र बनाने वाले कारीगरों का व्यवसाय भी थम गया है। सरायकेला-खरसावां जिले  के ईचागढ़ स्थित चोंगा इलाके में रहने वाले कुछ ऐसे ही कलाकारों ने चुनौती को अवसर मानते हुए अपनी कला को ऐसा मोड़ दिया कि छऊ कलाकारों के चेहरे पर सजने वाले मुखौटे कोरोना से बचाव का यंत्र बनकर हर खास-ओ-आम के चेहरे पर सजने लगे। इनके बनाए रंग-बिरंगे, सुंदर-सजीले मास्क इन दिनों डिमांड में हैं।

कुछ ही दिनों में मिल गया 700 मास्क का ऑर्डर 

ईचागढ़ के चोंगा में रहने वाले चार परिवार छऊ नृत्य व उसके मुखौटा व वाद्य यंत्र बनाकर अपना पूरे साल अपना जीवनयापन करते हैं। अब इन कलाकारों ने छऊ मास्क के रूप में नया व्यवसाय शुरू किया है, जिसकी मांग दिल्ली, भोपाल, चेन्नई सहित देश के अनेक शहरों और इटली व स्पेन में भी हो रही है। जमशेदपुर कला मंदिर के संस्थापक अभिताभ घोष ने इन्हें छऊ कलाकारों के पूरे चेहरे वाले नहीं बल्कि नाक तक वाले छऊ मास्क बनाने की सलाह दी। यह सुझाव कलाकारों को अच्छा लगा और ये खास तरीके से छऊ मास्क बनाने में जुट गए। देखते ही देखते प्रारंभिक दौर में ही इन्हें 700 छऊ मास्क बनाने का ऑर्डर भी मिल गया। एक छऊ मास्क की कीमत 160 रुपये है। इन कलाकारों ने भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय सहित आदिवासी पुरुष व महिलाओं के मुखौटे वाले मास्क तैयार किये हैं।

छऊ नृत्य की है खास पहचान 

छऊ नृत्य मशहूर है। नृत्य के माध्यम से पौराणिक कथाओं का मंचन करने वाले छऊ कलाकार खास वेशभूषा के कारण दूर से ही लोगों का ध्यान खींचते हैं। मुखौटों में ये किसी पौराणिक कथा के जीवंत पात्र जैसे ही लगते हैं। मुखौटे लगा कर विभिन्न वाद्य यंत्रों के साथ उनका मनमोहक नृत्य देखने बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। इनका नृत्य देख लोग रोमांच से भर जाते हैं।

ऐसे बनता है छऊ मास्क

अमिताभ बताते हैं कि छऊ मास्क को बनाने की अपनी पारंपरिक विधि है। पहले कागज को पानी में भिंगोकर उसका लेप तैयार किया जाता है। फिर आटा, पानी व गोंद के मिश्रण से एक लेप बनता है। मिट्टी के सांचे में अलग-अलग मुखौटे पर मारकिन कपड़े, कागज और आटा के लेप की एक परत सूखने पर ऊपर दूसरी परत चढ़ाई जाती है। चार-पांच दिनों में यह सूख कर कठोर बना जाता है। इसके बाद मुखौटे पर रंग चढ़ाकर व मनचाही आकृति बनाकर इसे आकर्षक बनाया जाता है। छऊ मास्क की खासियत यह है कि गिरने पर यह टूटता नहीं है और इसे आराम से सैनिटाइज किया जा सकता है। छऊ मुखौटे के अंदरूनी हिस्से में एक मास्क लगा है।


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