Move to Jagran APP

Vocal For Local : चाकुलिया का बांस पूर्वोत्तर राज्यों से ले सकता टक्कर Jamshedpur News

Vocal For Local. अगर चाकुलिया में बांस का प्रोसेसिंग प्लांट लग जाए तो चाकुलिया का बांस पूर्वोत्तर राज्यों से टक्कर ले सकता है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 09:02 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 01:47 PM (IST)
Vocal For Local : चाकुलिया का बांस पूर्वोत्तर राज्यों से ले सकता टक्कर Jamshedpur News
Vocal For Local : चाकुलिया का बांस पूर्वोत्तर राज्यों से ले सकता टक्कर Jamshedpur News

जमशेदपुर, जेएनएन। Vocal For Local चाकुलिया बांस की खेती के लिए ना केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां का बांस गुणवत्ता की वजह से दिल्ली, हरियाणा और पंजाब तक जाता है। यदि यहां बांस का प्रोसेसिंग प्लांट लग जाए तो चाकुलिया का बांस पूर्वोत्तर राज्यों से टक्कर ले सकता है। असम, नागालैंड, त्रिपुरा व मिजोरम आदि राज्य की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा बांस से चलता है।

loksabha election banner

ये बातें जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद विद्युत वरण महतो ने कहीं। ‘आत्मनिर्भर झारखंड’ पर सांसद ने कहा कि सिर्फ चाकुलिया ही नहीं, चाकुलिया से धालभूमगढ़ व बहरागोड़ा तक बांस की खेती प्रचुर मात्र में होती है। यहां के काफी किसान इससे आजीविका चलाते हैं। बीच में किसानों को परिवहन अनुज्ञा पत्र (टीपी या परमिट ऑफ ट्रांजिट) की वजह से काफी बाधा आती थी। इसके अभाव में किसानों को जुर्माना लगाया जाता था। उन्होंने पूर्ववर्ती झारखंड (रघुवर दास) की सरकार ने टीपी हटा दिया था। अब राज्य सरकार को यहां बंबू प्रोसेसिंग प्लाट लगाने की पहल करनी चाहिए। इससे फर्नीचर समेत तमाम तरह के घरेलू उपयोग के सामान बनते हैं। फिलहाल बहुत छोटे पैमाने पर या कहें कुटीर उद्योग के तर्ज पर टोकरी-झाड़, चटाई आदि बनते हैं। इसका कारोबार काफी सीमित है। महाली जाति के लोग इसी पर निर्भर रहते हैं। राज्य सरकार चाहे तो इसे वृहत उद्योग का रूप दे सकती है। जहां तक उनकी बात है तो वे केंद्र सरकार से जो भी मदद हो सकती है, प्रयास करेंगे। हालांकि इसके विकास में राज्य सरकार ज्यादा मददगार हो सकती है। वैसे यहां के किसान काफी मेहनती हैं। यदि इन्हें थोड़ा प्रोत्साहन मिल जाए तो ना केवल चाकुलिया व पूर्वी सिंहभूम जिला, बल्कि पूरे झारखंड की बांस उद्योग में अलग पहचान बनेगी।

बांस को उद्योग के रूप में किया जाएगा विकसित: समीर

बहरागोड़ा के विधायक समीर महंती ने कहा कि बांस इस क्षेत्र के लोगों के जीवन का अभिन्न अंग है। गांव की अर्थव्यवस्था काफी हद तक इस पर निर्भर है। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण जिस तरीके से प्रवासी मजदूर अपने गांव लौट रहे हैं। उसमें उन्हें रोजगार मुहैया करना तथा आत्मनिर्भर बनाना झारखंड सरकार की प्राथमिकता सूची में शामिल है।विधायक ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने एवं ग्रामीणों को स्वावलंबी बनाने में बांस की अहम भूमिका होगी, लेकिन सिर्फ खानापूरी से काम नहीं चलेगा। यहां बांस को उद्योग के रूप में विकसित करना पड़ेगा। यहां के ग्रामीणों को बकायदा इसके लिए प्रशिक्षित देकर रोजगार उन्मुख करना होगा, ताकि लोग बांस से तरह-तरह के उपयोगी उत्पाद बना सकें। उत्पाद को बाजार मुहैया कराना होगा। इसकी ब्रांडिंग की करनी होगी। इसके साथ ही किसानों को बांस की खेती के लिए प्रोत्साहित करने की भी जरूरत है। विधायक ने कहा कि वे मुख्यमंत्री से मिलकर बहारागोड़ा चाकुलिया क्षेत्र में बांस उद्योग के विकास को लेकर चर्चा करेंगे।

नेशनल बंबू मिशन को लागू करे सरकार : कुणाल षडंगी

 बहरागोड़ा के पूर्व विधायक सह भाजपा नेता कुणाल षडंगी ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बांस उत्पादक किसानों की सहूलियत के लिए बांस को वन उत्पाद की श्रेणी से मुक्त कर चुकी है। इसका काफी फायदा बहरागोड़ा क्षेत्र के किसानों को भी मिला है। बांस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार नेशनल बंबू मिशन लेकर आई है। इसमें काफी राशि भी दी जा रही है। राज्य सरकार को चाहिए कि इस मिशन को सही तरीके से अमलीजामा पहनाए ताकि बांस उत्पादकों को इसका लाभ मिले। बहरागोड़ा क्षेत्र में अगर नेशनल बंबू मिशन योजना लागू की जाएगी तो किसानों को उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य मिलेगा। इसके जरिए बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा। पूर्व विधायक ने कहा कि मानुष मुड़िया स्थित बंबू प्लांट में अनेक लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया था। अगर प्लांट को चालू कर सही तरीके से उसका संचालन किया जाए तो प्रशिक्षित लोगों को न केवल रोजगार मिलेगा, बल्कि क्षेत्र का बांस देश दुनिया में अपनी पहचान बनाएगा।

ये कहते प्रवासी श्रमिक

मजदूरों को प्रशिक्षण दिलाए सरकार

दुर्गा टुडू का कहना है कि चाकुलिया व बहरागोड़ा आत्मनिर्भर बन सकता है। बसे किसानों को प्रोत्साहित व मजदूरों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। यहां बांस से तरह-तरह की सामग्री बनने लगे तो बढ़िया कमाई होगी। यह रोजगार का अच्छा साधन साबित होगा। जितना परदेस में कमाते थे, उतना तो यहीं पर कमा लेंगे।

यहां घर-घर मिल सकता है रोजगार

मजदूर निताई नायक का कहना है कि बांस के उत्पाद से हम मालिक भी बन सकते हैं। इससे हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है। सरकार को चाहिए कि बांस उत्पादक किसानों को आर्थिक मदद करे। वहीं मजदूरों को भी सामग्री बनाने का प्रशिक्षण दिलाए। घर-घर यहां रोजगार मिल जाएगा।

सरकार बांस उत्पादन के लिए आगे आए

प्रवासी मजदूर निरंजन नायक कहते हैं कि बहरागोड़ा में बंबू स्पीलिंटिंग केंद्र के जरिए हर मजदूर को प्रशिक्षण दिलाया जाए ताकि वह बांस से उत्पाद तैयार करने में समक्ष हो जाए। परती जमीन पर बांस की खेती के लिए भी सरकार आगे आए। आर्थिक मदद करे। इससे प्रवासी मजदूरों को यहीं काम मिल जाएगा। उन्हें बाहर नहीं जाना पड़ेगा।

सभी दल इसके लिए पहल करें

मजदूर शिशिर गोप कहते हैं कि बांस को रोजगार से जोड़ने की कभी पहल ही नहीं हुई। सरकार ने कार्ययोजना बनाई होती तो यहीं काम मिल जाता। मजदूरों को घर व गांव छोड़कर बाहर नहीं जाना पड़ता। अब भी मौका है सरकार इसकी प्लानिंग करे। सभी दल इसके लिए पहल करें। इससे हमारा जीवन स्तर सुधर सकता है।

यहीं काम मिले तो नहीं जाएंगे परदेस

प्रवासी मजदूर शिवलाल किस्कू कहते हैं कि जब यहीं पर हमें रोजगार मिलेगा तो काहे परदेस कमाने जायेंगे। हम आत्मनिर्भर बनना चाहता हैं। इस क्षेत्र के लोगों को रोजगार देने में बांस सक्षम है लेकिन इसके लिए सरकार और प्रशासन को पहल करने की दरकार है। मजदूरों को प्रशिक्षण दिलाया जाए तो उनकी आर्थिक स्थिति बदल सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.