प्रभार के भरोसे चल रहा चाकुलिया प्रखंड
प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी का पद करीब चार वर्षो से रिक्त। बाल विकास परियोजना पदाधिकारी का पद 15 महीने से रिक्त। अंचल अधिकारी का पद चार महीने से रिक्त। यह स्थिति है पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड की। ये तमाम महत्वपूर्ण पद प्रभार पर ही चल रहे हैं..
संसू, चाकुलिया : प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी का पद करीब चार वर्षो से रिक्त। बाल विकास परियोजना पदाधिकारी का पद 15 महीने से रिक्त। अंचल अधिकारी का पद चार महीने से रिक्त। यह स्थिति है पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड की। ये तमाम महत्वपूर्ण पद प्रभार पर ही चल रहे हैं। अब तो लोग चाकुलिया को प्रभारी प्रखंड ही कहने लगे हैं। फिलहाल, प्रखंड विकास पदाधिकारी देवलाल उरांव चार-चार पदों की जिम्मेवारी संभाल रहे हैं। जाहिर है इससे एक तरफ बीडीओ पर काम का अत्याधिक बोझ है, तो दूसरी तरफ आम लोगों का कामकाज प्रभावित हो रहा है। एमओ का पद करीब 4 साल से रिक्त होने के कारण आपूर्ति विभाग के कामकाज पर असर पड़ा है। बड़ी संख्या में लोग राशन कार्ड से वंचित है। उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। जन वितरण प्रणाली की मॉनिटरिग सही तरीके से नहीं हो पा रही है। जुलाई 2019 में तत्कालीन सीडीपीओ जीरामनी हेंब्रम के सेवानिवृत्त होने के बाद से यह पद भी रिक्त पड़ा हुआ है। वैसे जीरामनी की भी मूल पदस्थापना बहरागोड़ा थी। चाकुलिया में वे अतिरिक्त प्रभार में थी। बाल विकास विभाग के तहत कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें सुकन्या योजना, लक्ष्मी लाडली योजना, दिव्यांग पेंशन योजना आदि शामिल है। इसके अलावा गर्भवती व धात्री महिलाओं तथा बच्चों को कुपोषण मुक्त करने की महती जिम्मेवारी भी इस विभाग पर है। करीब 4 महीने पूर्व जुलाई में तत्कालीन सीओ अरविद कुमार ओझा का स्थानांतरण दुमका जिले के मसलिया प्रखंड होने के बाद से सीओ का पद भी रिक्त पड़ा हुआ है। जबकि अंचल कार्यालय से सीधे-सीधे आम जनता का वास्ता होता है। इन सारे पदों के खाली रहने के कारण बीडीओ देवलाल उरांव को 19 पंचायतों में विकास कार्यों की मॉनिटरिग के साथ-साथ दूसरे विभागों का काम भी करना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी तब होती है जब विधि व्यवस्था को लेकर कोई समस्या उत्पन्न होती है। ऐसी स्थिति में दंडाधिकारी की भूमिका भी बीडीओ को निभानी पड़ती है। जानकार सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में राज्य सेवा के अनेक अधिकारी पदस्थापना के लिए प्रतीक्षारत है। ऐसी स्थिति में महत्वपूर्ण पदों का रिक्त पड़े रहना लोगों की समझ से परे है।