जमशेदपुर, जासं। क्या हम भारत से सर्वाइकल कैंसर (बच्चेदानी के मुख का कैंसर) को खत्म कर सकते हैैं? जी हां, इस क्षेत्र में तेज गति से प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर वर्ष 2016 से हर जिले व प्रखंड स्तर पर महिलाओं की जांच शुरू हो गई है। जिसका सकारात्मक परिणाम निकलकर सामने आया है।
भारत में वर्ष 2017 तक 1.20 से 1.32 लाख तक बच्चेदानी के मुख के कैंसर रोगी मिलते थे, जो अब घटकर 96 हजार तक आ गया है। इसमें जागरूकता, सही समय पर जांच होना व ह्यूमन पेपिलोमा वैक्सीन (एचपीवी) की अहम भूमिका है। पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी सर्वाइकल कैंसर के रोगी अधिक है। इसके रोकथाम के लिए जागरूकता के साथ-साथ जांच की जा रही है, लेकिन एचपीवी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण किशोरी को नहीं मिल पा रही है। निजी संस्थानों में एक टीके की कीमत करीब तीन हजार रुपये है, जिसे खरीदना हर किसी की बस की बात नहीं है।
अगले साल से निश्शुल्क मिल सकता है टीका
विश्व कैंसर दिवस के मौके पर मंगलवार को हार्वर्ड स्कूल ऑफ मेडिकल हेल्थ के सहयोग से दैनिक जागरण जमशेदपुर सहित देशभर के यूनिटों में वेबीनार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसके माध्यम से नई दिल्ली आब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के हेड प्रो. डॉ. निरजा भाटला ने भारत में सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने व एचपीवी टीकाकरण की भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी। दोपहर 12 से एक बजे के बीच आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने सवालों का भी जवाब दिया। डॉ. निरजा भाटला ने एचपीवी टीका पर विशेष रूप से जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसे जल्द ही राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करने की तैयारी चल रही है। इस संदर्भ में केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों के साथ चर्चा भी हुई है। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब किशोरी को आसानी से यह टीका उपलब्ध हो सके।
किशोरियों को दिलाएं टीका, नहीं होगा सर्वाइकल कैंसर
डॉ. निरजा भाटला ने कहा कि एचपीवी टीका सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम का एक प्रभावी तरीका है। यह टीका सुरक्षित है और लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करता है। एचपीवी टीका नौ से 14 साल की लड़कियों को दिया जाता है। इसका दो खुराक छह-छह माह पर दी जाती है। महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर एक बड़ी बीमारी है। इसे सामान्य बोलचाल में बच्चेदानी के मुख का कैंसर भी कहा जाता है। यह ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के कारण होता है।
संगीता ने सुनाई प्रेरक कहानी
वेबीनार संगोष्ठी में कैंसर को मात देने वाली संगीता ने अपनी प्रेरक कहानी सुनाई। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच व दृढ़ इच्छाशक्ति से कोई भी जंग जीती जा सकती है। संगीता को परिवार का सहयोग मिलने से उनका हौसला बढ़ता गया। संगीता ने भी सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए एचपीवी टीका लेने की सलाह दी। साथ ही जागरूकता व जांच कराने को कहा।
सर्वाइकल कैंसर पर पूर्वी सिंहभूम में चल रहा रिसर्च
सर्वाइकल कैंसर को लेकर पूर्वी सिंहभूम जिले में महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वनिता सहाय रिसर्च भी कर रही है। प्रारंभिक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है कि खैनी, तंबाकू, पुअर हाइजनिंग व उम्र 60 साल की महिलाओं में यह रोग तेजी से बढ़ रहा है। शोध में यह भी है कि अधिकांश ग्रामीण महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के इंफेक्शन पाए गए है, जो आगे चलकर कैंसर में तब्दील हो जाएगा।
जिले में सर्वाइकल कैंसर की स्थिति
- ताजा आंकड़े के अनुसार कोल्हान में ग्रामीण महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर चिंता का कारण बनता जा रहा है।
- अनहाइजीन से ह्यूमन पोपिलोमा वायरस पनपता है और सर्वाइकल कैंसर का कारण बनता है।
- विशेषज्ञों के अनुसार महिलाएं हाइजीन, खैनी, तंबाकू से दूर रहें, यह कैंसर होगा ही नहीं।
- ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं में जागरूकता का अभाव, उन्हें रोग का नहीं रहता पता।
- थर्ड या फोर स्टेज में जब बीमारी बढ़ जाती है तो लोग इलाज कराने पहुंचते हैैं, तब तक काफी देर हो चुकी होती है।